अंबारी गांव में घुसा कृष्णा बांध का बैकवाटर, मंदिर, स्कूल, आंगनबाड़ी सब पानी में डूबे | karera News

Bhopal Samachar
करैरा। खबर जिले के दिनारा कस्बे से आ रही हैं जहां जनमानस की सुविधा के लिए बनाए गए डेम  ग्रामीणो के लिए संकट बन चुका हैं। डेम की जलभराव की उचित प्लानिंग न होने के कारण निर्धारित सीमा से अधिक जलभराव होने के कारण एक गांव पूरी तहर से डूब में आ चुका है।

जानकारी के अनुसार दिनारा के कासना नाल पर बनया गया कृष्णा डेम के निर्माण के समय खंमिया रखी गई। इस डेम के जलभराव का सही आकंलन विभाग के इंजीनियर नही कर सके। और इस कारण निर्धारित सीमा से अधिक डेम का जलभराव हो गया हैं। इस कारण डेम किनारे बसे अंबारी गांव के लिए यह डेम आर्शीवाद के जगह अभिश्राप बन चुका है।

बताया जा रहा हैं कि  डैम के डूब क्षेत्र में प्रस्तावित एरिया से कहीं अधिक क्षेत्र जलमग्न हो चुका है। इसके चलते आंगनबाड़ी, स्कूल भवन, मंदिर सब डूबने की कगार पर हैं। आने जाने का रास्ता जलमग्न है। जिस रास्ते से मवेशियों को रोजाना चारागाह तक ले जाया जाता है, वह पूरी तरह डूब चुका है। स्थिति यह है कि ग्रामीणों को अमूमन हर दिन अपनी जान की कीमत पर दिन में दो बार 300 मीटर जलभराव क्षेत्र को पार कर आना जाना पड़ता है। अब तक प्रशासन ने इस मामले में कोई सुध भी नहीं ली है।

जान पर खेलकर लाते हैं पीने का पानी

गांव की आबादी को पीने के पानी के दो हैंडपंप लगे हुए और यह डूब क्षेत्र मे लगे हुए हैं। हैंडपंपों पर जाने का रास्ता खंडों से बनी जलसंसाधन विभाग की दीवार है, जो कई जगह टूट गई है। टूटी हुई जगह गांव वालों एक लकड़ी डालकर रास्ता बना लिया है। ग्रामीणों को हर दिन पीने के पानी के लिए भी अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ रही है।

सैकड़ों बीघा में खड़ी फसल खराब

किसानों ने डूब क्षेत्र में फसलों की बोवनी की थी, लेकिन डूब क्षेत्र से अधिक हिस्से में पानी भर जाने के कारण किसानों की करीब 200 बीघा जमीन में खड़ी फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। ग्रामीण दिनेश यादव, शिवकुमार यादव, नंदकिशोर यादव ने कई बीघा में गोभी की फसल बोई थी, लेकिन जलभराव के चलते उनकी फसलें पूरी तरह से खराब हो गई।

स्कूल में 34 तो आंगनबाड़ी में दर्ज हैं 71 बच्चे

स्कूल, आंगनबाड़ी भवन तक डूबने की कगार पर आ गए हैं। अंबारी के शासकीय प्राथमिक विद्यालय में 34 बच्चे दर्ज हैं। वहीं आंगनबाड़ी केंद्र में 71 बच्चे दर्ज हैं। ऐसे में बच्चों को स्कूल और आंगनबाड़ी तक भी अपनी जान जोखिम में डालकर जाना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि यदि पानी और भर जाएगा तो स्कूल और आंगनबाड़ी कैसे संचालित होंगे, इसकी चिंता उन्हें सता रही है।

स्कूल और आंगनबाड़ी को शिकायत के डर से निजी भवन में शिफ्ट करवाया

बीते रोज दिनारा में आयोजित हुए आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत शिविर लगा था। इस शिविर में शिकायत होने के डर के चलते एक दिन पहले ही स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र तो निजी भवन में शिफ्ट करवाया गया। जिस जगह आंगनबाड़ी को शिफ्ट किया गया, उस भवन में कंडे भरे थे। जिनकी सफाई कर आंगनबाड़ी चालू की और वहां जाने के लिए रास्ता भी नहीं है।

मवेशियों की पूंछ पकड़कर जाना पड़ता है उस पार

गांव के आशाराम यादव, लखन सिंह यादव, बाबूलाल यादव,अतरसिंह यादव, गोविंदसिंह यादव, शीतलप्रसाद यादव, अशोक यादव, ब्रजेश यादव, रामकिशन रजक, रामेश्वर तिवारी ने बताया कि भराव क्षेत्र के उस पार भी हमारी खेती की जमीन है, जिस पर जाने के लिए या तो हमें सात किलोमीटर का चक्कर लगाकर जाना पड़ता है या डूब क्षेत्र को पार कर कर जाना पड़ता है।

डूब क्षेत्र की चौड़ाई लगभग 400 मीटर है। इसे पार करने में सांसें फूल जाती हैं। मवेशियों का भी सहारा लेना पड़ता है, उनकी पूंछ पकड़कर कई बार पार होना पड़ता है। मवेशियों को चराने के लिए सारे गांव के मवेशी भी पार करके दूसरी ओर ही जाते हैं, क्योंकि पशुचारे की उपलब्धता दूसरी ओर ही हैं। गांव में मवेशियों की संख्या अधिक है, जिससे परेशानी हो रही है।

मुआवजा दिया 300 बीघा का, डूब क्षेत्र में 500 बीघा भूमि

गांव वालों ने आरोप लगाया कि जलसंसाधन विभाग ने गांव की 300 बीघा जमीन का मुआवजा ही गांव वालो को दिया है, लेकिन डूब में 500 बीघा से अधिक जमीन आ रही है। गांव वालों ने यह भी आरोप लगाया कि डैम के गेटों को तीन फीट अधिक ऊंचा कर दिया गया है। इसके कारण यह परेशानी आ रही है।
गांव के लोगों ने आरोप लगाया कि जलसंसाधन विभाग के द्वारा डूब क्षेत्र में जो बाउंडरी बाल बनाई गई थी, जिसकी लागत 20 लाख रुपए से अधिक आई थी, वह भी कई जगह टूट गई है। इससे किसानों को बहुत नुकसान हो रहा है। डैम का पानी किसानों के खेतों में आ रहा है। फसल खराब हो रही है।

यह बोले ग्रामीण

पानी का भराव बढ़ जाने के कारण 500 बीघा जमीन और डूब गई है। खेत भर गए हैं। पीने के पानी के लिए महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गांव मे आवागमन की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई। स्कूल और आंगनबाड़ी डूब में है। गांव के चारों ओर पानी भर चुका है।

जानवरों का पशुचारा डैम के दूसरी तरफ है, जिन्हें दूसरी तरफ ले जाने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। चरवाहे और किसान मवेशियों की पूंछ पकड़कर दूसरी ओर पहुंच पाते हैं। आवागमन के लिए पुल बनाया जाए, जिससे उनकी समस्या खत्म हो सके।
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