आर्दश जीवन की एक मिशाल बनकर कल रिटायर्ड हुए है शिक्षक वीरेन्द्र रघुवंशी, पढ़े जीवन की पूरी कहानी / SHIVPURI NEWS

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मुकेश रघुवंशी लुकवासा। आज से लगभग 62 साल पहले लुकवासा के श्री पन्ना लाल रघुवंशी के घर में श्रीमति चम्पादेवी ने एक बालक को जन्म दिया। इस बच्चे के जन्म से ही यह बच्चा होनहार था। कहते है पूत के पैर पालने में दिखजाते है। ऐसा ही पन्नालाल जी के साथ हुआ। पन्नालाल के घर में किलकारिया गूंजने लगे। 2 जुलाई को जन्में चम्पाबाई और पन्नालाल के बेटे का नामकरण किया गया और वह नाम था वीरेन्द्र रघुवंशी के रूप में। 

अपनी सेवानिवृत्ति के दौरान श्री वीरेन्द्र रघुवंशी ने अपने अतीत के पल शिवपुरी समाचार से सांझा किए। उन्होंने बताया कि उनकी प्राथमिक शिक्षा लुकवासा से मिडिल तक शिक्षा प्राप्त की। 9वीं मेंने शिवपुरी से 10वी बदरवास से और हायर सेकेन्ड्री कोलारस के उत्कृष्ठ विद्यालय से की। उसके शादी 1974 में शादी श्रीमति हल्की बाई के साथ हुई थी। उसके बाद उनका गौना नहीं हुआ और वह शादी के बाद अपनी तैयारी करने ग्वालियर चले गए। ग्वालियर से उन्होंने ग्रेजुएशन किया उसके बाद आगे की तैयारी के लिए वह भोपाल चले गए।

शिक्षक वीरेन्द्र रघुवंशी ने बताया कि उसके बाद 1980 में उन्होंने शिक्षक की भर्ती का पेपर दिया। उसके बाद पीएससी की तैयारी के लिए वह भोपाल में ही रहने लगे। उसके बाद उनके पिता भोपाल पहुंचे और उन्हें शिक्षक पद ज्योनिंग लेटर थमा कर कहा कि अब वह पूर्णत बालिग हो गए है। बेटा जीवन में ऐसा कोई काम नहीं करना जिससे खुद शर्मिंदा होना पढे।

उसके बाद उन्होंने 15 सितम्बर 1980 को जिला धार में शिवपुरी ट्रासंफर जून 85 में बैराड में रहा 8 दिन उसके बाद बदरवास आश्रम शाला में टीचर थे। उसके बाद जूनियर छात्राबास का प्रभार मिला। प्रमोशन होकर गुना में माध्यमिक विद्यालय सिरसी में रहे। उसके बाद आश्रम शाला में टीचर बनकर बापिस आया। 1996 में अनुसूचित जनजाति कन्या आश्रम बायगां बदरवास का दायित्व दिया गया। यह दायित्व उन्होंने 3 साल के लगभग संभाला। उसके बाद फिर आश्रम शाला में विभाग संचालित करने के विभाग ने दायित्व सौंपा था।

उन्होंने उसके बाद एमए प्रायवेट समाजशास्त्र से किया। इसी दौरान उन्हें बदरवास ब्लॉक में तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ का अध्यक्ष भी बनाया। इस दायित्व का उन्होंने 12 साल तक निर्वहन किया। उसके बाद उन्होंने पीएससी में रिर्टन की परीक्षा पास कर ली थी। परंतु इसी दौरान सरकार बदल गई। उसके बाद सूची रूक गई। जो आज तक जारी नहीं हुई।

कल 31 जुलाई को सेवानिविृति हुए शिक्षक वीरेन्द्र रघुवंशी ने भाबुक होते हुए बताया कि अब वह जीवन में एक वृद्धाश्रम खोलकर वृद्धों की सेवा करना चाहते है। उन्होंने बताया है कि वृद्धाश्रम में वह अपने जीवन में पैंशन के हिस्सा देकर अपना पूरा जीवन उसके साथ व्यतीत करना चाहते है।
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