कलेजे को टुकडों को मरने को फेंकिए नही, यहां समर्पित कर दें, किसी और का घर रौशन हो जाएगा | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। बैराड़ के बस स्टैंड पर बीते रोज मिले नवजात की जानकारी सामने आते ही बाल संरक्षण अधिकारी महिला व बाल विकास शिवपुरी राघवेन्द्र शर्मा ने कहा कि प्रतिकूल परिस्थितियों में व्यक्ति को वह कार्य भी करने पड़ते हैं, जिन्हें वह नहीं करना चाहता। वह क्षण परिस्थितियों की प्रतिकूलता की चरमसीमा ही कहा जाएगा, जब कोई मां अपने नवजात को सुनसान झाड़ियों में सिसकता हुआ छोड़ जाती है।

मां तो ममता की मूर्ति होती है, वह इतनी निष्ठुर कैसे हो सकती है। उसके इस निर्णय के पीछे जो कारण रहा वह अवश्य ही इतना बड़ा रहा होगा, जिसके आगे ममता को हारना पड़ा। कभी अनचाहा गर्भ तो कभी अनैतिक कार्यों से गर्भधारण, कभी कन्या शिशु की चाहत न होना जैसे अनेकानेक कारण हो सकते हैं। तनावपूर्ण पारिवारिक माहौल भी इसका प्रमुख कारण है।

परिस्थितियां जो भी रहीं हों, लेकिन जब भी इस प्रकार की घटनाएं होती है, तब कलंकित मां की ममता को ही होना पड़ता है। हालांकि इसके लिए सिर्फ महिला ही नहीं पर्दे के पीछे खड़ा पुरुष सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। अपनी एक भूल को छुपाने के लिए नवजात को कचरे के ढेर में फेंक देना दूसरी सबसे बड़ी भूल है। भारतीय कानून में इसे गंभीर अपराध माना गया है।

ऐसे बहुत से लोग हैं, जो आपके अनचाहे पर चाहत लुटाने की आस लगाकर बैठे हैं। शासन- प्रशासन द्वारा प्रत्येक प्रसव केंद्र को शिशु स्वागत केंद्र का दर्जा दिया गया है। जहां कोई भी जन्म के तत्काल बाद अपने बच्चे को समर्पित कर सकता है। उसकी पहचान भी पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी। ऐसा करने से जहां एक ओर आपकी ममता कलंकित होने से बचेगी, वहीं दूसरी ओर एक सूनी गोद में खुशियों की किलकारी गूंजेगी।

कहां कर सकते हैं समर्पण

यदि अनचाहे गर्भ के कारण कोई अपने बच्चे को समर्पित करना चाहता है, तो उसके लिए वह अपने गांव या वार्ड की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता को भी बता सकता है। अपने नजदीकी प्रसव केंद्र या बाल विकास परियोजना कार्यालय पर संपर्क कर सकता है। चाइल्ड लाइन नंबर 1098 पर बताया जा सकता है।

बाल कल्याण समिति या जिला बाल संरक्षण कार्यालय में भी बच्चे का समर्पण किया जा सकता है। जिला अस्पताल में संचालित पालना गृह में बच्चे को छोड़ सकता है। इसके लिए उसे पहचान बताना भी जरूरी नहीं होगा। किसी प्रकार की समस्या हो तो शर्मा कहते हैं, उनके मोबाइल 9425756400 पर कॉल अथवा वॉट्सएप के माध्यम से भी अवगत कराया जा सकता है।

60 दिन तक वापस भी ले सकते हैं

यदि समर्पणकर्ता समर्पण पश्चात बच्चे को बापस लेना चाहे तो वह 60 दिन के अंदर अपने बच्चे को वापस भी ले सकता है, लेकिन 60 दिन के पश्चात बच्चे को गोद देने के लिए विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित कर दिया जाता है।

जिले के बैराड़ थाना क्षेत्र में 6-7 माह की बालिका को सड़क के किनारे छोड़ जाना, कुछ महीने पहले नबाब साहब रोड पर नाले में एक नवजात मिला था, जो पुलिस के पहुंचने से पहले ही मृत हो गया। कुछ महीने पहले एक नवजात फिजिकल थाना क्षेत्र में मिला.... इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता व संवेदनशीलता बेहद आवश्यक है। बच्चों को फेंके नहीं उसे पालने में छोड़ दें। प्रशासन पालने में रखे बच्चे को सुरक्षित जीवन देने के साथ साथ निसंतान परिवारों को बच्चा गोद देकर उन्हें खुशियां देने का काम करेगा।
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