खुला खत: महाविद्यालय के वाणिज्य विषय के पद की हो CBI जांच हो @ डॉ रामजी दास राठौर / SHIVPURI NEWS

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शिवपुरी। शहर के श्रीमंत माधवराव सिंधिया शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी में पूर्व में कार्यरत वाणिज्य विषय के अतिथि विद्वान डॉ रामजी दास राठौर ने माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश शासन को खुला पत्र लिखते हुए महाविद्यालय में वाणिज्य विषय के रिक्त पद के संबंध में सीबीआई जांच की मांग की हैं।

घटनाक्रम का विस्तृत ब्यौरा देते हुए बताया कि महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य प्रो. महेंद्र कुमार द्वारा दिसंबर 2019 में नियमित सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति के कारण उन्हें फालआउट कर दिया गया जबकि महाविद्यालय में लोक सेवा आयोग द्वारा 3 पदों की स्वीकृति दी गई थी. तीसरे व्यक्ति ने ज्वाइन नहीं किया था तथा उन्हें गलत तरीके से महाविद्यालय प्रशासन द्वारा फालआउट किया गया था।

इसके संबंध में महाविद्यालय के प्राचार्य, अतिरिक्त संचालक, कमिश्नर, उच्च शिक्षा मंत्री ,प्रभारी मंत्री एवं श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया जी को भी लिखित में शिकायत दर्ज कराई गई थी. जिसके प्रत्युत्तर में कुछ दिन पूर्व माननीय प्रभुराम चौधरी जी का पत्र प्राप्त हुआ था उस पत्र के संबंध में भी महाविद्यालय प्रशासन द्वारा अभी तक सार्थक पहल नहीं की गई हैं।

महाविद्यालय प्रशासन द्वारा 181 पर भी जानकारी दर्ज कराई गई जोकि पूर्ण रूप से गलत थी क्योंकि महाविद्यालय में जब 3 पद स्वीकृत हैं तो बिना किसी नियमित प्राध्यापक के ट्रांसफर अथवा ज्वाइन करने से पूर्व अतिथि विद्वान को कार्यमुक्त नहीं किया जा सकता. इस संबंध में माननीय न्यायालय का स्पष्ट निर्देश है जोकि महाविद्यालय प्रशासन द्वारा दरकिनार कर कोर्ट के आदेश की अवहेलना की गई तथा महाविद्यालय प्रशासन ने अपनी जिद के कारण फालआउट करना उचित समझा।

फालआउट के संबंध में महाविद्यालय प्रशासन की अपनी मजबूरी थी क्योंकि महाविद्यालय में कार्यरत अतिथि विद्वान डॉ रामजी दास राठौर काफी विवादों में रहे क्योंकि वह महाविद्यालय में नियमित रूप से समय पर आते थे समय पर जाते थे, प्रतिदिन महाविद्यालय में राष्ट्रगान कराते थे, छात्र-छात्राओं की नियमित रूप से उपस्थिति लेने के साथ-साथ नियमित कक्षाएं लेते थे तथा अतिरिक्त समय में सामान्य ज्ञान की कक्षाएं भी संचालित करते थे।

जबकि महाविद्यालय के अन्य सदस्यों को जब 26 जनवरी एवं 15 अगस्त पर भी आने का समय नहीं मिलता था जिसका विरोध करते थे.प्रोफेसर नारायण विश्वकर्मा के ट्रांसफर के बाद एनएसएस के सहायक कार्यक्रम अधिकारी की भूमिका भी बढ़-चढ़कर डॉ रामजी दास राठौर ने निभाई. एनएसएस के सभी कार्यक्रम कैलेंडर के अनुसार कराए तथा महाविद्यालय की संपूर्ण गतिविधियों में नेतृत्व कर महाविद्यालय को प्रदेश का बेहतर महाविद्यालय बनाने के लिए अग्रसर भूमिका निभाई जो कहीं ना कहीं महाविद्यालय प्रशासन के लिए कष्ट का विषय बनती जा रही थी।

