भदैयाकुण्ड: ऊपर से गिरता झरना, नीचे करता है भगवान शिव का जलाभिषेक, प्रेम और आस्था का प्रतीक है यह झरना - Shivpuri News

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सतेन्द्र उपाध्याय@शिवपुरी।
साबन के महीने में भगवान शिव शिव की नगरी शिवपुरी में श्रृद्धा का अटूट समन्यवय देखने को मिलता है। श्रृद्धा का प्रतीक माने जाने बाले शिवपुरी में एक पयर्टक स्थल है भदैयाकुण्ड। यहां लगभग 70 फिट की उचाई से झरना गिरता है। जो भगवान शिव का जलाभिषेक करता है। यहां यह झरना बरसात के दिनों में मनमोहक रहता है। जिसके चलते यहां ट्यूरिस्टों का बडा केन्द्र बना हुआ है।

इस मंदिर के महंत रघुवीर प्रसाद जी ने बताया है कि इस मंदिर का इतिहास लगभग 1200 साल पुराना है। जब यहां महाभारत के दौरान अर्जुन ने बाण के जरिए एक साथ 52 कुण्डों का निर्माण किया था। जिसमें से एक कुण्ड भदैयाकुण्ड है। यहां कुण्ड के नीचे भगवान महादेव विराजमान है। प्रकृति स्वयं यहां जलअभिषेक करती है।

उन्होंने बताया कि इस झरने का प्राचीन महत्व हैं यह कुण्ड काफी गहरा है अगर गर्मीयों में यह झरना भी बंद हो जाता है उसके बाद भी इस कुण्ड का पानी नहीं सूखता। यह 12 माह भरा रहता है। इस कुण्ड के नीचे एक ऐसा भी स्थान है जहां से लगातार पानी आता रहता है। जो गौमुख के जरिए आता है। हांलाकि अब भदैयाकुण्ड को पर्यटन संबंर्धन वोर्ड ने अपने कब्जे में ले लिया है। जिसके चलते यहां पर्यटनों को बढाने का प्रयास पर्यटन विभाग कर रहा है।

गौमुख से आता है पानी

झरने के पीछे बने शिवजी के प्राचीन मंदिर में दोनों तरफ दो गौमुख बने है। जिनमें से लगातार पानी आता है। यह पानी कहा से आ रहा है यह वैज्ञानिक भी नहीं खोज पाए है। जो लगातार 12 माह चलता है। ऐसी मान्यता है कि इस गौमुख से निकलने बाले पानी को अपनी त्वचा पर लगाने से चर्मरोग ठीक हो जाते है।

सिंधिया राजवंश में महाराज पीने मंगाते थे यह पानी

इस मंदिर के महंत रघुवीर प्रसाद जी ने बताया है कि सिंधिया स्टेट की ग्रीष्म कालीन राजधानी शिवपुरी हुआ करती थी। उस जमाने में आरओ का पानी उपलब्ध नहीं था। तब इस मीठे पानी के चलते सिंधिया राजवंश के महल में शिवपुरी से पानी जाता था।

प्रेम का प्रतीक है यह झरना

भदैयाकुण्ड के इस झरने को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। जीनों से नीचे उतरने के बाद जो झरना झरता है उसके नीचे कोई पति पत्नि या प्रेमी प्रेमिका नहा लते है तो उनके बीच रिश्ता मजबूता और खुशहाल बन जाता है।

भदैयाकुण्ड के नीचे चांदपाटे में है हजारों मगर

इस भदैयाकुण्ड के नीचे जो पानी जाता है वह पास ही लगे चांदपाटा झील में पहुंचता है। यहां पर्यटन विभाग इस झील में वोटिंग कराता है। यहां बता दे कि इस झील में हजारों की संख्या में मगरमच्छ है। जो यहां बाहर घूमते हुए आसानी से दिखाई देते है।

इस झरने के नीचे एक प्राचीन हनुमानजी का भी मंदिर है। माना जाता है कि यह मंदिर पर कोई सच्ची श्रृद्धा के साथ कामना करें तो कलयुग के देवता श्री हनुमानजी उनकी मनोकामना पूरी करते है।
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