कोलारस में पीएम आवास घोटाला, हितग्राहियों के BANK ACCOUNT बदल दिए गए

Bhopal Samachar
मुकेश रघुवंशी/ कोलारस। माफ करना शब्द थोडे कडे होंगें लेकिन गरीबो के हक के लिए लिखने होंगें,इस पीएम आवास में घोटाले की खबर कोलारस जनपद के ग्राम पंचायत बसाई से आ रही हैं,जहां गरीब हितग्राहियो के पीएम आवासो का भुगतान किसी ओर के एकाउंट में कर दिया है। यह घोटाला लगभग 30 रूपए का बताया जा रहा हैं। इस घोटाले का प्रारूप देखकर लगता हैं कि यह घोटाला ग्राम पंचायत कर्मियो के साथ जनपद कार्यालय के अधिकारियो ने मिलकर पकाया गया हैं।

कम शब्दो में समझे इस घोटाले को

मामला सन 2016-17 का है,पीएम आवास योजना के तहत ग्राम बसाई में 2 दर्जन हितग्राहियो के पीएम आवास स्वीकृत हुए थें। स्वीकृत किए पीएम आवासो की लिस्ट भी जारी कर दी गई थी,इन आवासो का पैसा सरकार के खाते से हितग्राहियो के एंकाउंटो में ट्रांसफर भी हो गया। कागजो में बसाई में पीएम आवास बनकर भी तैयार हो गए।

लेकिन आवास धरातल पर नही बने,आवास स्वीकृत हितग्राहियो को बताया गया कि आपका नाम तो लिस्ट में आ गया,लेकिन अभी सरकार के पास पैसे नही हैं। ऐसे कहकर इन हितग्राहियो को टरकाया जा रहा था। लेकिन असल में हुआ यह था कि इन हितग्राहियो के कागजो में नाम पता ओर सारी जानकरी सही थी,लेकिन बैंक एंकाउंट किसी दूसरे व्यक्तियो का था।

सरकारी दस्तावेजो ये गरीब मकान मालिक हो गए,लेकिन धरातल पर सडक पर ही खडे है। बताया जा रहा हैं कि करीब 30 लाख रूपए का भुगतान फर्जी तरिके से हो गया। इस घोटाले की भनक हितग्राहियो को लगी और मिडिया ने इस मामले का प्रकाशन किया तो आनन—फानन में घोटाले की जांच बैठी और ग्राम बसाई के रोजगार सहायक को नौकरी से हटा दिया गया। ओर जांच के नाम पर 12 फरवरी 2019 को एफ आई आर के आदेश दिए गए थे लेकिन आज तक उस पर अमल नहीं हो सका हैं।

कैसी जांच घोटालो स्वयं सिद्ध् हैं, तो फिर लटकाया क्यो जा रहा हैं

इस पूरे मामले को देखे तो यह घोटाला स्वयं सिद्ध् है,नंबर एक में यह घोटाला किया गया हैं,अभी तक जनपद कार्यालय यह पता नही लगा सकी कि ग्राम बसाई के हितग्राहियो के खाते में जो पैसा गया था वह कौन से खाते या किसके खातो में गया हैं। कार्यालय के कम्प्यूटर का एक बटन इन सभी लोगो का नाम उगल देखा लेकिन इस बटन को दबाने में जांच अधिकारियो को  महिनो लग गए।

दूसरो के खाते में पैसे कैसे पहुंचे

इस घोटाले में एक सवाल यह उठता हैं कि एक बार मान लेते हैं कि पूरा का पूरा किया धरा रोजगार सहायक का हैं,तो पैसे ट्रासंफर करने वाला अधिकारी या कर्मचारी अंधा था जो हितग्राही और एंकाउंट धारक का नाम मैच नही कर सका,आवास स्वीकृत रामसिंह के नाम और पैसा फतेहदिन के नाम ट्रांसफर हो रहा था।

दूसरा सबसे बडा आरोपी इन आवासो का धरातल पर चैक करने वाला सब इंजीनियर है जिसने इन आवासो के निर्माण की ओके रिर्पोट देता और सरकार के खाते से पैसा ट्रांसफर होता रहा। शायद इंजीनियर साहब का चशमा गडबड होगा। पीएम आवास योजना से स्वीकृत आवासो के भुगतान का एक पूरा का पूरा सिस्टम होता हैं,सेकेट्री सरपंच ओर इंजीनियरो की टीप के बाद पैसे का भुगतान होता हैं,लेकिन पता नही यहां कैसे सिस्टम फैल हो गया।

ऐसे दिया जाता हैं पैसा पीएम आवास योजना का

यहां आपको बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चयनित हितग्राही को एक लाख बीस हजार रु तथा मनरेगा के तहत मजदूरी के पंद्रह हजार अलग से जो कुल मिलाकर 135000 रु दिए जाते हैं,ये राशि पहली किस्त 25 हजार दूसरी क़िस्त 40 हजार तीसरी क़िस्त 40 हजार ,चौथी ,पांचवी क़िस्त 15,15 हजार की दी जाती हैं,जबकि शहरी क्षेत्र में 2500000 दो लाख पचास हजार दिए जाते हैं।

इस मामलेे में अपने राम का कहना हैं कि पूरा का पूरा घोटाला सरपंच,सचिव ओर रोजगार सहायक के साथ जनपद कार्यालय कोलारस के अधिकारियो और कर्मचारियो के साथ पूरे के पूरे सोच विचार कर षडयंत्र पूर्वक पकाया गया हैं अब घोटाला खुलने के बाद जांच के नाम पर लटकाया गया हैं।

सीधे-सीधे शब्दो में लिखे तो इस घोटाले की जांच को देखकर लगता हैं कि जिला स्तर का भी सरकारी तंत्र फैल हैं,जिसने इस घोटाले की जांच की चाल की रफ्तार को नही देखा। सरकार का पैसा किस खाते में ट्रांसफर किया है सीधे-सीधे कोलारस के जनपद कार्यालय को पता हैं,किसके ओदश पर गया यह जांच दल को देखना हैं।

इस पूरे मामले में एक बात अवश्य उठती हैं कि उन गरीबो के सपनो का क्या होगा,जिनका सरकारी दास्तावेजो में आवास स्वीकृत हो गया ओर पैसा भी गया अब उन्है पुन:आवास स्वीकृत होंगें यह बडा सवाल हैं। अब देखते है इस मामले में कलेक्टर शिवपुरी क्या कदम उठाती हैं।

इनका कहना है
यह मामला मेरे संज्ञान में है। 12 फरवरी को हमने इस मामले में एफआईआर के आदेश जारी किए थे। अब अभी तक इस मामले में क्या कार्यवाही हुई है। यह में नहीं कह सकता,में इस मामले में जांच के लिए अब टीम गठित करा रहा हूं। और दिखबा रहा हूं कि आखिर एफआईआर क्यों नहीं हुई है। इस मामले में रोजगार सहायक को हमने तत्काल प्रभाब से बरखास्त कर दिया था।
एचपी वर्मा,जिला पंचायत सीईओ जिला पंचायत शिवपुरी
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