राम भरोसे चल रही जननी सुरक्षा: तत्कालीन सेवाएं रात में कॉल करो तो सुबह पहुंचती है एंबुलेंस- Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी में आपातकालीन सुविधा रामभरोसे चल रही है। रात में कॉल करो तो सुबह तक एंबुलेंस पहुंचती है,कही एंबूलेस में थक्का लगाते लोग देखे जाते है। जिले में इस सुविधा को बेहतर बनाने के लिए पुरानी कंपनी का टेंडर परिवर्तित कर जय अम्बे नाम की नई कंपनी को ठेका दिया था,लेकिन इस व्यवस्था को संभालने के लिए नाम बदला हैं तस्वीर वही की वही है।

जानकारी मिल रही हैं कि इस कंपनी की सभी एंबुलेंस नई हैं, इसके बाबजूद जिले में जननी सुरक्षा रामभरोसे हैं। ज्यादातार मामलों में यह सामने आया है कि या तो एंबुलेंस मौके पर पहुंची ही नहीं थी या फिर पहुंची भी तो इतनी देर से कि उसके पहुंचने का औचित्य ही नहीं रह गया। कुल मिलाकर यह कहा जाए कि जिले में वर्तमान में जो हालात हैं उन परिस्थितियों ने 'जननी' की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि प्रसूताओं को 108 जैसी आपातकालीन सेवा भी समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है।

प्रसूता की मौत, नोटिस तक सिमटी कार्रवाई

कोलारस के ग्राम बेरखेडी में एक आदिवासी प्रसूता के स्वजनों द्वारा 108 एंबुलेंस को काल करके बुलाया गया ताकि प्रसूता को समय पर अस्पताल ले जाया जा सके। 108 एंबुलेंस अगले दिन तक गांव नहीं पहुंची और हालात यह बने की प्रसूता सहित उसके बच्चे की घर पर ही 108 एंबुलेंस के इंतजार में दर्द से कराहते हुए मौत हो गई। इस मामले में सीएमएचओ डा. पवन जैन ने 108 एंबुलेंस को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया, लेकिन कार्रवाई सिर्फ नोटिस जारी करने तक ही सिमट कर रह गई। आदिवासी प्रसूता की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? इसका आज तक कोई निराकरण नहीं हो सका।

रात को किया काल, सुबह पहुंची एंबुलेंस

इसी प्रकार सप्ताह भर पहले रात ग्राम 11 बजे पाड़ोदा ईश्वरपुरा निवासी सुखवती आदिवासी को प्रसव पीड़ा हुई तो उसके स्वजनों ने 108 एंबुलेंस को कॉल किया। सुखवती का पति रात भर गांव के बाहर सड़क पर इंतजार करता रहा लेकिन एंबुलेंस गुरूवार की सुबह 8 बजे गांव पहुंची। इस लेटलतीफी का परिणाम यह हुआ कि प्रसूता ने सड़क पर चलती हुई एंबुलेंस में बच्चे को जन्म दिया। परिणाम स्वरूप जच्चा-बच्चा दोनों की जान खतरे में पड़ गई थी।

प्रसूता को लेकर आ रही एंबुलेंस हुई बंद

दो दिन पहले जब 108 एंबुलेंस एक प्रसूता को लेकर अस्पताल आ रही थी तभी अचानक राजेश्वरी रोड पर एंबुलेंस बंद हो गई। एंबुलेंस को स्टार्ट करने का काफी प्रयास किया गया, लेकिन वह स्टार्ट नहीं हुई। अंततः लोगों ने एंबुलेंस में धक्का मारा तब कहीं जाकर एंबुलेंस स्टार्ट हो सकी। गनीमत यह रही कि एंबुलेंस जिला अस्पताल के पास ही खराब हुई। ऐसे में प्रसूता को अन्य माध्यम और मदद से अस्पताल पहुंचा दिया गया। अगर यह एंबुलेंस कहीं दूर खराब हुई होती तो क्या हाल होता? इसका अंदाजा लगाना भी सहज नहीं है।

