शिवपुरी का अनदेखे शिवमंदिर: बहन और भाई की तकरार में अस्तितव में आए अदभुत शिवमंदिर, किजिए मानसिंक यात्रा - Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिव की पुरी शिवपुरी,जिले में कई प्रसिद्ध शिवमंदिर हैं आप दर्शन करने गए होंगें,कुछ ऐसे शिवालय हैं आप दर्शन भी करने नही गए होंगे लेकिन आपने उनके विषाय में सुना अवश्य होगा। जिले की धरा पर शिवालय अधिक हैं शायद ही इस कारण ही इस जिले का नाम शिवपुरी रखा गया होेगा।

आज विषय यह नही है कि शिवपुरी का नाम शिवपुरी क्यो रखा गया,बल्कि विषय हैं कि शहर के बीचो बीचो बने 2 शिवालयो का। जो भाई बहन की आपसी तकरार में प्रतिस्पर्था में अस्तिव में आए हैं। आज हम इन शिवालयो की आपको मानसिक यात्रा कराने का प्रयास कर रहे हैं।

शिवपुरी समाचार के संवाददाता रूद्र जैन और नीरज अवस्थी शिवपुरी के गणेश उत्सव का कवरेज करने निकले,ओर वहां पहुंचे जहां शिवपुरी शहर मे सबसे अधिक और आकृषक प्रतिमा श्रीगणेश की प्रतिवर्ष आती हैं कलारबाग के राजा अर्थात कलारबाग में। कोरोना काल से पूर्व शहर में कलारबाग की गणेश प्रतिमा शहर में चर्चित रहती हैं,उसका कवरेज करने की इस बार कलार बाग पर किस प्रकार की गणेश उत्सव की धूम हैं,कितना बडा पंडाल लगा हैं कोरोना के कारण क्या वहा बदल गया।

कमलागंज से ग्वालियर बाईपास की जाते समय कलारबांग पडता हैं,इस स्थान पर तिराहा हैं और यहां से छिब्बर स्कूल की रोड निकली हैं इस स्थान को कलारबाग कहते हैंं जब हमारे रिर्पोटर वहां पहुंचे तो वहां इस बार गणेश पंडाल नही लगा था,लोगो से पूछा तो उन्होने कहा कि कोरोना के कारण इस बार विशाल गणेश पंडाल नही लगा हैं,लेकिन गणेश जी अवश्य विराजित किए है,लेकिन कलारबाग के शिवमंदिर में।

प्रत्येक बार की तरह जहां पंडाल लगता हैं ठीक उसके पीछे एक प्राचीन कुंआ हैं उसके पीछे एक शिवालय हैं उसका नाम हैं कलारबाग का शिवमंदिर,यहां इस बार कोरोना काल की गाईडलाइन का पालन करते हुए मात्र 6 फुट की गणेश प्रतिमा ही आई है और उन्है शिवालय के बरामदे में विराजित किया हैं।

वहां स्थानीय निवासियो से बातचीत करते हुए एक अदभुत जानकारी मिली कि कलारबाग का शिवालय भाई बहन के झगडे के कारण अस्तितव में आया हैं। स्थानीय निवासियो ने बताया कि यह शिवालय का निर्माण लगभग 600 साल से पूर्व किया गया था। यहां शिवालय अपनी ही एक आकृषक शैली मे बना हैं। इस शिवालय की सबसे खास बात यह है कि यह शिवलिंग एक सिंहासन पर स्थापित हैं,ऐसा बहुत ही कम शिवालयो में देखा जाता है।

जमीन से लगभग 18 इंच उंचे बने सिंहासन पर पूरा शिव परिवार स्थापित हैं इसके अतिरिक्त जो शिवलिंग हैं उस पर नक्काशी की गई हैं ओर शिव परिवार के अतिरिक्त कई देवताओ की मुर्ति स्थापित हैं जैसे हनुमान जी,भैराबाबा,नारदजी की प्रतिमाए हैं। इन सभी प्रतिमाओ में अससे अधिक शिवलिंग अपनी ओर आकृषित करता हैं।

मंदिर के छत पर आकृषक शिखर है ओर छत की चारो दिशाओ मे 4 मुर्ति और स्थापित हैं इन मुर्ति की मुद्रा,कोई भांग घोट रहा हैं कोई ढोलताजे बजा रहा है शायद यह शिवगण हैं।

अदुभत कहानी: भाई बहन का झगडे के कारण बने यह मंदिर

स्थानीय लोग जो कलारबाग के निवासी हैं। कलारबाग शिवहरे समाज के एक परिवार का पुस्तैनी क्षेत्र हैं,यहां कभी बहुंत बडा बगीचा हुआ करता था,इसलिए इस जगह का नाम कलारबाग पडा हैं। और यह मंदिर भी जब बना जब क्षेत्र में एक शिवहरे परिवार रहता था। इसी परिवार में रहने वाले एक भाई ने शिवमंदिर का निर्माण कराया।

भाई के द्धवारा निर्माण कराया यह मंदिर कलारबाग के सामने शिवमंदिर वाली लाईन में हैं। मंदिर में देवालय में शिवलिंग की प्राणप्रतिष्ठा कराने वाले अनुष्ठान में भाई ने अपने समाज बंधुओ,भाई बंधुओ और रितेश्तदारो सहित अपनी बहन को भी बुलाया,मंदिर पर बने शिखर को लेकर भाई बहन में झगडा हो गया। झगडा क्यो ओर किस कारण हुआ इसकी सटीक जानकारी किसी के पास नही हैं लेकिन माना जाता हैं इस मंदिर का शिखर मंदिर की बनाबट का नही हैं गुबंद की बनाबट हैं,शायद इस निर्माण गलती के कारण बहन रूठ कर चली आई और आते—आते बोली कि इससे भी बडा और आकृषक देवालय का निर्माण होगा।

बताया गया कि बहन ने फिर कलारबाग में स्थित एक आकृषक देवालय का निर्माण कराया,इस शिवालय का शिखर बहुत आकृषक और उंचा है,और चोकोर है। इसी शिवालय में ही प्रतिवर्ष कलारबाग के राजा के नाम से गणेश पंडाल सजता हैं। यह अनदेखा शिवालय शहर के बहुत ही कम लोगो ने देखा होगा,क्यो कि यह एक समाज का निजी देवालय हैं,इस देवालय की अब देखरेख इस परिवार के सदस्यो सहित कलारबाग में प्लॉट खदीदकर मकान बनाने वाले अन्य समाज के लोग भी करते हैं। प्रतिदिन दर्शन करने और धार्मिक कार्यक्रम भी होते रहते हैं। कुल मिलकार अब यह कॉलानी का मंदिर हैं। जब भी आपको समय मिले तो आप भी इस देवालय के दर्शन के लिए अवश्य जाए।
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