शिवपुरी में आयोग की सुनवाई में 40 प्रकरणों का हुआ निराकरण | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा जिलास्तर पर मानव अधिकार हनन से संबंधित लम्बित एवं मौके पर प्राप्त मामलों की सीधी सुनवाई की जा रही है। इसी श्रृंखला में गुरूवार 19 सितम्बर को जिला कलेक्टर कार्यालय, शिवपुरी के सभाकक्ष में आयोग की पूर्ण पीठ (फुल बैंच) द्वारा ऐसे मामलों की सुनवाई की गई।

आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन तथा आयोग के माननीय सदस्यद्वय  मनोहर ममतानी एवं सरबजीत सिंह ने शिवपुरी जिले के सभी लंबित प्रकरणों सहित मौके पर मिले नये प्रकरणों की सुनवाई की। इस अवसर पर कलेक्टर  श्रीमती अनुग्रहा पी., एसपी राजेश सिंह चन्देल, सीईओ जिला पंचायत एच.पी. वर्मा, अपर कलेक्टर आर.एस.बालोदिया, मध्यप्रदेष मानव अधिकार आयोग के शिवपुरी जिले के प्रभारी अधिकारी सीताराम सत्या सहित संबंधित विभागों के जिलाधिकारी/कर्मचारी और पक्षकारगण मौजूद थे।

आयोग की सीधी सुनवाई के दौरान शिवपुरी जिले में मानवाधिकार हनन से जुड़े 27 पुराने लंबित प्रकरणों के अलावा 29 नये, कुल 56 प्रकरण रखे गये। इनमें से 40 प्रकरणों का मौके पर ही निराकरण कर दिया गया।

सुनवाई में रखे गये 27 पुराने लंबित प्रकरणों में से 23 प्रकरणों और मौके पर मिले 29 नये प्रकरणों में से 17 प्रकरणों का भी अंतिम निराकरण कर दिया गया। निराकरण से शेष रह गये 16 प्रकरणों (04 पुराने एवं 12 नये) में आयोग द्वारा कलेक्टर, एसपी व अन्य संबंधित अधिकारियों को इन मामलों का निराकरण कर आयोग कार्यालय को प्रतिवेदन भेजने तथा आवेदकों को भी सूचित करने के लिये दो से तीन सप्ताह की समय-सीमा दी गई।

इस मौके पर आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री जैन ने शिवपुरी शहर के वार्ड नं. 36, संजय कालोनी निवासी श्रीमती मीना पत्नी श्री रामसेवक खटीक के आवेदन पर त्वरित सुनवाई की और श्रीमती मीना को उनके पति श्री रामसेवक खटीक का भीषण दुर्घटनावश उसके दोनों पैर क्षतिग्रस्त हो जाने और अब उसके काम करने के लायक न रहने के कारण जिला रेडक्रास सोसायटी शिवपुरी की ओर से 10 हजार रूपये की सहायता राशि का चेक प्रदान किया।

आयोग द्वारा सुनवाई में शिवपुरी जिले के दूरदराज़ इलाकों से आवेदन लेकर आये सभी आवेदकों की समस्या/शिकायत/मांग विस्तार से सुनी गयीं और इनके शीघ्र निराकरण हेतु मौके पर मौजूद वरिष्ठ जिला अधिकारियों को निर्देशित किया गया। जिन प्रकरणों में जांच की आवश्यकता थी, उनमें आयोग द्वारा जांच के लिये समय-सीमा भी मौके पर ही दे दी गई। आयोग की इस जनसुनवाई से पक्षकारों द्वारा संतुष्टि व्यक्त की गई।   
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