शिवपुरी। शिवपुरी मुख्यालय से मात्र 60 किलोमीटर श्योपुर और शिवपुरी की सीमा से लगा कूनो नेशनल पार्क में चीता आ चुका है। चीता प्रोजेक्ट की धूम पूरे देश में रही। पीएम के जन्मदिन पर इस प्रोजेक्ट का शुभारंभ होने के कारण देश की मीडिया ने इस प्रोजेक्ट को इतना कवर किया की देश चीता विशेषज्ञ हो गया। चारों ओर चीते की चर्चा थी। अब चीते के बाद शिवपुरी में टाइगर की चर्चा हैं।
पड़ोस में चीता और अपने आंगन में भी टाइगर होना चाहिए। शिवपुरी जिला मध्यप्रदेश के पर्यटन के नक्शे पर पर्यटन नगरी के रूप में दर्ज है। माधव नेशनल पार्क में पूर्व में भी टाइगर थे,लेकिन अब नही है। पिछले 2 साल से शिवपुरी में पर्यटन को बढावा देने के सुर बज रहे है। पार्क में टाइगर ना होने के कारण शिवपुरी जिले से पर्यटकों ने मुंह फेर लिया है। व्यापार से कमजोर जिले को यही समझाया जा रहा है कि पर्यटन उद्योग ही यहां का भला कर सकता है। अब पड़ोस में चीता तो हमे भी टाइगर चाहिए ये ट्यून अब शिवपुरी में बजने लगी है।
अब शिवपुरी की राजनीति से शिवपुरी वासी यही उम्मीद लगाए बैठे है कि जल्दी ही हमें टाइगर चाहिए अब यह प्रेशर शिवपुरी की राजनीति पर आ गया है। विकास के वादे करने वाली राजनीति को यह वादा अब पूरा करना होगा,और यह बताना होगा कि वादे पूरे भी होते हैं। हालांकि माधव नेशनल पार्क में पांच टाइगर लाने की सहमति मिल चुकी है। अब यहां टाइगर की पुनर्स्थापना के तैयारियां तेज हो गई हैं।
भोपाल के अधिकारी चाहते हैं कि नवंबर तक ही यहां टाइगर ले आए जाएं। हालांकि इन्हें बसाने के लिए जितनी तैयारियों की जरूरत है वह दिसंबर तक ही पूरी हो पाएंगी। इस माह के अंत तक वन विभाग टाइगर के लिए बनने वाले बाड़े के टेंडर रिवाइज करके जारी किया जाएगा। सप्लाई पूरी होने के बाद बाड़े बनने में करीब 15 दिन का ही समय लगेगा। टाइगर के लिए बनने वाला बाड़ा अपेक्षाकृत रूप से छोटा होगा क्योंकि इन्हें बहुत कम समय के लिए इसमें रखा जाना है।
इनके राष्ट्रीय उद्यान के वातावरण में अभ्यस्त होते ही इन्हें खुले में छोड़ दिया जाएगा। अभी तक पांच टाइगर अलग अलग चरणों में लाने की तैयारी है लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि वे प्रयास कर रहे हैं कि एक साथ पांच टाइगर यहां बसाए जाएं। अधिकारियों की मानें तो इस साल के अंत तक यहां निश्चित रूप से टाइगर बसा दिए जाएगें।
फ्री रेंज टाइगर बसने के बाद टाइगर सफारी का प्रोजेक्ट पर आगे का काम किया जाएगा। यहां टाइगर आने के बाद ग्वालियर चंबल संभाग में बिग-कैट होंगे। यहां तेंदुआ पूर्व से ही है और चीते भी आ चुके है। अब टाइगर आने के बाद 75 किमी के अंदर ही तीनो बिग कैट होगें। यह सुनने और देखने में भी खुबसूरत लगता हैं और यह संभाग के इकोसिस्टम का भी मजबूती प्रदान करेगा।
कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता
माधव राष्ट्रीय उद्यान का जो स्टाफ है वह टाइगर के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं। प्रथम चरण में जो तीन टाइगर आने है वे प्रदेश की ही टाइगर सफारी से आऐगें। संभवत यह कान्हा और पन्ना से लाए जाएंगें। इस कारण इनके जीन पूल भी अलग अलग होंगे। इसके लिए पहले स्टाफ का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अलग अलग सत्र में में स्टाफ को प्रशिक्षण के लिए बाहर भेजा जाऐगा।
पर्यटन सर्किट के लिए आवश्यक है शिवपुरी के आंगन में टाइगर
कुनो श्योपुर जिले में है और शिवपुरी से मात्र 60 किमी हैं। जो लोग कूना में चीता देखने आएंगे वह शिवपुरी में जंगल के राजा को भी देखने अवश्य आऐंगें। इन दोनो को देखने का जो सिस्टम बनेगा वह नया टूरिज्म सर्किट होगा। रणथम्बोर से कूनो और कूनो से शिवपुरी और आगे चलकर इसमें पन्ना को भी जोड़ने की योजना हैं।