जिले में 44 एंबुलेंस, फिर भी हालात खराब

बात अगर जिले में उपलब्ध 108 एंबुलेंस की करें तो यहां 34 नई एंबुलेंस हैं। इसके अलावा 10 पुरानी एंबुलेंस को भी कंपनी ने अपने यहां अनुबंधित कर रखा है। ऐसे में 44 एंबुलेंस होने के बाबजूद आपातकालीन सेवाओं के यह खराब हालात कहीं न कहीं लापरवाही को दर्शाता है। अगर इससे इतर कंपनी के डीएम आदित्य त्रिपाठी की मानें तो कंपनी जल्द ही कुछ नई गाड़ियां जिले को उपलब्ध कराने वाली है। यह नई गाड़ियां उपलब्ध होने के उपरांत सेवाएं और बेहतर हो जाएंगी। त्रिपाठी के अनुसार फिलहाल उनकी नई गाड़ियां कॉल् पर बाहर चले जाने के कारण उन्हें पुरानी गाड़ियों का उपयोग करना पड़ रहा है। नई गाड़ियां आने के बाद यह समस्या भी समाप्त हो जाएगी।

अब आप एप के माध्यम से भी बुला सकेंगे एंबुलेंस

आपातकालीन सेवा में बरती जा रही लापरवाहियों पर जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि मरीजों को सेवा मुहैया करवाने के बीच में हमें कई गैप नजर आए थे। इन गेप को लेकर हमने कंपनी को मेल किए थे। इसके बाद कंपनी के कोर्डिनेटर भी शिवपुरी आए थे। तमाम बिंदुओं पर डिस्कस करने के बाद अब कंपनी ने अपना एक एप '108 संजीवनी' जारी कर दिया है। अब लोग इस एप के माध्यम से भी एंबुलेंस बुक कर सकते हैं।

एंबुलेंस जिला प्रबंधक ने मृतका के स्वजनों पर फोड़ा लापरवाही का ठीकरा

जब 108 एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाओं में लापरवाही के मामले लगातार सामने आने को लेकर 108 एंबुलेंस के जिला प्रबंधक आदित्य त्रिपाठी से बात की गई तो उनका कहना था कि बेरखेड़ी वाले मामला ट्रेस ही नहीं हुआ था।

उक्त मामले में जिस व्यक्ति ने एंबुलेंस को काल किया था, वह उसके घर का पता ही सही से नहीं बता पाया था। इसके अलावा जब उसे दोबारा काल लगाया गया तो उसका काल नहीं लगा। उन्होंने पाड़ोदा ईश्वरपुरा वाले केस से अनभिज्ञता जाहिर की। वहीं राजेश्वरी रोड पर एंबुलेंस खराब होने वाले मामले में उनका कहना था कि वह पुरानी एंबुलेंस थी। इस कारण बैटरी का टर्नल ढीला हो जाने के कारण एंबुलेंस बंद हुई थी।

CMHO बोले- 108 नहीं, डायल-100- को किया था फोन

प्रसूता की मौत के मामले में जब सीएमएचओ डॉ पवन जैन से बात की गई तो उनका कहना था कि हमने इस मामले में नोटिस जारी करने के बाद मामले की जांच की थी। हमें जो काल डिटेल उपलब्ध कराई गई उसके अनुसार प्रसूता के स्वजनों ने 108 को कॉल किया ही नहीं था। उन्होंने डायल-100 को फोन किया था। ऐसे में 108 एंबुलेंस का पहुंचना संभव ही नहीं था। एंबुलेंस के जिला प्रबंधक और सीएमएचओ दोनों के बयानों पर गौर करें तो दोनों के बयान आपस में विरोधाभासी हैं। यह कहीं न कहीं दर्शा रहे हैं कि मामले पर लीपापोती की गई है।