स्मार्ट चिप घोटाला: युवा पत्रकार विजय शर्मा का मामला अब विधानसभा में नरोत्तम मिश्रा उठाऐंगें | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी के युवा पत्रकार विजय शर्मा के द्धवारा उठाया गया स्मार्ट चिप घोटाला मामला अब विधानसभा में उठेगा। बताया जा रहा हैं प्रेदश कें परिवहन कार्यालय का काम कर रही स्मार्ट चिप कंपनी लाखो का घोटाला प्रतिदिन कर रही हैं। इस घोटाले को रोकेने के लिए विजय शर्मा ने ग्वालियर हाईकोर्ट में एक पीआईएल भी लगा रखी हैं।

जानकारी आ रही है कि यह मामला अब विधानसभा में गूजेंगा। दतिया विधायक पूर्व मंत्री ओर भाजपा के कदावर नेता नरोत्तम मिश्रा ने प्रश्न क्रंमाक 1186 से परिवहन मंत्री से पूछा हैं कि क्या वर्ष 2013 में मध्यप्रदेश स्मार्ट चिप साफ्टवेयर कंपनी को परिवहन विभाग में कम्प्यूटरीकृत प्रणाली के ठेके दिए गए हैं यादि हां तो अनुबंध की शर्ते व समय सीमा क्या थी।

क्या स्मार्ट चिप कंपनी का अनुबंध पूर्ण होने के बाद भी प्रश्न दिनांक तक कार्य कर रही हैं। यादि हों तो क्यों....विभाग द्धारा कंपनी को प्रति माह कितनी राशि का भुगतान किस नियम किया जा रहा हैं क्या विभाग में कंपी का अनुबंध समाप्त करने अथवा नया अनुबंध करने के संबंध में कार्यवाही प्रचलन में हैं। यादि हां तो कब तक कंपनी को अनुबंध समाप्त कर दिया जावेगा।

क्या शासन कंपनी का अनुबंध पूर्ण होने के बाद भी कंपनी को किए गये भुगतान की जांच कराकर कंपनी से वसूली की कार्यवाही करेगा। यादि हां तो समय सीमा बतावे यादि नही तो क्यों...क्या प्रदेश में स्मार्ट चिप कंपनी के खिलाफ अवैध वसूली की शिकायते प्राप्त हुई हैं। यादि हां तो शासन द्धारा शासन द्धारा कंपनी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई यादि नही तो क्यो........

पाठको को जानकारी के लिए हम बता दे कि वर्तमान में स्मार्टचिप लिमिटेड और परिवहन विभाग के मध्य हुआ अनुबंध की अवधि 5 वर्ष पूरी होने की वजह से समाप्त हो चुका है। प्रदेश की सरकार बदलने की वजह से अनुबंध का नवीनीकरण नही हुआ है। पूर्व परिवहन आयुक्त शैलेंद्र श्रीवास्तव से मधुर संबंधों की वजह से कंपनी 3-3 माह का एक्सटेंसन लेकर कार्य कर रही है।

विभागीय सूत्र बताते है कि ये एक्सटेंशन परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की मंशा के बगैर पूर्व परिवहन आयुक्त ने अपने स्तर पर कंपनी के साथ अपने संबंधों को निभाते हुए किया है। जिससे परिवहन मंत्री और परिवहन आयुक्त के बीच खटपट भी हुई थी उसी वजह से पूर्व परिवहन आयुक्त शैलेन्द्र श्रीवास्तव का सेवानिवृति के 9 माह पहले स्थानांतरण अन्य विभाग में किया गया।

स्मार्टचिप चाहती है कि अनुबंध पुरानी दरों में कुछ प्रतिशत की वृद्धि कर जैसा का तैसा आगे 5 साल के लिए बड़ा दिया जाए लेकिन परिवहन मंत्री चाहते है कि नई निविदा जारी कर अन्य कंपनियों को भी मौका दिया जाए। फिलहाल इस मामले में सभी ने चुप्पी बरती हुई हैं। यह मामला पीआईएल के रूप में हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं। अब इस मामले में नया मोड यह आया हैं कि यह मामला विधानसभा में सवाल बन कर सरकार के लिए खडा हो रहा हैं। 
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