भाजपा में भितरघात: भितरघात से कैलाश को लाभ, अब जीत की दौड़ में शामिल हाथी - SHIVPURI NEWS

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एक्सरे@लित मुदगल शिवपुरी।
उपचुनाव 2020 का मतदान समपन्न हो चुका हैंं। जिले में लगभग 74 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ हैं,अभी बात पोहरी की करते हैं पिछले 2018 के आम विधानसभा चुनावो में पोहरी का मतदान 73 प्रतिशत से अधिक रहा था। उपचुनाव 2020 में पोहरी का मतदान 2 प्रतिशत से अधिक रहा हैं।

पोहरी का मुकाबला कांटे का रहा हैं। आज भाजपा के प्रत्यशी सुरेश राठखेडा ओर कांग्रेस प्रत्याशी हरिबल्लभ शुक्ला ने प्रेस को बयान दिया हैं। दोनो का बयान लगभग एक ही था कि जीत उनकी पक्की हैं लेकिन उनका मुकाबला हाथी से है। यह बयान पोहरी की राजनीति और इस चुनाव के गणित को परिभाषित करने के लिए काफी है। आईए इस बयान का एक्सरे करते हैं आखिर क्या इंगित करता हैं और क्या मतलब हो सकता हैं इस बयान का इसकी धरातल पर खोज करते हैं।

मुकाबला त्रिकोणीय हैं यह स्प्ष्ट हैं। पोहरी में जो भाजपा ने मिलकर कांगेस के प्रत्याशी हरिबल्लभ शुक्ला को अभिमन्यू की तरह घेरने का प्रयास किया था। चुनाव सत्ता का सेमीफायनल था भाजपा को कुर्सी बचाना था कि इस करण भाजपा ने पूरी ताकत के साथ चुनाव लडा हैं। सीएम शिवराज और ज्यौतिरादित्य ने पोहरी विधानसभा में ताबडतोड सभाए की थी।

इसके अतिरिक्त केन्द्रीय मंत्री ओर सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर मप्र की कैबिनेट मंत्री और शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ने भी सभाए और जनसंपर्क कर भाजपा प्रत्याशी सुरेश राठखेडा को जीताने के लिए कोई कसर नही छोडी। भाजपा संगठन और स्थानीय कार्यकर्ता भी युद्ध स्तर पर भाजपा को जीताने के लिए प्रयास किया हैं।

कांग्रेस प्रत्याशी हरिबल्लभ शुक्ला पर प्रचार के लिए केवल पूर्व सीएम कमलनाथ के अतिरिक्त कोई नही था लेकिन कमलनाथ की पोहरी विधानसभा में गिनी चुनी सभाए हुई थी। ऐसा एक भी नेता कांग्रेस प्रत्याशी के प़क्ष में प्रचार करने नही आया जिसके चेहरे से वोट मिल सके। केवल हरिबल्लभ शुकला और उनके समर्थक और टूटी हुई कांग्रेस ही प्रचार कर रही थी। हरिबल्लभ शुक्ला पोहरी विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके हैं और फायर ब्रांड हैं। वे महल के खिलाफ बारूद बने रहे हैं इस कारण ही कमलनाथ ने उनको टिकिट दिया था।

2 बार के विधायक रहने के कारण हरिबल्लभ शुक्ला के पास अपना पर्सनल वोट बैंक हैं और पोहरी विधानसभा जातिवार से श्रापित विधानसभा हैं इस कारण माना जा रहा हैं कि ब्राहम्ण मत उनकी ओर अधिक गया होगा। अब इन भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी के बायानो की बात करते हैं।

दोनो ने ही कहा है कि उनका मुकाबला बसपा के प्रत्याशी कैलाश कुशवाह से हैं। कैलाश कुशवाह तीसरी जाति तीसरा गणित का उदय हैं। पोहरी विधानसभा में नरवर बैल्ट का क्षेत्र बड जाने के कारण कुशवाह जाति का वोट बैंक बड गया हैं। इस कारण माना जा रहा है कि बसपा का मूल वोट और कुशवाह जाति के वोट कैलाश कुशवाह को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।

कैलाश कुशवाह इस बार मीडिय की लाईमलाईट से दूर होकर चुनाव लड रहे थे। पिछली बार कैलाश कुशवाह की हवा थी वह चुनाव जीतेंगें,लेकिन वह दूसरे नंबर पर रहे। इस पूरे समीकरण में चुनाव अभी स्पष्ट नही हैं कि चुनाव किस ओर जाऐगा। लेकिन यह तय हैं कि हैं कि पोहरी में भाजपा में भविष्य की राजनीति पर गौर करे तो यह स्पष्ट हे कि भाजपा में अपार भितरघात हुआ हैं और यह सजातीयो ने किया हैं,और इसका फायदा बसपा प्रत्याशी कैलाश कुश्वाह को हुआ हैं।

यह है भितरघात के कारण:यह तय हैं कि सुरेश राठखेडा अगर चुनाव जीतते हैं तो आगे चलकर कितने नेताओ को भविष्य खराब होगा यह आप स्वयं समझते हैं। यह नेता ब्राहम्मण भी हो सकते हैं और धाकड भी। धाकड हरिबल्लभ शुक्ला को वोट नही दे सकते इसी कारण एक धाकड नेताजी कैलाश कुशवाह के लिए कैंपन कराई हैं।

अब ब्राहम्मण नेताओ की बता करते हैं। गणित सीधा - सीधा और साफ हैं कि सुरेश राठखेडा चुनाव में विजयी होते हैं। तो अगली बार टिकिट पक्का,फिर आगे किसने देखा कि क्या होगा। अगर हरिबल्लभ चुनाव में विजयी होते हैं तो कांग्रेस से उनका टिकिट पकका। अगर पोहरी की राजनीति की बात करे तो धाकड और ब्राहम्मण सामने होते हैं इस गणित से ब्राहम्मण नेता नही चाहते थे कि न तो धाकड जीते ओर न ही ब्राहम्मण इस कारण ब्राहम्ण नेताओ ने भी हाथी का साथ दिया।

भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियो का दिया गया बयान कि हमारा मुकाबला हाथी से हैं यह बयान भी चौकाने वाला हैं। इस बयान से इस पूरे चुनाव का गणित स्पष्ट होता दिख रहा हैं। ऐसी संभावना जताई जा रही हैं कि भाजपा में अपार भितरघात हुआ हैं। हालाकि यह संभावना हैं लेकिन यह भी तय हैं कि राजनीति संभावना के बल पर चलती है। 
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