पिछोर। जिले के पिछोर अनुविभाग में इन दिनों भ्रष्टाचार अपने पूरे चरम पर है। यहां अधिकारीयों की आखों में धूल झौंककर राशि को खुर्द बुर्द किया जा रहा है। ऐसा नही है कि इन मामलों की भनक अधिकारीयों को नहीं है। बल्कि इस खुर्द बुर्द राशि का बटौना उपर से लेकर नीचे तक पहुंचता है। यहां के विभागीय प्रमुखों ने अपने कमीशन के लालच में सरपंच-सचिवों को करोड़ों रुपए कि शासकीय धनराशि का आहरण करा डालने का कारनामा किया है। पिछोर जनपद पंचायत की कई ग्राम पंचायतों में पंच परमेश्वर 14 वित्त द्वारा जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है।
इस व्यापक फर्जीवाड़ा में शिकायत मिलने के बाद भी बिना आवश्यकता के पंचायतों के कर्ताधर्ताओं द्वारा कागजों में सैकड़ों श्रमिकों को मजदूरी करते हुए दर्शाया जाकर शासकीय धनराशि को हडपा गया है। लेकिन जनपद पिछोर के आला अधिकारी एवं सरपंच-सचिवों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार के क्रत्यों को बखूवी अंजाम दिलाने का कार्य पिछोर जनपद पंचायत में किया जाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने की शर्मनाक तस्वीर पेश की जा रही है। इस परिस्थिति में जनप्रतिनिधियों व वरिष्ठ अधिकारियों का मौन रवैया इन भ्रष्टाचारियों को बढावा देने का कार्य कर रहा है।
पिछोर जनपद के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतो में रोजगार सहायक, सरपंच व सचिव की मिली भगत से फर्जी हाजरी लगाकर मनरेगा के तहत हो रहे निर्माण के लिए स्वीकृत राशि में जमकर भ्रष्टाचार किया है। लम्बे स्तर पर घटित हुए भ्रष्टाचार की नजीर के रूप में पिछोर जनपद की पंचायतें देखी जा रही हैं। जहां कागजों में दम से विकास की गंगा बाहि जाकर शासकीय धनराशि निकाली जा रही है और धरातल आज भी विकास से कोसों दूर है।
जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत आसपुर में 20 लाख, पटसेरा में 12 लाख,शेरगढ में 7 लाख,सलैया 8 लाख,पारेश्वर,11 लाख, नदना में 9 लाख,मनपुरा में 26 लाख,खेरवास 12 लाख, बदरवास में 6 लाख, अटरूनी,वाचरोन,15 लाख,मुहार 5 लाख,धौरा 15 लाख,गौचोनी 5 लाख, बदरखा 8 लाख,आदि पंचायतों में 15-15 लाख रूपये कि राशि खुर्द-बुर्द की जा चुकि है, एवं विकास महज कागजों में हुआ है, धरातल पर विकास ही लापता है। जिले के अधिकारियों को पंचायतों का निरिक्षण करने की आवश्यकता है, सच्चाई स्वतः सामने आ जाएगी।
शासन की योजनाओं की उडा रहे धज्जियां
जनपद पंचायत पिछोर की ग्राम पंचायतों में रोजगार गारंटी योजना, मर्यादा अभियान, पंचपरमेश्वर, इंदिरा आवास, एनआरजीएस, कंटूनेंस, बृद्वावस्था पेंशन, बीपीएल आदि योजनाओं का क्रियान्वयन बास्तविकता के धरातल पर नहीं हो रहा। सरपंच-सचिव मिलकर शासन की महत्कांक्षी योजनाओं को पलीता लगाने में लगे हुए हैं।