शिवपुरी में लाखों रुपए का चारा घोटाला: पंचायत में गौशाला नही, सरंपच सचिव चर गए लाखों रूपए का भूसा- Shivpuri News

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शिवपुरी।
बिहार का चारा घोटाले की कभी देश में गूंज थी,शिवपुरी जिले में भी इस प्रकार का चारा घोटाला सामने आया है। जिले की एक पंचायत में गौशाला ही नही है लेकिन कागजो और बिलो में पशु चारा चर रहे है। मामले की शिकायत हुई तो जांच कमेटी बना दी गई है। जांच प्रमाणित है लेकिन अब सरपंच सचिव ने जांच अधिकारी की ओर थोडा सा भूसा सरका दिया,इस कारण जांच भी नही सरक रही।

इस पूरे मामले में सबसे खास बात यह है कि भूसे के बिल उस फर्म के लगे है जो सीमेंट,सरिया ईट बेचती है। वही किसी जागरूक नागरिक ने इस फर्म पर भूसे की रेट पूछी तो उसने कहा कि हम भूसा नही सोचते है,अगर ऐसा है तो पंचायत के खाते से लाखों रुपए की रकम इस फर्म के अकाउंट में कैसे ट्रांसफर हो गई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत भड़ौरा में सरपंच व रोजगार सहायक ने लाखों रुपये का भूसा जानवरों को खिला दिया। जबकि उक्त पंचायत में गोशाला ही नहीं बनी है। दरअसल पंचायत चुनाव से पहले ग्राम पंचायत भड़ौरा में कडेसरा गांव भी शामिल था और भड़ौरा ग्राम पंचायत में स्वीकृत गोशाला भी इसी कडेसरा गांव में पंचायत द्वारा बनवाई गई थी।

लेकिन पंचायत चुनाव के समय परिसीमन हुआ और उक्त कडेसरा गांव भड़ौरा ग्राम पंचायत से हटकर ग्राम पंचायत खड़ोय में शामिल कर दिया गया। इससे उक्त गौशाला भी अब भड़ौरा की सीमा में न आकर खड़ोय ग्राम पंचायत की सीमा में आ गई। इसके बाद गौशाला का रखरखाव सहित अन्य दायित्व खड़ोय पंचायत को संभालना चाहिए, लेकिन पंचायत चुनाव होने के उपरांत
ग्राम पंचायत भड़ौरा के नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधि और पंचायत के सरकारी सहयोगी ने मिलकर उक्त गौशाला के पशुओं को भूसा खिलाने के नाम पर लाखों रुपये की राशि आहरित कर ली ।
जबकि पंचायत राज्य एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 49 के तहत कोई भी पंचायत एजेंसी ग्राम की सीमा के बाहर कोई कार्य नहीं कर सकती है।

मंत्री से शिकायत के बाद सीईओ ने बनाई दो सदस्यीय जांच कमेटी

इस मामले में कुछ ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार की खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया से शिकायत की तो उन्होंने जिला पंचायत सीईओ को पत्र लिखा। इसके बाद जिला पंचायत सीईओ ने दो सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच करने का आदेश जारी कर दिया। इसको 10 मार्च 2023 तक जांच कर प्रतिवेदन भेजना था, लेकिन जिम्मेदारों के ढुलमुल रवैये के चलते आज दिनांक तक जांच अधर में पड़ी है। सूत्रों के अनुसार ऐसा कहा जा रहा है कि जांच टीम व भ्रष्ट कर्मचारियों के बीच कुछ लेनदेन हो गया है जिससे यह जांच ठंडे बस्ते में डाल दी है।

वहीं इस घोटाले का अंदाज इस बात से भी लगाया जा सकता है जिस फर्म के खाते में इस लाखों रुपये का भुगतान किया गया है उसके बिलों पर भी कहीं भी भूसा बेचने का जिक्र नहीं किया गया है। जबकि उक्त बिलों पर सीमेंट, सरिया, गिट्टी आदि बेचने का जिक्र किया है। जबकि इस ग्राम के एक जागरूक व्यक्ति ने फर्म संचालक से फोन कर भूसा बेचने की जानकारी ली तो उक्त संचालक का कहना था कि हम भूसा नहीं बेचते हैं यदि फर्म भूसा बेचने का काम नहीं करती तो लाखों रुपये के फर्जी बिल लगाकर कैसे फर्म के खाते में डाल दिये गए हैं।

जांच दल के सदस्य दे रहे अलग अलग बयान

जिला पंचायत सीईओ के जारी आदेश में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख किया गया था कि 10 मार्च तक जांच करके प्रतिवेदन भेजा जाए लेकिन आज अभी यह पूर्ण न होना संदेह के घेरे में है। जब इस मामले में जांच दल के सदस्यों से जानकारी चाही तो दोनों के द्वारा अलग अलग बयान दिए गए। जांच दल के सदस्य मनोज नामदेव का कहना है कि जांच प्रतिवेदन तैयार है। कुछ तथ्य और रह गए हैं जिसमें लगे हुए हैं। जबकि पिछोर सीईओ पुष्पेंद्र व्यास के अनुसार अभी जांच ही पूरी नहीं हुई है।

अभी जांच तो नहीं हुई है। संबंधितों को को नोटिस जारी किया गया है। पहले सीएम के कार्यक्रम में व्यस्त थे और अब लाडली बहना योजना में व्यस्त है। समय मिलेगा तो जांच करेंगे।
पुष्पेंद्र व्यास, सीईओ जनपद पंचायत पिछोर

जांच प्रतिवेदन बना लिया है। हम यह इंतजार कर रहे है कि इस भूसे की डिमांड किसने की थी। मैं जनपद सीईओ साहब से पूछता हूं कि इसमें कितना और समय लगेगा।
मनोज नामदेव, वरिष्ठ डाटा मैनेजर महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी

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