Shivpuri News- स्वास्थ्य महकमे के ऑपरेटरों के कारण पिछड रही है शिवपुरी में योजनाएं, यह है कारण, पढिए पूरी खबर

Bhopal Samachar
शिवपुरी। स्वास्थ्य महकमे में संचालित योजनाओं का डाटा समय पर ऑनलाइन हो सके। हितग्राहियों को समय पर पर योजनाओं का लाभ मिल सके। इसी मंशा से महकमे में आउटसोर्सिंग के माध्यम से विभिन्न प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से डाटा एंट्री ऑपरेटर की भर्ती की गई है।

डाटा एंट्री ऑपरेटर पर कम्प्यूटर डिप्लोमा होना अनिवार्य होने के साथ.साथ उन्हें टायपिंग आना भी जरूरी है, परंतु शिवपुरी में आउट सोर्स एजेंसी के माध्यम से भर्ती किए गए डाटा एंट्री आपरेटरों की हालत यह है कि जो डाटा एंट्री आपरेटर भर्ती किए गए हैं, उनमें से कई लोगों के पास न तो कंप्यूटर का डिप्लोमा है और न ही उन्हें टाइपिंग आती है। कुल मिलाकर आउटसोर्स एजेंसी जीवनमित्रा ने आर्हता को ध्यान में रखे बिना और बिना कोई परीक्षा आयोजित किए ही ऑपरेटरों की भर्ती कर ली है।

बताना होगा कि इससे पूर्व भी इसी तरह से डाटा एंट्री ऑपरेटर की भर्ती तत्कालीन सीएमएचओ डा अर्जुन लाल शर्मा के कार्यकाल में की गई थी। जब मामला उजागर हुआ तो कई आपरेटरों को हटाया गया। विभाग के विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि अगर इन डाटा एंट्री आपरेटर का जमीनी स्तर पर टेस्ट ले लिया जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

कुल मिलाकर डाटा एंट्री ऑपरेटर को प्रतिमाह होने वाले भुगतान में लाखों रुपये का घालमेल किया जा रहा है। इन्हें कागजों में कुशल कर्मचारी का भुगतान किया जा रहा है जबकि वास्तविकता में उन्हें जो भुगतान किया जा रहा है उसमें करीब सात से आठ हजार रुपये का हेरफेर है। इस मामले में जब जीवनमित्रा के जिम्मेदारों को फोन लगाए गए तो उन्होंने फोन ही अटेंड नहीं किए।

योजनाओं की एंट्री में पिछड़ रहा जिला

कम्प्यूटर आपरेटर भर्ती में फर्जीवाड़े के चलते हालात यह हैं कि अनमोल पोर्टल, एनसीडी की एंट्री सहित तमाम तरह की अन्य एंट्री समय पर नहीं हो पा रही हैं। इसी का परिणाम है कि प्रदेश स्तर पर जिला इन योजनाओं की मानीटरिंग व एंट्री में पिछड़ता जा रहा है। अधिकारी लगातार मीटिंग कर फील्ड स्टाफ पर कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए कि उनके ऑपरेटर कंप्यूटर के लिए आवश्यक अर्हता रखते भी हैं या नहीं। इस पूरे मामले में सूत्र बताते हैं कि आपरेटरों से काम ले रहे अधिकारियों और जीवन मित्रा की सांठगांठ के चलते अयोग्य लोगों को ऑपरेटर बना दिया गया है।

शासन से आ रही 17500 वेतन, आपरेटरों को पहुंच रही आधी

अगर आपरेटरों को भुगतान की बात करें तो शासन स्तर से जीवन मित्र को कुशल टायपिंग आपरेटर का भुगतान 17 हजार 500 रुपये किया जा रहा है, जबकि जीवन मित्र द्वारा आपरेटरों को आधी सैलरी का ही भुगतान उनके खाते में किया जा रहा है। इस तरह से यह न सिर्फ विभाग और आपरेटरों के साथ छलावा है बल्कि आर्थिक भ्रष्टाचार की श्रेणी में भी आता है। अगर कम्प्यूटर आपरेटरों के खातों में किए गए भुगतान की जांच कर ली जाए तो पूरा भ्रष्टाचार की तरह साफ नजर आने लगेगा।
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