शिवपुरी। मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार माना जाता है जनवरी महीने में इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है और राशि में प्रवेश करता है इस साल मकर संक्रांति का पर्व कल 14 जनवरी 2022 को मनाया जाएगा, मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगती है इस दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व माना गया है
मकर संक्रांति पर इस बार दो तिथियों को लेकर लोग उलझन में हैं। हालांकि संक्रांति तब शुरू होती है जब सूर्य देव राशि परिवर्तन कर मकर राशि में पहुंचते हैं इस बार सूर्य देव 14 जनवरी की दोपहर 2 बजकर 27 मिनट पर गोचर कर रहें हैं सूर्यास्त से पहले यदि मकर राशि में सूर्य प्रवेश करेंगे, तो इसी दिन पुण्यकाल रहेगा 16 घटी पहले और 16 घटी बाद का पुण्यकाल विशेष महत्व रखता है
मुहूर्त चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल मुहूर्त सूर्य के संक्रांति समय से 16 घटी पहले और 16 घटी बाद का पुण्यकाल होता है इस बार पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो शाम को 5 बजकर 44 मिनट यानी सूर्यास्त तक रहेगा। इसमें स्नान, दान, जाप कर सकते हैं। वहीं स्थिर लग्न यानि समझें तो महापुण्य काल मुहूर्त सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
देशभर में सफेद वस्तुओं जैसे चांदी, चावल, दूध, शकर आदि के दाम बढ़ेंगे। राजा के प्रति विरोध की भावना बलवती होती। ब्राह्मण वर्ग का सम्मान बढ़ेगा। संन्यासियों व किसानों को कष्ट होगा। पश्चिम देशों से रिश्तों में कटुता आएगी। पड़ोसी देशों से रिश्तों में कटुता बढ़ेगी। कोरोना महामारी के प्रसार में कमी आएगी।
मकर संक्रांति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है. इस दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्व है. इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है. शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है।
मकर संक्रांति पर जपे सूर्य मंत्र
मकर संक्रांति पर सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं। शास्त्रों में उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है। इस दिन सभी तरह के शुभ कार्य दोबारा से आरंभ हो जाते हैं। ऐसे में इस दिन गंगा स्नान, दान और सूर्य उपासना जरूर करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्यदेव को ॐ सूर्याय नम:, ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः, ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर: का जाप करते हुए अर्घ्य दें।
मकर संक्रांति पूजा विधि
मकर संक्रांति पर सुबह जल्दी उठकर अपने पास स्थित किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें। सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें और शनि से जुड़े हुए मंत्रों का जाप करें। इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें।