फिर बोतल से बाहर छात्रवृत्ति घोटाले का जिन्न: DEO ने दिए FIR के आदेश, पैसा निजी स्कूलों ने हड़पा,लेकिन... - Shivpuri News

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शिवपुरी।
जिला शिक्षा अधिकारी संजय श्रीवास्तव शिक्षा महकमे में हुए लाखों के छात्रवृत्ति घोटाले मामले में पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश जारी किए है। यह आदेश DEO श्रीवास्तव ने कन्या कोर्ट रोड शिवपुरी के संकुल प्राचार्य डीआर कर्ण को 3 दिन के भीतर दोषियों के खिलाफ कोतवाली थाने मे कार्रवाई करने के लिए जारी किया है।

DEO द्वारा जारी किए गए आदेश में साफ तौर पर निर्देश दिए गए हैं कि जांच समिति द्वारा साल 2015 16 वा 2016-17 में छात्रों की छात्रवृत्ति हड़पने वाले जिन लोगों को दोषी पाया गया है, उनके खिलाफ कोतवाली में पुलिस प्राथमिकी दर्ज करा कर उसका पालन प्रतिवेदन DEO को 3 दिन के भीतर पेश किया जाए।

पुरानी जांच रिपोर्ट के नामजद दो लोगों को क्लीन चिट दे दी गई है। साथ ही अभी निजी स्कूलों को भी राहत मिल गई है क्योंकि नई समिति ने इसमें उनकी भूमिका नहीं पाई है। उल्लेखनीय है कि करीब एक वर्ष पहले इस मामले को लेकर काफी बवाल हुआ था और बाहर से टीम आई थी। इसके बाद जांच की जद में आ रहे स्कूल संचालकों फिलहाल राहत मिल गई है। कथित तौर पर यह घोटाला 34 लाख रुपये का था।

जिला शिक्षा महकमे में साल 2015-16 व 2016-17 में स्कूलों में हुए लाखों के छात्रवृत्ति घोटाले मामले हुई शिकायत के बाद तत्कालीन डीईओ द्वारा जांच समिति बनाकर मामले की जांच कराई गई तो शहर के कोर्ट रोड संकुल के अंतर्गत आने वाले स्कूलों में छात्रों की आईडी बदल कर तथा एक ही छात्र के नाम से छात्रवृत्ति हड़पने का मामला उजागर हुआ था जोकि किओस्क सेंटरो के माध्यम से हुआ था जिसमें कन्या कोर्ट रोड स्कूल के तत्कालीन संकुल प्राचार्य व बीआरसीसी सहित शहर के कुछ निजी स्कूल संचालकों को जांच समिति ने दोषी माना था।

उक्त मामले में भी तत्कालीन भी होना दोषियों के खिलाफ एफआईआर के निर्देश संकुल प्राचार्य को दिए थे लेकिन बाद में मामला कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ तक पहुंचा जहां तत्कालीन डीईओ दीपक पांडे द्वारा कलेक्टर के निर्देश पर फिर से जांच समिति गठित की गई लेकिन उक्त जांच समिति ने जो जांच रिपोर्ट पेश की है उसमे अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है जिसमें कियोस्क सेंटर संचालित शामिल थे।

अब गेंद पुलिस के पाले में

इस मामले में पहले निजी स्कूलों के नाम आ रहे थे। पिछली समिति ने जो रिपोर्ट दी थी उसमें निजी स्कूल संचालकों के साथ संकुल प्राचार्य कैलाश चौधरी का नाम था। वे रिटायर्ड हो चुके हैं और कोरोना की दूसरी लहर में उनकी मौत भी हो चुकी है। इसके बाद जो जांच हुई तो उसमें कुछ और निजी स्कूल भी शामिल हुए। लेकिन जांच पूरी होते-होते फिलहाल निजी स्कूल आरोपितों की सूची हट गए हैं और जांच रिपोर्ट में उन्हें दोषी नहीं माना है।

अब गेंद पुलिस के पाले में है। शिक्षा विभाग से क्लीन चिट मिलने के बाद भी निजी स्कूल संचालकों पर कार्रवाई की तलवार अभी भी लटकी है क्योंकि पुलिस अपनी जांच में इन्हें शामिल कर पूछताछ करेगी। इस पूरे मामले में एक दर्जन से अधिक स्कूलों की भूमिका संदिग्ध रही है।

कियोस्क संचालकों को माना दोषी, वे ही रहे सूत्रधार

मामला का सूत्रधार कियोस्क संचालकों को माना जा रहा है क्योंकि पेमेंट कियोस्क के खातों से ही हुआ है। छात्रवृत्ति की प्रक्रिया में सबसे पहले स्कूल की ओर से पात्र हितग्राहियों के नाम डीआरसीसी ऑफिस में संकुल प्राचार्य के पास भेजे जाते हैं। यह पात्रता की जांच कर राशि स्वीकृत करते हैं। अधिकांश बच्चों के खाते कियोस्क सेंटरों पर थे।

खाते में राशि पहुंचने के बाद कियोस्क संचालकों ने यह राशि दूसरे खातों में राशि की हेराफेरी कर दी। यह बात तो कियोस्क संचालकों की है। लेकिन मामला खुलने पर यह भी सामने आया था कि कुछ बच्चों फर्जी नाम भी गए हैं। फर्जी नाम से रुपये निकालने के मामले में प्राथमिक रूप से शिक्षा विभाग अधिकारी जिम्मेदार हैं। हालांकि हाल ही में आई जांच रिपोर्ट में घोटाले का सूत्रधार कियोस्क संचालकों को ही माना जा रहा है।

इनका कहना है
कार्रवाई के लिए संकुल प्राचार्य को तीन दिन का समय दिया है। तीन दिन में उन्हें जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराना है। इसके बाद आगे की जांच पुलिस करेगी।
संजय श्रीवास्तव,जिला शिक्षा अधिकारी