शिवपुरी। आज कलेक्ट्रेट में आयोजित जनसुनवाई मे एक वृद्ध ने कलेक्टर चौधरी से मदद की गुहार लगाते हुआ कहा कि दामाद ने दूसरी शादी कर ली है उससे दहेज वापस कराया जाए। वही एक महिला ने बताया कि उसके पति की मौत गड्ढे में गिरने से हो चुकी है। अब उसके भूखे मरने की नौबत आ चुकी है। सरकारी चावलो से वह अपना और अपने तीन बच्चों का पेट की भूख शांत कर रही है।
बैराड़ के रहने वाली बुजुर्ग महिला मुन्नी राठौर पत्नी प्रेम नारायण राठौर ने बताया कि उसकी बेटी अनिता की शादी 12 वर्ष पहले शिवपुरी के शक्ति पुरम कॉलोनी के रहने वाले बंटी राठौर पुत्र पूरन राठौर के साथ हिंदू रीति रिवाज के साथ हुई थी। बेटी की शादी में गाड़ी सहित जेवरात पलंग अलमारी सोफा आदि जरूरत का सभी सामान दहेज में दिया था। शादी के बाद बेटी को एक बेटा भी पैदा हुआ इसके बाद उसका पति बंटी पैसों की मांग को लेकर उसे प्रताड़ित करने लगा। शादी के 6 साल बाद दामाद ने बेटी को घर से बाहर निकाल दिया।
बुजुर्ग महिला ने बताया कि एक साल पहले उसके दामाद ने ग्वालियर से किसी अन्य महिला के साथ कोर्ट मैरिज भी कर ली है और अब वह महिला दामाद के साथ रह रही है। अब भले ही दामाद उसकी बेटी को साथ नहीं रखे लेकिन वह दहेज में दिया हुआ सामान वापस नहीं लौट आ रहा है। सामान लौटाने की कई बार बात कही परंतु दामाद ने दहेज का सामान लौटाने की बात को अनसुना कर दिया। इसीलिए आज वह कलेक्टर के पास शिकायत लेकर पहुंची है कलेक्टर से उसने अपने दामाद और उसके परिवार पर कार्यवाही व दहेज में सामान वापिस दिलाये जाने की शिकायत दर्ज कराई है।
गड्ढे में गिरने से हुई थी पति की मौत, तभी से हुए बेसहारा
बदरवास अनुविभाग के चितारा गांव की रहने वाली सेल कुमारी परिहार ने बताया कि मेरे तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं। 16 जुलाई 2022 को मेरे पति की मौत गांव के बाहर गड्ढे में गिर कर हो गई थी। इसके बाद से उनकी माली हालत बिगड़ती ही जा रही है। उनके पास न के बराबर जमीन है, जिससे गुजारा नहीं हो पा रहा है। तीन बच्चों के भरण-पोषण एवं उनके पढ़ाई-लिखाई का खर्चा वह नहीं उठा पा रही है। अगर सरकार की ओर से नियमानुसार मिलने वाली आर्थिक सहायता राशि मिल जाए तो वह अपने बच्चों भरण पोषण कर उन्हें पढ़ा-लिखा सकेगी। बच्चों के भविष्य को देखते हुए वह आज कलेक्टर से मदद की गुहार लगाने पहुंची है।
चावल खिलाकर मिटा रही हूं बच्चों की भूख
सेल कुमारी ने बताया है कि वह बीपीएल कार्ड धारक है। इसके बावजूद उसे मिलने वाला राशन में गेहूं की जगह चावल सेल्समैन द्वारा थमा दिए जाते हैं उन्हीं चावलों को खिलाकर वह अपने बच्चों का पेट भर रही है। राशन की दुकान का सेल्समैन उन्हें गेहूं की जगह हर बार चावल थमा देता है और उसके पास गेहूं खरीदने के लिए पैसे तक नहीं है। इसलिए वह और उसके बच्चे चावल खाकर गुजारा कर रहे हैं। अगर उसे प्रशासन की ओर कुछ सहायता राशि मिल जाए तो ऐसी कई परेशानियों से उसे निजात मिल सकती है।