शिवपुरी। गुरूवार की सुबह 8 बजकर 9 मिनिट से प्रारंभ हुआ वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण 10 बजकर 59 मिनिट तक रहा। इस दौरान सूतककाल में मंदिरों के पट बदं रहे, जो अब शाम को साढ़े 7 बजे खुलेंगे। इसके पश्चात भगवान की आरती और पूजा की जाएगी। सूतक सूर्यग्रहण से 12 घ्ंाटे पहले बुधवार रात 8 बजे से वेद बैठने के चलते शुरू हो गया था।
इसी के साथ ही मंदिरों के कपाट भी बंद हो गए थे और आज सुबह 10 बजकर 58 मिनिट पर मोक्ष होने के साथ ही सूर्य ग्रहण समाप्त हो गया। ग्रहण का देशभर में व्यापक असर रहा और इसमें शिवपुरी भी शामिल थी। ग्रहण के दौरान घरों में पूजापाठ पर भी प्रतिबंध रहा और लोग सूतककाल में साधना और मंत्र जाप करते रहे। मोक्ष के पश्चात दान देने का भी प्रचलन चलता रहा।
सूर्यग्रहण के पश्चात दान देना लाभकारी माना गया था। अगला सूर्यग्रहण 21 जून 2020 को होगा और आज पडऩे वाला यह सूर्यग्रहण दुर्लभ माना गया। क्योंकि 296 साल पहले 7 जनवरी 1723 को ऐसा दुर्लभ सूर्यग्रहण हुआ था। उसके बाद से आज 26 दिसंबर को ग्रह नक्षत्रों की वैसी ही स्थिति रही जो 296 साल पहले रही थी। सूतक हटने के बाद शाम को मंदिरों की साफ-सफाई करने और नदियों व अन्य जल स्त्रोतों में स्नान करने की परम्परा है। इसके बाद ही शाम के समय भगवान की पूजा आराधना शुरू होगी।
इसी के साथ ही मंदिरों के कपाट भी बंद हो गए थे और आज सुबह 10 बजकर 58 मिनिट पर मोक्ष होने के साथ ही सूर्य ग्रहण समाप्त हो गया। ग्रहण का देशभर में व्यापक असर रहा और इसमें शिवपुरी भी शामिल थी। ग्रहण के दौरान घरों में पूजापाठ पर भी प्रतिबंध रहा और लोग सूतककाल में साधना और मंत्र जाप करते रहे। मोक्ष के पश्चात दान देने का भी प्रचलन चलता रहा।
सूर्यग्रहण के पश्चात दान देना लाभकारी माना गया था। अगला सूर्यग्रहण 21 जून 2020 को होगा और आज पडऩे वाला यह सूर्यग्रहण दुर्लभ माना गया। क्योंकि 296 साल पहले 7 जनवरी 1723 को ऐसा दुर्लभ सूर्यग्रहण हुआ था। उसके बाद से आज 26 दिसंबर को ग्रह नक्षत्रों की वैसी ही स्थिति रही जो 296 साल पहले रही थी। सूतक हटने के बाद शाम को मंदिरों की साफ-सफाई करने और नदियों व अन्य जल स्त्रोतों में स्नान करने की परम्परा है। इसके बाद ही शाम के समय भगवान की पूजा आराधना शुरू होगी।
