टेकरी सरकार कथा: बड़ी चट्टान पर प्राकृतिक रूप से उभरी हुई हैं बजरंग की प्रतिमा, मुकुट में विराजित हैं त्रिदेव- pichore news

Bhopal Samachar

पिछोर। पिछोर में मोती सागर तालाब के समीप स्थित सिद्ध शक्तिपीठ टेकरी सरकार हनुमान मंदिर पर पिछले चार दशकों से सात दिवसीय हनुमान जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता रहा है हर वर्ष रामनवमी रामजन्म से शुरू होने वाला यह महोत्सव हनुमान जयंती हनुमान जन्म के दिन तक बड़े हर्षोल्लास से चलता है हालांकि पिछले 2 साल में कोरोना के चलते कार्यक्रम स्थगित होता आ रहा है।

अब कोरोना का असर खत्म होते ही इसी परंपरा के निर्वहन के क्रम मे कल शनिवार को टेकरी सरकार मंदिर से डीजे आदि के साथ बड़ी संख्या में एकत्रित महिला पुरुष बच्चों ने नगर के प्रमुख मार्गो से भव्य कलश यात्रा निकाली जिसमें सुंदर वस्त्रों से सुसज्जित महिलाओं ने अपने सर पर कलश धारण कर रखें थे अब आज बड़े धूमधाम से रामनवमी पर भगवान श्रीराम के जन्म को मनाने के साथ ही यह महोत्सव प्रारंभ हो जाएगा।

इसमें दोपहर 3 बजे से 6 बजे तक प्रतिदिन वाराणसी से पधारे बाल व्यास श्री शशि शेखर जी महाराज द्वारा संगीतमय श्रीराम कथा का प्रवचन किया जाएगा 16 अप्रैल हनुमान जयंती के दिन  प्रातःकाल से ही टेकरी सरकार हनुमान जी का जन्मोत्सव शुरू हो जाएगा जिसमें सुबह की आरती बाल भोग और हनुमान आवाहन यज्ञ से प्रारंभ होकर दिन भर भक्तों द्वारा चोला चढाने का सिलसिला जारी रहेगा और कथा के उपरांत  हनुमान जी के महा श्रृंगार मैं भव्य आरती होगी फिर उन्हें 56 व्यंजनों का विशेष भोग लगाया जाएगा और बड़ी मात्रा में आतिशबाजी चलाई जाएगी।

इस अवसर पर टेकरी सरकार हनुमान जी के अद्भुत श्रंगार की एक झलक पाने के लिए सेकड़ो की संख्या में लोगों का सैलाब देखते ही बनता है श्री राम हनुमान जन्मोत्सव के अंतिम चरण में रात 8 से राजस्थान के कलाकारों द्वारा भजन संध्या कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा वही विभिन्न प्रकार के प्रसादो का वितरण भी  किया जाएगा इस कार्यक्रम की तैयारी मंदिर की रंगाई पुताई के साथ 1 महीने पहले से आरंभ कर दी गई है कुल मिलाकर राम जन्मनवमी से हनुमान जयंती तक यह सिद्ध स्थल भक्तों के लिए विशेष आकर्षण और भक्ति का केंद्र रहेगा।

क्यों है टेकरी सरकार का महत्व
मुंडा पहाड़ी पर स्थित सैकड़ों वर्ष पुराना टेकरी सरकार हनुमान मंदिर पिछोर समेत आसपास के हनुमान भक्तों के लिए विशेष श्रद्धा का केंद्र है यहां हनुमान जी की विशाल मूर्ति एक बड़ी चट्टान पर प्राकृतिक रूप से उभरी हुई है यहां हनुमान जी के दाई ओर सिद्धिविनायक श्री गणेश जी विराजमान है इसके अलावा हनुमान जी के दक्षिण मुखी होने से भक्तों के काज सिद्ध करते हुए सकल मनोरथ पूर्ण कर शत्रुओं का नाश करने वाले सिद्ध शक्ति पीठ के रूप में पूजे जाते हैं।
श्रृंगार कर्ताओ से मिली जानकारी के अनुसार महाबली हनुमान जी के प्राकृतिक मुकुट में त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु महेश विराजमान है और हनुमान जी का श्रृंगार हमेशा रात में ही किया जाता है

अनवरत रूप से जारी है रामचरितमानस पाठ
सिद्ध शक्ति स्थल टेकरी सरकार हनुमान मंदिर पर 13 अक्टूबर 1996 से हनुमान जी के सम्मुख लगातार अखंड ज्योति और श्रीरामचरितमानस अखंड रामायण पाठ का आयोजन चल रहा है जिसमें क्रमबद्ध तरीके से एक 1 घंटे की समय अवधि में भक्त रामायण का पाठ करते हैं और 1 वर्ष पूर्ण होने पर क्षेत्र की कन्याओं को भोज कराया जाता है।

अपने भक्तों में क्यों खास है टेकरी सरकार
मुंडा पहाड़ी पर स्थित हनुमान जी का मंदिर टेकरी सरकार के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए हैं यह हनुमान जी का अत्यंत प्राचीन मंदिर ऐतिहासिक किले के पास मोती सागर तालाब के किनारे प्राकृतिक रूप से पहाड़ी पर लगे हरे भरे पेड़ पौधों के साथ सुसज्जित होता है पूर्व में यहां पर पुरानी कई सीढ़ियों के साथ छोटा सा पुराना मंदिर था जिसके कई दरवाजे थे जहां आज एक विशाल भव्य मंदिर संपन्नता के साथ खड़ा हुआ है।

हनुमान जी की प्रतिमा के सामने श्री राम लक्ष्मण और जानकी विराजमान है तो मंदिर के दूसरी ओर श्री गणेश जी शिवलिंग तथा शनि देव शोभायमान हो रहे हैं वही पहाड़ के ऊपर हिस्से में यज्ञ वेदी गेस्ट गेस्ट हाउस और अन्य कार्यक्रमों का व्यवस्था स्थल निर्मित है वही विशाल पार्क निर्माणाधीन है दूरदराज के क्षेत्र से लेकर देश विदेशों तक में इनके वक्त मौजूद है यह सार्वजनिक मंदिर पर किसी संस्था या व्यक्ति का एकाधिकार या आधिपत्य नहीं है अपनी कई विशेषताओं के साथ आपने विशेष प्रभाव और कार्य सिद्धि के लिए यह सिद्ध शक्तिपीठ टेकरी सरकार हनुमान मंदिर जाना जाता है

अभी तक ये कर चुके हैं कथा प्रवचन
प्रतिवर्ष होने वाले विभिन्न आयोजनों में टेकरी सरकार मंदिर प्रांगण में श्री राम कथा या श्रीमद् भागवत कथा करने देश के छोटे बड़े कथाकार कथा कहने आ चुके हैं जिनमें प्रमुख रूप से प्रेमभूषण महाराज,श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री, राजेश्वरानंद, प्रणव पुरी जी महाराज, रमाकांत व्यास जी महाराज,कृष्णा किशोरी, गणेशानंदजी, शंकराचार्य आत्मानंद सरस्वती विश्वेश्वरीदेवी आदि हैं।
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