किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP दिलाने का अध्यादेश जारी करें सरकार: श्रीप्रकाश शर्मा - SHIVPURI NEWS

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शिवपुरी।
भाजपा की सरकार ने कि‍सानों को बेबकूफ बनाने और उनका मालिकाना हक छीनकर व्यापारियों को उनके ऊपर हुकुमत करने के लिए तीन अध्याादेश पारित कि‍ए हैं जिनका कांग्रेस पार्टी पूरी तरह विरोध करती है और कि‍सानों को अपनी भूमि और फसल का मालिक बनाये रखने के लिए दृढता से लड़ती रहेगी कि‍सान विराधी एक अध्यादेश में मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन कि‍या है।

जिसमें खाद पदार्थों की जमाखोरी पर लगा प्रति‍बंध हटा दिया गया है। जिसकी बजह से अब व्यापारी असीमित मात्र में अनाज, दालें, तिलहन, खाद ,तेल ,प्याज और आलू का स्टॉक कर कि‍सानों की फसलों के आने पर यह स्टॉक अगर बाजार में उतारेंगे तो कि‍सानों की उपज की कीमत जमीन पर आ जाएगी और कि‍सान को मजबूर कर यही व्यापारी उसकी उपज को ओने-पौने दामों में बेचने के लिए मजबूर करेंगे।

इसके विरोध में कांग्रेस जिला अध्यक्ष एडवोकेट श्री प्रकाश शर्मा ने पत्रकार परिषद के समक्ष अपनी बात रखते हुए जिला कलेक्टर के माध्यम से मप्र के राज्यपाल एवं महामहिम राष्ट्रपति महोदय से यह मांग की है कि‍ कि‍सानों के हित में केन्द्र सरकार उन्हें न्युनतम समर्थन मूल्य् (एमएसपी) दिलाने के लिए भी अध्यादेश जारी करे ताकि‍ बडे व्यापारी कि‍सानों को मजबूर कर मनमाने दामों में उसकी उपज न खरीद सकें।

कि‍सान विरोधी दूसरे अध्यादेश में सरकार ने एक नया कानून कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य पेश कि‍या है जिसकी वजह से व्यापारी कृषि उपज मंडियों के बाहर बिना टैक्स चुकाए कि‍सान की फसल खरीद सकता है चूकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी) लागू नहीं किया गया है।

व्यापारी कि‍सानों से अपने मन मुता‍बिक दामों पर मंडी से बाहर फसल खरीदेगा और अगर कि‍सान अपनी उपज बेचने के लिए मंडी में जाएगा तो टैक्स बचाने के लिए कोई व्या‍पारी मंडी में उसकी फसल नहीं खरीदेगा इससे मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और व्यापारी को सस्ती कीमत में फसल बेचने के लिए किसान मजबूर हो जाएगा ।

किसान विरोधी तीसरे अध्यादेश में नया कानून 'मूल्य आश्वासन पर कि‍सान समझौता' पारित कि‍या जो कि‍ अग्रेजों के जमाने की कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग की याद दिलाता है ताकि‍ बडी कम्पनियां कि‍सान से कॉन्ट्रेक्ट पर जमीन लेकर अपनी मनमनी फसल उगा सकें चाहे।

उससे किसान की जमीन भविष्य के लिए कि‍तनी ही अनुपयोगी क्यों न हो जाये जिला अध्यक्ष श्रीप्रकाश शर्मा ने पत्रकार परिषद को बताया की अंग्रेजी शासन में बिहार में अंग्रेज कि‍सानों से इसी प्रकार जमीन लेकर उस पर नील की खेती करके जमीन को अनुपयोगी बना देते थे इस कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग में अगर कंपनी ने किसान को पैसा नहीं दिया तो उसे एस.डी.एम और जिला अधिकारी के यहां मुकदमा लड़ना पड़ेगी जिससे किसान की जमापूंजी मुकदमा लडने में ही चली जाएगी ।

इन तीनों अध्यादेशों में न खेत मजदूरों के अधिकारों के संरक्षण का प्रावधान है और न ही जमीन जोतने वाले बटाईदारों के लिए कोई व्यवस्था है एडवोकेट शर्मा ने अंत में कहा की मोदी सरकार व्यापारियों को खुश कर कि‍सानों को मजबूर कर उनक गुलाम बनाना चाहती है अगर वाकई में सरकार किसानों की हितेषी है तो एमएसपी का अध्यादेश लाकर उन्हेंं कानूनी अधिकार दे ताकि‍ ओन-पोने दामों में किसान को अपनी उपज न बेचनी पड़े इससे किसानों का होंसला बुलंद होगा ।‍ जिला कांग्रेस कमेटी इन कि‍सान विरोधी अध्यादेशों का पुरजोर विरोध करती है।
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