5वीं-8वीं बोर्ड पैटर्न परीक्षा से सरकारी शिक्षक नाराज, बोले प्राइवेट वालों को छूट क्यों दी | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। सरकार कभी कभी ऐसे नियम धरातल पर उतारने का प्रयास करती हैं जो बिल्कुल व्यावारिक नही होते,समानता जैसी कोई चीज नही होती हैं,ऐसे ही शिक्षा विभाग ने नियम लॉच किया हैं जो अशिक्षितो जैसा लगता हैं,इसमें समानता का अधिकार नही हैं। मामला हैं शिक्षा के स्तर सुधारने के लिए बनाए गए 5वीं और 8वीं क्लास की परिक्षा के बोर्ड पैर्टन का।

जैसा कि विदित हैं मप्र के शिक्षा विभाग ने शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कक्षा 5वीं और 8वीं की परीक्षा बोर्ड पैटर्न में (बोर्ड परीक्षा नहीं) आयोजित कराने का निर्णय लिया हैं। इस निर्णय में बताया जा रहा हैं कि सरकारी स्कूला में पढने वाले बच्चे अपने स्कूल में परिक्षा नही देंगें। बोर्ड पैटर्न पर दूसरे स्कूलो में इनके केन्र्द बनाए जाऐंगें।

इनके पेपर भी भोपाल में बनेंगेें और भोपाल से आऐंगें। काफी भी दूसरे स्कूल के शिक्षक चैक करेंगें।कुल मिलाकर यह परिक्षा 10वीं ओर 12वीं क्लास के बोर्ड पैटर्न की तरह ही आयोजित की जाऐंगी। कुल मिलाकर सरकारी स्कूलो के बच्चो और शिक्षको की यह परिक्षा अग्नि परिक्षा की तरह होेगी।

प्राईवेट स्कूलो को और उनके बच्चो का इस नियम से दूर रखा गया हैं। सरकारी और निजी स्कूलो के बीच इस नियम असमानता हैं,प्राईवेट स्कूलो के बच्चो के पेपर देने के लिए दूसरे स्कुलो में केन्द्र नही बनाया जाऐगा और ना ही उनके पेपर भोपाल से आऐगें,वे जिस स्कूलो में पढते है वही उनका पेपर बनेंगा और वही उनकी कॉफी चैक होगी। कुल मिलाकर इस नियम का दूसरा पहलू समझे सरकार ने माना हैं,की सरकारी स्कूलो का शिक्षा का स्तर शून्य है इसकी सुधार की ज्यादा आवश्यकता हैं।

अब देखे बच्चो के आंकडें

यहां बता दें कि जिले में 1905 प्राथमिक और 668 माध्यमिक स्कूल संचालित है। जबकि 1 हजार से अधिक करीब निजी स्कूल हैं। इन स्कूलों में 2 लाख 82 हजार 621 बच्चे कक्षा 5वीं और 8वीं में दर्ज है, जिसमें 26 हजार 542 निजी मिडिल स्कूल में और 37 हजार 923 निजी प्रायमरी स्कूल में बच्चे दर्ज हैं।

राज्य शिक्षा केंद्र के नए आदेश के मुताबिक जिले के 2 लाख 18 हजार 156 बच्चों की परीक्षा के लिए पेपर भोपाल से आएंगे। साथ ही 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा की तरह उनके केंद्र बनाए जाएंगे। साथ ही उनकी कापियां भी दूसरे स्कूलों में चैक होगी। जबकि 64 हजार 465 बच्चे जो कि अनुदान प्राप्त अथवा निजी स्कूलों हैं उनके लिए विद्यालय स्वयं ही पेपर बनाएंगे।

5वीं-8वीं में डिटेंशन पॉलिसी होगी लागू

निर्देश में कहा गया है कि वर्ष 2019-2020 निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 में भारत सरकार द्वारा किए गए संशोधन एवं म.प्र. शासन द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार 5वीं और 8वीं की इस साल वर्ष के अंत में नियमित परीक्षा होगी। आरटीई एक्ट में कक्षा 5वीं एवं 8वीं में डिटेंशन पॉलिसी लागू होगी।

