वर्दी को कलकिंत करने वाले रिश्वतखोर पुलिसकर्मियो के सस्पैंड से सतुंष्ट नही फरियादी: मामला दर्ज करने की मांग - karera News

Bhopal Samachar
करैरा। करैरा थाने में पदस्थ पुलिसकर्मियो ने वर्दी को कंलकित करने का कार्य किया है। ललितपुर के रिटायर्ड दरोगा सुभाष यादव और व्यापारी नितेंद्र राय से 4 लाख की रिश्वत लेने के बाद भी उन देशद्रोह का मामला दर्ज कर दिया। अब यह मामला आज शिवपुरी की मीडिया की सुर्खिया बन गया है। करैरा थाने के पुलिसकर्मियो का यह $कारनामे ने खाकी पर दाग लगा दिया है। 

हालाकि इस मामले की शिकायत के बाद शुक्रवार को एसपी राजेश सिंह चंदेल ने पांच पुलिसकर्मियों जिनमें एसआई आदित्य प्रताप सिंह, एएसआई नरेंद्र यादव और आरक्षक अनिल यादव, अमित यादव और देवेश तोमर को निलंबित कर दिया था। लेकिन इस कार्रवाई से फरियादी सुभाष यादव और नितेंद्र राय संतुष्ट नहीं है। 

उनका कहना है कि पुलिसकर्मियों ने अपनी बर्दी का रौब दिखाकर उन पर झूठा मामला दर्ज कर उनसे अवैध वसूली की है, जो एक अपराध है और इन पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। साथ ही उन तथाकथित पत्रकारों को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए। जिन्होंने चलन से बाहर आए 500-500 के नोट पुलिस को उपलब्ध कराए।

ज्ञात हो कि 24 नबंवर की शाम एसआई आदित्य प्रताप सिंह, एएसआई नरेंद्र यादव और आरक्षक अनिल और देवेश ने दो कारों को रोककर उन पर देशद्रोह का झूठा मामला दर्ज कर दिया। इससे पहले पुलिसकर्मियों ने दो तथाकथित पत्रकारों की सहायता से उनसे 4 लाख रूपए की रिश्वत ले ली और इसके बाद भी उन्हें आरोपी बना दिया। साथ ही तथाकथित पत्रकारों द्वारा पुलिस को उपलब्ध कराए गए पुराने 500-500 के नोटों की जप्ती उनके पास से दर्शा दी। 

इस मामले में पीडि़तों ने आईजी सहित एसपी को शिकायत की। जिससे पुलिस की छवि खराब होती देख एसपी राजेश सिंह चंदेल ने पांचों पुलिसकर्मियों को निलंबित करने की कार्रवाई की। लेकिन इस कार्रवाई से शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं है। 

उनका कहना है कि पुलिसकर्मियों ने आपराधिक कृत्य किया है जो निलंबन लायक नहीं एफआईआर लायक है। इसलिए उन पर एफआईआर दर्ज की जाए। साथ ही उन तथाकथित पत्रकारों को भी आरोपी बनाया जाए और जांच की जाए कि वह यह पुराने नोट कहा से लेकर आए थे। पुलिसकर्मियों ने बिना अपराध हमको देशद्रोह का आरोपी बना दिया है। जबकि वास्तव में देशद्रोह के आरोपी वह पुलिसकर्मी और कथित पत्रकार हैं। 

शिकायतकर्ता सुभाष यादव और नितेंद्र राय का कहना है कि अगर दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई तो वह मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे और आमजन के साथ इस तरह से झूठे केस बनाकर उनसे अवैध वसूली करने वालों को सजा दिलवाएंगे।
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