क्योंकि जिस समय प्राचार्य मिश्रा जी का रिटायरमेंट हुआ उस समय प्रभारी प्राचार्य के लिए वरिष्ठ प्राध्यापकों ने असहमति लिखित में दर्ज कराई तो उस समय भी प्रभारी प्राचार्य का प्रभार लेने के लिए भी डॉ रामजी दास राठौर ने पहल की तथा प्राचार्य से निवेदन किया कि यदि महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रभारी प्राचार्य का पद लेने के लिए सहमत नहीं है तो मैं इस पद पर कार्य करने के लिए सहमत हूं लेकिन उन्हें प्राचार्य का प्रभार नहीं दिया जा सकता था तथा उस समय विधि विभाग के प्रोफेसर महेंद्र कुमार को वरिष्ठ प्राध्यापकों की असहमति के कारण प्राचार्य मिश्रा द्वारा प्रभारी प्राचार्य का भार दिया गया।

प्रभारी प्राचार्य बनने के साथ ही महाविद्यालय में कुछ सकारात्मक परिवर्तन हुए लेकिन सकारात्मक परिवर्तनों में डॉ. रामजी दास राठौर का दखल लगातार बढ़ रहा था जो महाविद्यालय के अन्य साथियों द्वारा उचित नहीं समझा गया। इस संबंध में महाविद्यालय में एक विरोधी माहौल बनने लगा कि यदि डॉ.रामजी दास राठौर ही सभी कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भूमिका ले रहे हैं तो हम सब का इस महाविद्यालय में महत्व क्या है?


इसलिए समय मिलते ही महाविद्यालय प्रशासन द्वारा दूसरे पद पर नियमित प्राध्यापक की जॉइनिंग के साथ ही उन्हें फालआउट कर दिया गया. प्रभारी प्राचार्य प्रोफेसर महेंद्र कुमार से संवाद कर तथा 181 पर जानकारी मांगी गई, तो जानकारी दी गई कि तीसरे पद से शासकीय कन्या महाविद्यालय में कार्यरत प्रो. श्यामसुंदर खंडेलवाल को वेतन दिया जा रहा हैं।

अतः तीसरा पद भरा मानते हुए आपका फॉल आउट किया गया है. मैंने महाविद्यालय प्रशासन से प्रश्न किया यदि महाविद्यालय में केवल 2 पद स्वीकृत थे तो मध्यप्रदेश शासन से आपने 3 पद क्यों मांगे ? और यदि 3 पद मांगे हैं तो तीसरे पद के जोइनिंग तक मुझे अपने कार्य पर रहने दिया जाए. महाविद्यालय प्रशासन ने मेरी किसी भी बात को नहीं माना.

तत्पश्चात फालआउट अतिथि विद्वानों का चॉइस फिलिंग का प्रथम चरण पूरा हुआ उस समय महाविद्यालय प्रशासन ने अपने यहां किसी भी रिक्त पद को नहीं दिखाया. लेकिन फालआउट अतिथि विद्वानों की चॉइस फिलिंग के दूसरे चरण के समय पूर्व में कार्यरत महाविद्यालय के अतिथि विद्वान केदार श्रीवास द्वारा चॉइस फिलिंग की गई, उस समय 6 मार्च 2019 को महाविद्यालय प्रशासन ने अपने पोर्टल पर एक पद खाली दिखाया, जिसकी चॉइस फिलिंग केदार श्रीवास द्वारा की गई लेकिन कोरोना काल के चलते सेकंड राउंड पूर्ण नहीं हो पाया।

बाद में चॉइस फिलिंग दोबारा चालू हुई तो श्रीमंत माधवराव सिंधिया शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी में अब कोई भी पद नहीं दिखाया गया है, जबकि वास्तविकता में आज दिनांक तक तीसरे व्यक्ति ने अपने पद पर कार्यभार नहीं ग्रहण नहीं किया हैं।

