आन लाईन सर्वे: राहत के खिलाफ 90% जनमानस, सांप सीढी वाले खेल का सटीक वर्णन

Bhopal Samachar

सतेन्द्र उपाध्याय,शिवपुरी। पिछले 25 दिनो से जिले में कोरोना पॉजीटिव केस नही मिलने के कारण सरकार ने बूंद भर राहत दी हैं,लेकिन इस बूंद भर राहत के लिए भी लोग तैयार नही हैं।सोशल पर शिवपुरी समाचार ने जनमानस से एक प्रश्न रखा था कि लॉक डाउन में कुछ रियायत दी गई तो क्या हो सकते है हालात,अपनी प्रतिक्रिया दें।

इस प्रतिक्रिया में लगभग सभी लोगो ने एक साथ एक ही स्वर में कहा हैं कि हमारी मेहनत पर पानी फिर जाऐगा। इस मेडिकली कफ्यू में सबसे ज्यादा इस बात का विरोध हो रहा हैं कि सुबह 7 बजे से 11 बजे तक आवश्यक चीजो की दुकान खोलने का निर्णय सही और सटीक था। इसी निर्णय के कारण कोरोना से जीत की ओर अग्रसर है।

शहर के युवा पत्रकार टिंकल जोशी ने एफबी पर एक शानदार प्रतिक्रिया दी हैं सांप सीढी का खेल ना हो जाए हम कोरोना के खिलाफ 99 प्रतिशत जंग जीत चुके हैंं लेकिन अब इस राहत से कही हमे सांप सीढी के खेल जैसे 99 पर आकर सांप न काट ले और हमारी गिनती 1 से शुरू हो जाए।

वही रन्नौद के तेज तर्रार पत्रकार अरविंद सिेंह तोमर ने कडी प्रतिक्रिया दर्ज कराई हैं। तत्रकार तोमर ने पोस्ट किया है। कि माननीय देश का प्रधानमंत्री पूरी तैयारी के साथ खड़ा हुआ है उनके साथ 125 करोड़ लोग खड़े हुए हैं। किन्तु अधिकारी यह नही चाहते हैं इन योजनाओ को ठीक से लागू नही कर रहे हैं उसका कारण है,भ्रष्टाचार क्योंकि कुछ अधिकारी नहीं चाहते कि उनकी ऊपर की कमाई पर प्रभाव पड़े।

वही बैराड के स्कूल संचालक कल्याण वर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया ने कल बैराड में हुए पुष्प वर्षा कांण्ड को जोडते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी हैं कि कल थोडी सी छूूट क्या मिली 5 हजार लोग एकत्रित हो गए। अब राहत के नाम क्या होगा भगवान जाने।

वही बजरंग दल के नेता विनोदी पुरी ने लिखा हैं कि बहुत खराब हो सकते है हालात इतने दिनों की मेहनत बेकार हो जायेगी। इसी प्रकार की पोस्ट कर कई लोगो ने अपनी प्रतिक्रिया दी हैं कि हमारी मेहनत बेकार हो सकती हैं। 1 भी 25 को डूबो सकता है।

वही Lokendra Singh Vashishth ने पोस्ट किया हैं बाहरी ट्रको की आवाजाही ट्रकों के ड्राइवरों में कौन संक्रमित है और कितनों को संक्रमित करेगा सभी जगह एक दूसरे का मिलना आना जाना होगा इससे बीमारी फैलने का बहुत बड़ा खतरा उत्पन्न है।

वही सरकार का फैसला मनरेगा के उचित कदम हैं गांवो में वैसे ही भीड नही होती हैं। पलायन कर वापस लौटे मजदूरो को काम मिलेगा यह उचित है। लेकिन शहरो में राहत घबराहट पैदा कर सकती हैं। 
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