कॉपियां जांचने को लेकर शिक्षा विभाग और शिक्षको मे विवाद:जांच टीम पर अपत्ति / Shivpuri news

Bhopal Samachar

शिवपुरी। माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं अाैर बारहवीं की बोर्ड परीक्षा की कॉपियां जांचने का विवाद थम नही रहा हैं। भले ही प्रशासन ने शिक्षको को कॉपियां घर जांचने के आदेश कर दिए हों। अब अगला विवाद जांच टीम को लेकर खडा हो गया। इस मामले में शिक्षा विभाग का अपना एक अलग तर्क हैं और शिक्षको का भी।

 डीईओ ने 36 सदस्याें की एक कमेटी निगरानी के लिए बनाई है। इस कमेटी को उन शिक्षकों के घर भेजा जाएगा, जिन्हें बाेर्ड परीक्षा की कॉपियां घर पर जांचने के लिए दी हैं। यह दल देखेगा कि शिक्षक कैसे काॅपी जांच रहे हैं। इस आदेश से शिक्षकों में गुस्सा है। उनका कहना है कि जब बांड भरवाया जा चुका है तो इस निगरानी दल की क्या जरूरत है। हालांकि कमेटी में शामिल सदस्याें काे यह तक पता नहीं है कि मूल्यांकन निगरानी में उन्हें क्या करना है।

सोमवार रात जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जारी आदेश में जिले के आठों विकासखंड में शिक्षकों के घर चल रहे बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन की प्रक्रिया को समझने के लिए निगरानी टीम बनाई गई है। यह टीम मूल्यांकन करने वाले 573 शिक्षकों के घर-घर जाकर यह पड़ताल करेगी कि जिन शिक्षकों को कॉपियां जांचने दी हैं, वह गोपनीयता और व्यवस्थित तरीके से कॉपियां जांच रहे हैं या नहीं।


शिक्षका ने कहा कैसे कोई घर आ सकता हैं रिश्तेदार नही आ रहे,सुरक्षित रहेगी टीम
जब कॉपियों का हॉलोग्राम हमें खोलना ही नहीं है तो फिर गड़बड़ी कैसे होगी। होलोग्राम लगा होने से कॉपी किस छात्र की यह पता नहीं चल पाएगा क्योंकि उसका रोल नंबर नहीं दिखेगा। इस होलोग्राम को कॉपी जांचने के बाद उत्कृष्ट विद्यालय में जमा करने के बाद ही खोला जाएगा। ऐसे में गड़बड़ी की गुंजाइश बचती ही नहीं है।

उप मुख्य परीक्षक के सामने जमा करने की प्रक्रिया होगी, जिसमें वह मूल्यांकनकर्ता शिक्षक की कुल कॉपियों में से 10 फीसदी कॉपियों की पड़ताल भी करेगा।जिला केंद्र पर ही मूल्यांकनकर्ता उप मुख्य परीक्षक के सामने ओएमआर शीट पर नंबर चढा़एगा। ऐसे में जिम्मेदार शिक्षकों पर अविश्वास करना ठीक नहीं।यदि 10 दिन बाद भी शिक्षक कॉपियां जमा नहीं कराए तब मूल्यांकन निगरानी समिति काे जांच का अधिकार है।


जब रिश्तेदार नहीं आ रहे तो निगरानी दल का सदस्य क्यों आएगा
जब शिक्षक घर में होता है तो वह दिन में भी कॉपी जांच सकता है और रात में भी। हमसे बांड तो भरवा ही लिया है फिर मॉनीटरिंग कैसी। दूध वाले, सब्जी वाले और रिश्तेदार तक घर नहीं आ रहे फिर अधिकारी कैसे घर में प्रवेश करेंगे। निगरानी समिति हमारी समझ से परे है।
स्नेह सिंह रघुवंशी, मूल्यांकन कर्ता शिक्षक

शिक्षकाें काे इससे परेशानी क्याें हाे रही, यह हमारी समझ से परे है
 समय पर मूल्यांकन कार्य हो और शिक्षक घर पर कैसे मूल्यांकन कर रहे हैं, हम इसकी पड़ताल कराना चाहते हैं। इसी के लिए निगरानी दल बनाया गया है। अब इसमें शिक्षकों को परेशानी नहीं होना चाहिए। यदि हाे रही है ताे यह समझ से परे है।
अजय कटियार,डीईओ शिवपुरी
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