दो संस्कृतियों के टकराव का परिणाम हैं शाही जी का लंकेश्वर: Y P SINGH

Bhopal Samachar
शिवपुरी। आज कर्मचारी भवन में प्रसिद्ध साहित्यकार एवं कर्मचारी नेता मदन मोहन शर्मा शाही की 31 वीं पुण्यतिथि मनार्ई गई। यह आयोजन वन कर्मचारी संघ एवं कर्मचारी भवन ट्रस्ट ने आयोजित किया था। इसमें डीएफओ लवित भारती, प्रसिद्ध लेखक प्रमोद भार्गव, श्री पाण्डेय एवं अशोक सक्सैना मंच पर उपस्थित थे। इस अवसर पर शिवपुरी वृत्त के मुख्य वन संरक्षक वाय पी सिंह ने श्री शाही के लोकप्रिय उपन्यास लंकेश्वर पर बोलते हुए कहा कि यह उपन्यास मैंने पढ़ा है और मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि आज मुझे शाही जी की पुण्यतिथि के मौके पर लंकेश्वर पर बोलने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह उपन्यास आर्य-अनार्य संस्कृति के वर्चस्व को लेकर हुआ युद्ध है।  

वायपी सिंह ने लंकेश्वर पर आगे बोलते हुए कहा कि इसमें रावण के चरित्र को विस्तार से वर्णित किया है। रावण को प्रकाण्ड पंडित बताने के साथ नीतिवान भी बताया। उन्होंने कहा कि जब राम लंका पर चढ़ाई के लिए रामसेतु पार करने के लिए तैयार हुए तब उन्होंने रामेश्वरम् में शिवलिंग की पूजा अनिवार्य समझी। इस हेतु कोई पंडित उस क्षेत्र में उपलब्ध नहीं था इसलिए राम ने रावण को पूजन के लिए आमंत्रण दिया। रावण ने आमंत्रण स्वीकार्य तो किया ही वे सीता को भी अपने साथ पूजा के लिए लाए क्योंकि हिन्दू धर्म के अनुसार बिना पत्नि के पूजा अधूरी मानी जाती है। लेकिन रावण ने सीता से शर्त रखी थी कि पूजा के बाद उन्हें वापस आना होगा। यह नीतिज्ञ और धार्मिक रावण की एक बड़ी नीति है।

इस अवसर पर शाही जी के अनुज और लेखक पत्रकार प्रमोद भार्गव ने शाही जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वनवासियों के सहयोग के बिना राम का भगवान बनना मुश्किल था। इस उपन्यास में इस तथ्य को गंभीरता से रेखांकित किया गया है। साथ ही राम रावण के बीच हुए युद्ध का वर्णन पूरी तरह वैज्ञानिक ढंग से किया गया है जो कई तथ्यों के साथ प्रमाणित भी किया है।

इसके पहले राम रावण युद्ध को वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत नहीं किया गया। यह इस किताब की बड़ी व मौलिक उपलब्धि हैं। इस मौके पर डीएफओ लवित भारती, अशोक सक्सैना, संजय पाण्डेय ने भी शाही जी के व्यक्तित्व से प्रेरित होने के लिए श्रोताओं को आग्रह किया। कार्यक्रम का संचालन वन कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष दुर्गा ग्वाल ने सुरूचिपूर्ण ढंग से किया। बीच-बीच में कर्मचारियों की समस्याओं की ओर भी मंच को दुर्गा ध्यान दिलाते रहे। अनेक वन कर्मियों को पौधे लगे गमले भेंट कर सम्मानित किया गया। 
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