यह है सरकारी और निजी स्कूलों में दर्ज छात्रों की संख्या

स्कूल 5वीं 8वीं
सरकारी 127722 90434
निजी 37923 26542
कुल 165645 116976

पास होने के लिए 33 प्रतिशत अंक लाना होगा जरूरी
मुख्य परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने वाले छात्रों के लिए फिर से परीक्षा का आयोजन होगा। जिसकी तैयारी के लिए विशेष कक्षाओं का आयोजन किया जाएगा। मुख्य परीक्षा में सफल विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए प्रत्येक विषय में परीक्षार्थी को 33 फीसदी अंक हासिल करना जरूरी होगा।

कक्षा 5वीं एवं 8वीं में प्रत्येक विषय का प्रश्न-पत्र 100 अंकों का होगा। इसमें 90 अंक का लिखित प्रश्न-पत्र एवं 10 अंक की मौखिक परीक्षा होगी। मौखिक परीक्षाएं भी परीक्षा केंद्र पर ही आयोजित की जाएंगी। वार्षिक परीक्षा में लिखित एवं मौखिक परीक्षा के अंक जोड़कर विद्यार्थी को प्रत्येक विषय में 33 फीसदी अंक प्राप्त करना जरूरी होगा।

मासिक मूल्यांकन, त्रैमासिक मूल्यांकन, प्रतिभा पर्व (अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन) के अंकों को जोड़कर आंतरिक मूल्यांकन के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। सहशैक्षिक व व्यक्तिगत सामाजिक गुणों के विषयों को ग्रेड में अंकित किया जाएगा।

एक अवसर और मिलेगा: 
मुख्य परीक्षा में अनुपस्थित विद्यार्थियों को फिर परीक्षा के दौरान सभी विषयों में परीक्षा में शामिल होने का एक अवसर दिया जाएगा। कक्षा 5वीं-8वीं की वार्षिक परीक्षा में उत्तीर्ण विद्यार्थियों की प्रावीण्य सूची का प्रावधान नहीं होगा और न ही विषयों में पुर्नगणना का प्रावधान होगा। पुनः परीक्षा में सम्मिलित होने वाले विद्यार्थी यदि सभी विषयों में उत्तीर्ण नहीं हो पाते हैं तो वह अनुत्तीर्ण माने जाएंगे।

शिक्षक कर रहे विरोध

सरकार के दोहरे व्यवहार को लेकर सरकारी स्कूल के शिक्षकों में असंतोष पनप रहा है। शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा नीति एक होना चाहिए। प्रायवेट स्कूलों और सरकारी स्कूलों के नियम अलग अलग नहीं होना चाहिए। उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों के लिए केंद्र बनाए जाने से छात्रों को आवागमन की परेशानी होगी, जिससे उनकी उपस्थिति गड़बड़ाने की संभावना है।

वहीं यदि किसी वजह से रिजल्ट बिगड़ने पर उन्हें कार्रवाई का डंडे का डर भी सता रहा है। कारण यह है कि इस बार 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा का परिणाम बिगड़ने पर सरकार की ओर से हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी विद्यालय के शिक्षकों पर 20-50 के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति जैसी कार्रवाई की गई।

परीक्षा में उपस्थिति घट सकती है

शिक्षा नीति एक होना चाहिए। उसमें सरकारी और निजी स्कूलों का फर्क नहीं होना चाहिए। जिस प्रकार से 5वीं और 8वीं की बोर्ड पैटर्न परीक्षा का फार्मूला तैयार किया गया है, इसमें अंतर है। केंद्र व्यवस्था होने से छोटे बच्चों को परेशानी होगी, जिससे परीक्षा में उपस्थित घट सकती है। धर्मेंद्र सिंह रघुवंशी, जिलाध्यक्ष राज्य कर्मचारी संघ
निजी स्कूलों को राहत है

इस बार 5वीं और 8वीं की परीक्षा बोर्ड पेर्टन पर होगी। इसके तहत पेपर भोपाल से आएंगे। केंद्र बनाए जाएंगे। साथ ही कापियां दूसरे स्कूलों में चेक होने जाएंगी। हालांकि इसमें अनुदान प्राप्त और निजी स्कूलों को राहत है।
अंगद सिंह तोमर,बीआरसीसी शिवपुरी
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