सहारा के निवेशकों से धोखाधडी के मामले में फरार चल रहे ब्रांच मैनेजर नदीम खान की अग्रिम जमानत खारिज - Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। सहारा इंडिया द्वारा निवेशकों के भुगतान न किए जाने के मामले में आरोपी ब्रांच मैनेजर नदीम खान की अंग्रीम जमानत याचिका अपर सत्र न्यायाधीश एसके गुप्ता ने खारिज कर दी है। कोतवाली पुलिस ने इस मामले में सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय सहित शिवपुरी शाखा के ब्रांच मैनेजर नदीम खान के साथ 7 लोगों के खिलाफ भादवि की धारा 420, 409, 6(1) के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया था।

ज्ञात हो कि शिवपुरी शहर मेें सहारा इंडिया की हाजी सन्नू मार्केट स्थित शाखा में हजारों निवेशकों ने अपने गाढ़े पसीने की कमाई जमा की थी। उस समय कम्पनी के अधिकारियों ने लोगों को ज्यादा ब्याज और निवेश की सिक्योरिटी का झांसा देकर एजेंटों के माध्यम से करोड़ों रूपया निवेश कराया था।

लेकिन जब पॉलसिया परिपक्व हो गई थी। पॉलिसी धारकों का भुगतान कम्पनी ने नहीं किया और जब यह मामला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संज्ञान में गया तो उन्होंने चिटफंड कम्पनियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए। जिसमें सैकड़ों निवेशकों ने एसडीएम कार्यालय में जाकर अपनी शिकायतें दर्ज कराई हैं।

एसडीएम कार्यालय से उक्त शिकायतों का निराकरण करते हुए कोतवाली पुलिस को मामले में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। जिस पर कोतवाली पुलिस ने कम्पनी के प्रमुख सुब्रत रॉय, शिवपुरी शाखा के ब्रांच मैनेजर नदीम खान सहित 7 लोगों पर एफआईआर दर्ज की। इसके बाद से आरोपियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है।

लेकिन गिरफ्तारी से पूर्व शिवपुरी शाखा का ब्रांच मैनेजर नदीम खान ने न्यायालय में अपनी अग्रिम जमानत को लेकर एक याचिका दायर की। जिसकी सुनवाई षष्टम अपर सत्र न्यायाधीश एसके गुप्ता ने की और मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी ब्रांच मैनेजर की अग्रिम जमानत वाली याचिका खारिज कर दी।

एजेंटों पर निवेशक बना रहे हैं दबाव

चिटफंड कम्पनियों द्वारा आकर्षक स्कीमें लाकर निवेशकों को लालच देकर एजेंटों के माध्यम से निवेश करवाया। लेकिन जब कम्पनियां भुगतान करने में असमर्थ हो गई तो निवेशकों ने एजेंटों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। जिससे कई एजेंट शहर छोड़कर चले गए।

जबकि कई एजेंट रोज-रोज की परेशानी से तंग होकर घरों से ही बाहर नहीं निकल रहे हैं। जिससे उनका रोजगार भी खत्म हो गया है और वह भूखों मरने की खगार पर आ गए हैं। एजेंटों ने चिटफंड कम्पनियों पर कार्रवाई के दौरान निवेशकों का साथ दिया था और कम्पनी के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ मोर्चा भी खोला था, लेकिन इसके बाद भी निवेशक उन्हें नहीं छोड़ रहे हैं।

जबकि एजेंटों का कहना है कि उन्होंने निवेशकों का पैसा कम्पनी में जमा किया है और उनका भुगतान भी कम्पनी ही करेगी। लेकिन निवेशक उन पर भुगतान के लिए दबाव बना रहे हैं।
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