RTO शिवपुरी ने सरकारी खजाने से राजनीतिक चंदा दे दिया: चुनाव आयोग ने लिया मामला संज्ञान में

Bhopal Samachar
शिवपुरी
। विवादो का दूसरा नाम आरटीओ शिवपुरी मधुसिंह का एक नया विवाद सामने आ रहा हैं अब वह चुनाव आयोग के टंटे में फस गई हैं। आरटीओ शिवुपरी मधुसिंह पर आरोप हैं कि उन्होने सरकारी खजाने से राजनीतिक चंदा दे दिया। चुनाव आयोग ने मामले को संज्ञान में लिया है और शिवपुरी इलेक्शन आफिसर को पत्र लिखकर 3 दिवस में जबाव मांगा हैं।

यह हैं शिकायत चुनाव आयोग में
शिकायत कर्ता विजय शर्मा ने अपनी शिकायत में लिखा हैं कि आरटीओ शिवपुरी मधुसिंह जिले में जिला परिवहन अधिकारी मधु सिंह पिछले 2 वर्ष से अधिक समय से पदस्थ है इनके कार्यकाल में विगत विधानसभा ओर लोकसभा चुनाव सम्पन्न हुए थे। इन चुनावों में इन जिला परिवहन अधिकारी ने चुनाव डयूटी हेतु मतदान दलों के लिए कई अनफिट वाहनों को अधिग्रहण किया था।  

यह अधिकारी अपने कार्यकाल में राजनीतिक दलों की कई रैलियों के लिए बसों की व्यस्था भी करती है इन्होंने पिछोर में 2018 में हुई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की रैली के लिए 200 से अधिक बसों के अधिग्रहण किया था जिसमे शासन से जो राशि बसों के किराए के रूप में आई थी उसमे से 20 लाख रुपये के करीब राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में अनाधिकृत रूप से दी थी।

जिसके साक्ष्य स्वरूप मैंने जिला परिवहन अधिकारी मधु सिंह के हस्तलिखित पत्र अटैच किये है जो उन्होंने बसों के किराए के भुगतान के लिए जिला पंचायत शिवपुरी को लिखे है इन्ही पत्रों के आधार पर जिला पंचायत ने भुगतान किया है इन पत्रों के आधार पर अशोक नागपाल को 16 लाख रुपये ओर पुष्पेंद्र यादव को 2 लाख से अधिक का भुगतान किया हैं।

जबकि इन दोनों व्यक्तियों का बस व्यवसाय से कोई लेना देना नही है इन दोनों व्यक्ति के नाम पर एक भी बस पंजीकृत नही है न ही ये दोनों किसी पंजीकृत ट्रेवल्स एजेंसी के संचालक हैं। सिर्फ राजनीतिक चंदे के लिए इन व्यक्ति के खातों  में भुगतान कराया गया हैं। यह दोनों राजनीतिक दल के कार्यकर्ता है।
 
अतः आपसे निवेदन है कि इस मामले का संज्ञान लेकर चुनाव काल में इस अधिकारी का अन्यत्र तबादला किया जाए एवम जांच कराई जाए। यदि यह अधिकारी की पदस्थापना नही बदली गयी तो यह उपचुनावों को प्रभावित कर सकता है निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए इन जैसे अधिकारियों को दूर रखा जाए।

इस शिकायत को चुनाव आयोग ने संज्ञान में लिया हैं। चुनाव आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारी को इस मामले में 3 दिन में जांच करने के आदेश दिए हैं। 
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