अतुल जैन खनियाधाना। शिवपुरी जिले के पिछोर अनुविभाग के खनियाधाना थाना सीमा क्षेत्र में लगभग 1 लाख की आबादी निवास करती है,लेकिन इस थाने पर एक भी महिला आरक्षक पदस्थ नही है। इस कारण महिला संबंधी अपराध की एफआईआर और विवेचना में पीड़िताओं को बडी परेशानी का सामना करना पडता है।
खनियाधाना थाने में 6 बीट है जिसमे लगभग 70 पंचायत है और लगभग 100 से अधिक गांव है,इन गांवों में निवास करने वाली महिलाओं की संख्या का औसत आंकड़ा 50 हजार है,इतनी बड़ी महिलाओं की संख्या के ऊपर एक भी महिला पुलिसकर्मी नहीं है।
महिला अपराध में महिलाओं के साथ मारपीट, छेड़ा खानी, घरेलू हिंसा, यौन शोषण, जैसे अपराध समय के साथ बड़ते ही जा रहे थाने में महिला पुलिसकर्मी न होने के कारण महिलाएं अपनी बात पुरुष पुलिसकर्मी के सामने नही रख पाती है। इमरजेंसी में समीप के थाने से महिला पुलिसकर्मी को बुलाया जाता है।
1 जनवरी से लेकर 10 जनवरी के बीच में आईपीसी की धारा 363(नाबालिग को बहला फुसलाकर भगा ले जाना) के 3 मामले दर्ज हो चुके है जिनमे से एक मामले में आईपीसी 376 का इजाफा हो चुका है जिसमे महिला पुलिस कर्मी के द्वारा मेडिकल के लिए ले जाना द्यावी पड़ता है। महिला अपराधों में लगातार इजाफा हो रहा है।
एक महिला आरक्षक वही भी अंडर ट्रांसफर है
एक महिला आरक्षक है वह भी अंडर ट्रांसफर है वह भी रिलीव होना चाहती है उनकी मां की तबीयत खराब रहने के चलते अभी नही है नगर में महिला अपराध बड़ रहे है इसके चलते महिला पुलिस कर्मी की आवश्यकता थाने को है।
रत्नेश यादव,थाना प्रभारी खनियाधाना
पुलिस बल की कमी है
एक महिला आरक्षक है उसी पर सारी जिम्मेदारी है जिले में बल की कमी के चलते ऐसे हालत है।गंभीर अपराध होने पर पास के थाने से महिला पुलिसकर्मी को भेज दिया जाता है।
प्रशांत शर्मा एसडीओपी पिछोर