शिवपुरी। माधव नेशनल पार्क में वनराज लाने की तैयारी शुरू हो गई हैं,लेकिन पार्क के विस्तार में 5 गांव पार्क प्रबंधन के लिए चुनौती बन रहे हैं,क्यो की यह गांव अभी तक विस्थापित नही हुए हैं और बाघ की आने की आहट के कारण इन गांवो के लोगो ने सीसीएफ को ज्ञापन सौंपा है। ग्रामीणों का कहना है कि बिना मुआवजा लिए हम गांव खाली नहीं करेंगे।
माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी के विस्तार के लिए साल 2004 में लखनगवां, हरनगर एवं डोंगर और अर्जुनगवां, मामौनी गांव में विस्थापित के लिए राजस्व द्वारा सर्वेक्षण कराया था। जिसमें गांव वालों ने विस्थापन के बदले पुनर्वास और भूमि की मांग की थी। साथ ही कुछ लोगों ने पैसों की मांग की थी।
गांव वालों का कहना है कि राजस्व विभाग ने ग्रामीणों की बिना सहमति के सभी काे साल 2008 की गाइड लाइन से 35% अतिरिक्त राशि के साथ मुआवजा देने के लिए अवार्ड पारित कर दिया था। इसका गांव वालों ने विरोध किया और मुआवजा नहीं लिया। भूमि को नहीं छोड़ा और लगातार खेती करते आ रहे हैं।
गांव वालों का कहना है कि नेशनल पार्क विस्तारीकरण के लिए विस्थापित नई गाइडलाइन 8 अप्रैल 2021 काे सरकार ने जारी की है। ग्रामीणों का कहना है कि परिवार में जो 18 साल से ऊपर हैं, उन्हें वयस्क मानकर दोबारा से जनगणना कराकर 15 लाख रु. प्रति परिवार मुआवजा दिलाएं। यदि मुआवजे में ज्यादा समय लगाते हैं तो हम नया निर्माण काय चालू कर देंगे और फिर भविष्य में गांव खाली नहीं करेंगे। फिर चाहे सरकार को जो मुआवजा दे, हम नहीं लेंगे और ना ही गांव खाली करेंगे। कम रेट का मुआवजा स्वीकार नहीं करेंगे।
जहां टाइगर की अधिक संख्या, वहां से शिवपुरी लाए जा सकते हैं
प्रदेश के जिन स्थानों पर टाइगर की संख्या अधिक है, वहां से शिवपुरी नेशनल पार्क लाने की चर्चाएं हैं। हालांकि अभी तक यह निश्चित नहीं हुआ है कि नेशनल पार्क में बाघ कहां से लाए जाना है। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ 25 के आसपास होना चाहिए, लेकिन यहां तकरीबन 40 बाघ हो गए हैं। बाघ जल्द आते हैं तो पर्यटन की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
पार्क में 15 हजार चीतल, सांभर, नील गाय, चिंकारा, बार्किंग डियर, जंगली सूअर
माधव नेशनल पार्क में टाइगर के भोजन के लिए 15 हजार चीतल, सांभर, नील गाय, चिंकारा, बार्किंग डियर और जंगली सूअर जैसे शाकारी वन्य प्राणी उपलब्ध हैं। साथ ही पीने के पानी के लिए झरने, वाटरफॉल हैं। बाघों के रहने के लिए नेशनल पार्क में अनुकूल वातावरण हैं। इसी आधार पर बाघों काे लाने की तैयारी चल रही है।
जिन्हें मुआवजा नहीं मिला है, नियमानुसार मुआवजा दिलवाएंगे
नेशनल पार्क शिवपुरी में टाइगर इसी साल आ जाएंगे। इसके लिए हम प्रोजेक्ट रिपोर्ट बना रहे हैं। कोशिश यही है कि टाइगर जल्द से जल्द आ जाएं। वहीं जिन पांचा गांवों के विस्थापन की बात है तो जिन्हें मुआवजा नहीं मिला है, नियम अनुसार मुआवजा दिलवाएंगे और जिन्हें मुआवजा मिल चुका है उनसे जगह खाली कराएंगे।
डीके पालीवाल, सीसीएफ एवं प्रभारी डायरेक्टर नेशनल पार्क शिवपुरी