शिवपुरी। शहर के बीचों बीच माधवचौक चौराहे के समीप स्थित विजयधर्म सूरि समाधि मंदिर वादी का दावा वादी ट्रस्ट के पक्ष में एवं प्रतिवादीगण के विरूद्ध आज्ञप्ति किया गया। उक्त निर्णय जिला न्यायाधीश श्री रामविलास गुप्ता द्वारा पारित आदेश के तहत किया गया है जिसमें अब विजयधर्म सूरि समाधि मंदिर ट्रस्ट की माधवचौक चौराहे के समीप स्थित 38 दुकानें व खाली भूमि ट्रस्ट के आधिपत्य में होंगी।
जानकारी देते हुए विजयधर्म सूरि समाधि मंदिर वीर तत्व प्रकाशक मंडल शिवपुरी ईस्ट मुख्यालय मुम्बई द्वारा मुख्त्यार आम यशवन्त जैन (गुगलिया)ने बताया कि वादी द्वारा प्रतिवादीगण राकेश चौकसे, राजेश चौकसे, श्रीमती करूणा गुप्ता, नितिन चौकसे, शकुन मित्तल, रूपेश मित्तल, सुकेश मित्तल, नीरू, नीतू, मीरा बंसल, नरेन्द्र बंसल, वहीद खां, अनीसा बेगम, चंदेज खां, परबीन, सल्तनत, रूबी, मप्र शासन, रमेशचंद जैन, अरविन्द कुमार बंसल, महेन्द्र कुमार बंसल, राजकुमार बंसल, गीता देवी बंसल, रूपेश मित्तल के विरूद्ध जिला न्यायालय में माधवचौक स्थित 150 बाई 150 वर्गफिट कुल 22500 वर्ग फिट भूमि जिसकी चर्तुसीमा पूर्व में कोठी नं.9 मिडिल स्कूल का आहता पश्चिम में आगरा बॉम्बे रोड़, उत्तर में गली में शासकीय भूमि उक्त भूमि में 38 दुकानें एवं खुली भूमि जो कि विजयधर्म सूरि समाधि मंदिर वीर तत्वप्रकाशक मंडल ट्रस्ट शिवपुरी के स्वामित्व की है।
ट्रस्ट का मुख्यालय मुम्बई में स्थित है। यहां वादी ट्रस्ट द्वारा उक्त वाद पत्र स्वत्व घोषणा एवं स्थाई निषेधाज्ञा की सहायता हेतु प्रतिवादीगण के विरूद्ध वाद प्रस्तुत किया गया व साथ में नक्शा भी संलग्न किया गया। प्रकरण में स्वीकृत तथ्य यह है कि वादी ट्रस्ट की ओर से पूर्व में व्यवहार वाद 19ए02सी26 ए-93 विजयधर्मसूरि बनाम भगवान लाल चौकसे व अन्य चतुर्थ अपर जिला न्यायाधीश (फास्टट्रेक) न्यायालय शिवपुरी द्वारा 7.08.03 को निर्णित किया गया, जिसके अनुसार उक्त प्रकरण में वादी ट्रस्ट के पक्ष में स्वत्व घोषणा की आज्ञप्ति पारित की गई उक्त आज्ञप्ति के विरूद्ध प्रतिवादी बाबूलाल बंसल एवं एक अन्य द्वारा माननीय उच्च न्यायालय म.प्र. खंडपीठ ग्वालियर के समक्ष सिविल अपील क्रं.246/03 एवं 254/03 प्रस्तुत की गई थी।
जिसका निराकरण 10.04.2008 को किया जाकर निर्णय दिनांक 7.08.2003 अपास्त किया गया था। पुन: सक्षम व्यक्ति के द्वारा प्रस्तुत वादी का वाद पत्र में सर्वे क्रं.816 से 820 मिन करने के आधार पर निराकृत की गई, माननीय उच्च न्यायालय के अनुसार वादी द्वारा पुन: वाद प्रस्तुत किया गया।
यहां वादग्रस्त संपत्ति के संबंध में वाद प्रस्तुत करने हेतु यशवन्त जैन गुगलिया को पॉवर ऑफ एटॉर्नी की हैसियत से भाड़ेदार के रूप में जिसमें स्व.भगवान लाल चौकसे, सुरेश चौकसे, भाड़ेदार के रूप में आबाद है उक्त भाड़ेदारों ने वाद में वादी ट्रस्ट की संपत्ति को वादी ट्रस्ट से छिपाकर आंशिक एवं पूर्ण रूप से विक्रय कर देने का प्रयास किया इस हेतु गुप्त रूप से दुर्भावनापूर्वक अवैध निर्माण के तरीके को अपनाने शुरू किए गए और प्रतिवादी ने बनावटी एवं फर्जी अभिलेख भी तैयार करा लिए।