धनेश्वर महादेव कथा: जंगल में स्थित रहस्यों से भरा हैं यह शिवालय, शेर करते थे मंदिर की रखवाली

Bhopal Samachar
शिवपुरी
। सावन माह में शिवपुरी समाचार डॉट कॉम पाठको को शिवमंदिरो की मानसिक यात्रा करा रहा हैं,प्रतिदिन जिले के एक शिवालय की कथा हम प्रकाशित कर रहे हैं। आज की शिवालय की कथा में ऐसे शिवमंदिर की मानसिक यात्रा पाठको को करा रहे हैं जो रहस्मयी और चमत्कारिक एवं प्राचीन स्थान सिद्धक्षेत्र हैंं।

“धनेश्वर महादेव” नामक यह स्थान शिवपुरी शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है ! शिवपुरी झांसी राजमार्ग पर शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर अमोला पुल ख़त्म होते ही अमोलपठा को जाने वाली रोड पर अमोलपठा से तीन किलोमीटर पहले उडवाया नामक गाँव है, इस गाँव से लगभग 3 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है “धनेश्वर महादेव” यहाँ पहुँचने का मार्ग काफी दुर्गम है एवं यह स्थान वियाबान घने जंगल में स्थित हैं।

मंदिर निर्माण की कहानी

यहाँ भगवान महादेव का एक अत्यंत प्राचीन मंदिर बना हुआ है जिसका निर्माण आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व स्टेट समय में आमोल में रहने वाले एक व्यक्ति बोहरे जी के द्वारा करवाया गया था। मंदिर के वर्तमान पुजारी जी ने हमें बताया कि बोहरे जी एक संपन्न धनवान व्यक्ति थे परन्तु उनके कोई संतान नहीं थी।

एक दिन स्वप्न में भगवान् शिव ने साधू वेश में आकर बोहरे जी को धनेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराने को कहा तत्पश्चात बोहरे जी के द्वारा चूने से युक्त मंदिर का निर्माण कराया गया। समीप ही गुफा में स्थित शिवलिंग को ही मंदिर में स्थापित कर उस समय प्राण प्रतिष्ठित किया गया। मंदिर निर्माण के पश्चात बोहरे जी को संतान सुख की भी प्राप्ति हुई।

शिवलिंग पर होता प्राक्रतिक जलाभिषेक

धनेश्वर महादेव स्थित शिवलिंग पर चौबीसों घंटों ही प्राकृतिक गौमुख से स्वतः जलाभिषेक होता रहता हैं। इस गौमुख के बारे में बताया जाता है कि इसमें पानी एक सरोवर से आता है और बारिश के समय इस गौमुख से अति प्राचीन अवशेष भी निकलते रहते है। गौमुख से निकलने वाली धारा के बारे में जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी जी ने बताया कि जब समीप ही स्थित सिंध नदी पर पुल बनाया जा रहा था।

उस समय कुछ इंजिनियर इस क्षेत्र की भोगोलिक स्थिति का जायजा लेने के लिए आये। उन्होंने जब इस क्षेत्र कि भोगोलिक स्थिति का अवलोकन किया तब एक चौकाने वाली जानकारी निकल कर सामने आई कि यहीं समीप में एक चट्टान के नीचे एक जल का सरोवर स्थित है जिसके चारों और कुछ ऋषि मुनि, तपस्वियों के साधना स्थल आज भी दिखाई देते है और इसी सरोवर से निकला जल गौमुख तक पहुंचता है और शिवलिंग का जलाभिषेक होता हैं।

समीप स्थित गुफा में वास करते है दिव्य साधू

मंदिर की सेवा पूजा करने वाले संत कामतानंद सरस्वती जूना अखाड़े से सम्बंधित हैं, उन्होंने धनेश्वर महादेव मंदिर के समीप स्थित एक गुफा के विषय में रोमांचक जानकारी दी। उनके अनुसार इस गुफा में कुछ दिव्य संत तपस्यारत है जो हर किसी को दिखाई भी नहीं देते। ये दिव्य विभूति दिखाई तो किसी नागा साधू की तरह देते हैं, किन्तु उनका आकार एक ऊंचे वृक्ष के समान है और आम मनुष्य उनके तेज का ही सामना नहीं कर सकते है !

मंदिर निर्माण के पश्चात शेर करते थे शिवलिंग की रक्षा एवं पूजा

मंदिर के पुजारी के अनुसार जब इस मंदिर का निर्माण हुआ एवं जब कोई पुजारी नियुक्त नहीं किया गया तब इस शिवलिंग कि सुरक्षा एवं पूजा का जिम्मा शेरों के हवाले था।  बाद में जब मंदिर में पुजारियों की नियुक्तियों का सिलसिला शुरू हुआ तब यह शेर गुफा छोड़ कर अन्यत्र स्थान पर चले गए जो यदा कदा अभी भी आसपास के क्षेत्र में देखे जाते हैं।

महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है धनेश्वर महादेव का इतिहास

मंदिर के पुजारी जी ने मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस स्थान का सम्बन्ध महाभारत काल से भी हैं। उन्होंने बताया कि इस सम्पूर्ण क्षेत्र में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने जगह जगह समय व्यतीत किया है। धनेश्वर महादेव पर भी पांडवों ने कुछ समय व्यतीत किया।

चमत्कारिक है गौमुख से निकलने वाला जल

धनेश्वर महादेव स्थित गौमुख से निकलने वाला जल भी चमत्कारिक है। इस जल के बारे में बताया गया कि इस जल से चर्म रोग सहित अनेकों बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। इस जल कि सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जब इसे मुहं में डाला जाता है तो मुहं में से जल कब पेट में चला गया पता ही नहीं चलता है इतना हल्कापन इस जल में हैं।

जल के बारे में यह भी बतलाया जाता है कि आसपास के क्षेत्र के किसानों कि फसल में यदि कीड़े लग जाते है तो वह इस जल का उपयोग कीटनाशक के तौर पर करते है एवं किसान बीमार पशुओं के उपचार में भी इसी जल का प्रयोग करते हैं।
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