SHIVPURI NEWS - सूर्य मंदिर बना शराबियो का अड्डा, ऐतिहासिक मंदिर नष्ट होने की कगार पर

Bhopal Samachar

शिवपुरी। कोलारस नगर से 12 किमी दूर एनएच-46 पर स्थित सेसई सड़क से 1 किमी अंदर स्थित है, सूर्य मंदिर। यह मंदिर प्रतिहार शैली में निर्मित है। शैली के आधार पर 9-10 वी शताब्दी में इसका निर्माण होना बताया जाता है। वर्तमान में देखरेख के अभाव में शिवपुरी जिले की यह प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर अब खतरे में है। यहां शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है।

वह लगातार इस ऐतिहासिक धरोहर को अपने मनमाने तरीके से क्षति पहुंचा तो हैं। जिससे यह अपना अस्तित्व खोने की कगार पर है। ग्राम सेसई सड़क पर स्थित यह मंदिर 25 बाई 15 आकार के चबूतरे पर निर्मित है। चबूतरे को ऊंचाई ज्याद नहीं है, लेकिन मंदिर पश्चिमी मुख है। ऐतिहासिक धरोहर होने के बाद भी यहां अब तक सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं।

जिससे शाम होते हो यहां शराबियों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है। जिनको रोकने टोकने के लिए यहां कोई चौकीदार तक नहीं है। कई लोग शराब पीने के बाद यहां गंदगी तो फैलाते ही हैं। साथ ही कई बार मंदिर से भी छेड़छाड़ करने से नहीं चूकते हैं। स्थानीय प्रशासन ने इस तरफ ध्यान देना अब तक जरूरी नहीं समझा है।

मंदिर क्यों है खास
इस मंदिर में अर्द्ध स्तंभ से युक्त वर्गाकार गर्भ ग्रह और लघु अंतराल बना है, है, मंडप तीन दिशाओं में खुला है। मुख्य गर्भगृह के अतिरिक्त, पूर्व, उत्तर एवं दक्षिण दिशाओं में तीन लघु गर्भगृह भी निर्मित हैं। प्रथम दो दिशाओं के गर्भगृह में क्रमश: वामन अवतार और उमा महेश्वर की खंडित प्रतिमा, दक्षिण के लघु गर्भगृह में प्रतिमा नहीं है। मुख्य द्वार के ललाट पर सूर्य की प्रतिमा अंकित है। सूर्यदेव सप्त अश्व की लगाम पकड़े हुए दिखाए गए है।

पैरों में उपानह (पैरों में पहनने के खड़ाऊ) हैं। मंदिर के दरवाजे पर कल की सहित 10 विष्णु अवतारों की उकेरा गया है। साथ ही ललाट बिम्ब (मस्तक) पर सूर्य के दोनों और 11 आदित्यों को भी चित्रित किया गया है। 12 वे सूर्य हैं, इसलिए इसे सूर्य मंदिर कहा जाता
नौगजा मंदिर से सटा है।

यह मंदिर अतिशय क्षेत्र शांतिनाथ नौगजा सेसई क्षेत्र के मुख्य द्वार से सटा है। कहा जाता है कि कि तीर्थ तीर्थंकर की एक प्रतिमा नौ गज की थी, इसलिए यह मंदिर नौगजा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसके ऊपर वाले पैनल पर लक्ष्मी, ब्रह्मा, विष्णु, शिव और सरस्वती को बाएँ से दिखाया गया है। मंदिर की आठों दिशाओं में अष्ट दिकपाल को स्थान दिया गया है। मंदिर की मितिओं पर उमा-महेश, सूर्य, ब्रह्मा और कार्तिकेय की प्रतिमा आज भी देखी जा सकती हैं। मंदिर के गर्भगृह में अब कोई प्रतिमा नहीं है। मंदिर का शिखर भी क्षतिग्रस्त हो चुका है।

प्राचीन अभिलेख करते हैं पुष्टि
सूर्य मंदिर के पास एक खेत में मिले शिलालेख में नरवर के शासक गोपाल देव का भी उल्लेख मिलता है। जिससे ज्ञात होता है कि यह क्षेत्र नरवर के शासकों के अधीन रहा है। एक छोटे से शिवालय के भी यहां अवशेष मिले हैं। जिनके सामने नंदी भी विराजे (बैठे) हुए हैं। सती स्तम्भ पर मिले अभिलेख में ब्राह्मण स्त्री के सती होने का उल्लेख मिला है। उल्लेखनीय यह है कि गहां आज भी एक मुगलकालीन सराग और गद्दी सेसई में बनी हुई है। जो इस स्थान पर सल्तनत और मुगल कालीन गतिविधियों की ओर इशारा करती हैं। कहा जाता है कि यह स्थान प्राचीन काल में उत्तर से दक्षिण जाने वाले रास्ते पर पड़ता है।