महाविद्यालय प्रशासन द्वारा वाणिज्य विषय के संबंध में डॉ रामजी दास राठौर एवं मध्य प्रदेश शासन को बार-बार भ्रामक जानकारी दी जा रही है जो कहीं ना कहीं संदेह को जन्म देती हैं।

मैं डॉ.रामजी दास राठौर माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी मध्यप्रदेश शासन से शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में वाणिज्य विषय के पद के संबंध में रिक्त है या नहीं? सीबीआई जांच की मांग करता हूं. साथ ही यह मांग करता हूं कि महाविद्यालय में कराए गए समस्त प्रकार के कार्यों की भी जांच कराई जाए तो उसमें भी काफी सारा भ्रष्टाचार एवं वित्तीय अनियमितताएं सामने आएंगी क्योंकि आए दिन कई विषयों पर महाविद्यालय में चर्चाएं होती रही हैं कि लाइब्रेरी में गलत तरीके से पुस्तके मंगाई गई हैं।

स्पोर्ट्स विभाग का सामान खरीदते समय कुछ फर्मों को लाभ देने के लिए अन्य फर्मों को औपचारिकता में उलझा कर दूसरी फर्मों को ठेके दिए गए, नवीन निर्माण कार्यों को भी नए तरीके से निर्मित कराया गया,महाविद्यालय में कार्यरत छोटे कर्मचारियों से वह कार्य कराए गए उनके कार्य क्षेत्र के बाहर था,महाविद्यालय प्रशासन का हमेशा प्रयास रहा है कि हम कागजों में अपनी कॉलेज को एक नंबर पर बनाए रखें।

महाविद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति का प्रश्न हो तो महाविद्यालय प्रशासन द्वारा विद्यार्थियों की उपस्थिति 90% से ऊपर लिखित में जारी की गई जो कि पूर्ण रूप से गलत थी. महाविद्यालय में कई विद्यार्थी ऐसे अध्यनरत रहे जिन्होंने अपना अध्यापन कार्य शहर के बाहर जाकर किया। लेकिन महाविद्यालय प्रशासन द्वारा कभी कोई सार्थक पहल नहीं की गई तथा उन छात्रों को भी महाविद्यालय प्रशासन द्वारा शासन की सुविधाओं का लाभ दिया गया जो एक भी दिन महाविद्यालय में उपस्थित नहीं रहे।

नियमित रूप से कक्षाएं लेना तथा विद्यार्थियों को रेगुलेट करना महाविद्यालय प्रशासन के लिए एक चैलेंज बनता जा रहा था यदि डॉ. रामजी राठौर इसी तरह कार्य करते रहे तथा उनकी लोकप्रियता बढ़ती रही तो हम सब को भी कार्य करना पड़ेगा. हमारा महाविद्यालय में लेट आना, साइन करके घर वापस चले जाना, गलत जानकारियां शासन को प्रदान करना यह सारी जानकारी डॉ. रामजी दास राठौर के संज्ञान में है और वह हमारा लगातार विरोध करता है इसलिए इसको फॉल आउट किया जाए जिससे कि हम सभी निर्विघ्न रुप से शासन की समस्त सुविधाओं का दुरुपयोग कर सकें और हमारा कोई भी विरोध करने वाला ना हो।

ट्रांसफर होना किसी भी नौकरी की एक प्रक्रिया है लेकिन गलत तरीके से किसी को हटाना अन्याय है तथा हटाने के बाद पद की जानकारी के संबंध में जानबूझकर गलत जानकारी प्रदान करना अपराध है तथा एक अन्य बेरोजगार व्यक्ति का हक मारना उससे भी बड़ा अन्याय है. अतः मेरी मध्यप्रदेश शासन से इस पत्र के माध्यम से मांग है कि पूरे मामले की स्पष्ट जांच कराकर दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही सुनिश्चित की जाए ताकि महाविद्यालय में न्याय व्यवस्था बनी रहे तथा अफसर अपनी मनमानी ना करें।
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