लंकापति रावण के वध के साथ देवी ने इस अजेय राक्षस का भी किया था वध: ब्रह्मा से प्राप्त था अजय का वरदान- Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। दशहरा पर्व अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन दशहरा मनाया जाता है। दशहरा क्यो मनाया जाता हैं यह आप सभी को ज्ञात हैं कि भगवान श्रीराम ने तीनो लोको के अपराजित योद्धा राक्षसराज लंकापति रावण का वध किया था। रावण के 10 सिर थे इस कारण इस दिन को दशहरा कहते हैं।

राम और रावण के युद्ध की गाथा प्रत्येक हिन्दू धर्म को मानने वाले को हैं। लेकिन यह जानकारी बहुत कम लोगो को है कि इसी दिन देवी दुर्गा ने ब्रहम्मा जी के महान भक्त राक्षस राज रंभ का पुत्र महिषासुर का वध किया था। यह युद्ध दस दिनो तक लगातार चला था। नवदुर्गा महोत्सव इसी युद्ध का प्रतीक हैं कि देवी ने नौ दिन तक युद्ध किया था और दसवी के दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। यह युद्ध भी राम और रावण के युद्ध की तहर था बुराई पर अच्छाई की जीत। धर्म की अधर्म पर जीत

महिषासुर को प्राप्त था वरदान

पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर एक असुर था। महिषासुर के पिता रंभ, असुरों का राजा था जो एक बार जल में रहने वाले एक भैंस से प्रेम कर बैठा और इन्हीं के योग से महिषासुर का आगमन हुआ। इसी वज़ह से महिषासुर इच्छानुसार जब चाहे भैंस और जब चाहे मनुष्य का रूप धारण कर सकता था। महिषासुर सृष्टिकर्ता ब्रह्म का महान भक्त था और ब्रह्मदेव ने उन्हें वरदान दिया था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता।

महिषासुर से हार गए थे सभी देवता

महिषासुर बाद में स्वर्ग लोक के देवताओं को परेशान करने लगा और पृथ्वी पर भी उत्पात मचाने लगा। उसने स्वर्ग पर एक बार अचानक आक्रमण कर दिया और इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया तथा सभी देवताओं को वहाँ से खदेड़ दिया। देवगण परेशान होकर त्रिमूर्ति ब्रम्हा, विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए पहुँचे. सारे देवताओं ने फिर से मिलकर उसे फिर से परास्त करने के लिए युद्ध किया परंतु वे फिर हार गये।

मां दुर्गा ने ऐसे किया वध

कोई उपाय न मिलने पर देवताओं ने उसके विनाश के लिए दुर्गा का सृजन किया जिसे शक्ति और पार्वती के नाम से भी जाना जाता है। देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसी उपलक्ष्य में हिंदू भक्तगण दस दिनों का त्यौहार दुर्गा पूजा मनाते हैं और दसवें दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है।

जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। महिषासुर के मर्दन के कारण ही देवी का नाम महिषासुद मर्दिनी पड़ा। कहते हैं कि मां कात्यायनी को सभी देवताओं से दिव्य अस्त्र और शस्त्र मिले थे। उन्होंने ही महिषासुर का वध किया था। मां कात्यायनी नौ दुर्गा में से एक हैं और वे कात्यायन ऋषि की पुत्री थी।
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