CORONA ने मिलवाया पति और पत्नि को,पति और सास को हुआ था कोरोना

Bhopal Samachar

शिवपुरी। परिवार परामर्श केंद्र में 39 दंपतियों में से 17 के बीच हुआ समझौता पति-पत्नी के बीच छोटी मोटी तकरार के चलते विवाद इतना बढ़ा कि दोनों के बीच तलाक की नौबत आ गई। पिछले 8 महीने से पत्नी मायके में रह रही थी। इसी दौरान सास और पति को कोरोना हो गया।

पत्नी यह सह नही सकी और उसने मोबाइल पर प्रतिदिन हाल-चाल जानकर पति और सास से बातचीत की। जिससे उनके रिश्तों की खटास खत्म हुई और अब शनिवार को वह फिर से एक हो गए। कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण काल ने जहां लोगों को दर्द दिया है वही इस दंपत्ति की गृहस्थी को नया जीवनदान कोरोना से ही मिला है।

दरअसल ट्रांसपोर्ट व्यवसायी परिवर्तित नाम सुपर गुप्ता का विवाह 12 मई 2018 को कॉलोनी में ही रहने वाली परिवर्तित नाम देविका रानी से हुआ। कुछ समय तक तो सब ठीक चला लेकिन पति- पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर जब अन बन हुई तो तकरार इतनी बढ़ी कि तलाक की नौबत आ गई।

पत्नी ने पति का घर छोड़ दिया और वह मायके में रहने लगी और केस फैमिली कोर्ट में पहुंचा। इसी दौरान कोरोना के चलते जब सास और पति को संक्रमण हो गया तो इससे पत्नी देविका के मन पिघल गया। और वह पति और सास से लगातार फोन पर बातचीत कर उन्हें उपचार के टिप्स देने लगी।

नतीजा यह निकला कि महीनों से चला आ रहा तकरार का क्रम कोरोना काल में राहत की सांस दे गया। जब फैमिली कोर्ट में लोक अदालत के दौरान प्रधान न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने दोनों से पूछा कि क्या तुम साथ रहने तैयार हो।

अब किसी बात को लेकर कोई टसल तो नहीं, जवाब में दोनों पति-पत्नी ने मुस्कुराते हुए रजामंदी प्रदर्शित की और एक दूसरे को फूल माला पहनाकर फिर से दांपत्य बंधन में बंधने की प्रक्रिया की। और वहां से खुशी-खुशी भविष्य के सपने संजोकर वह घर लौट गए।

शहर के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले दंपत्ति परिवर्तन नाम हेमा- धर्मेंद्र का विवाह सन 2013 में हुआ था। दोनों पति-पत्नी खुश थे, लेकिन छोटी-छोटी बातों में आकर गुस्से में आ गए। दोनों के बीच तनाव इतना बड़ा कि वह 3 बच्चे होते हुए भी अलग रहने लगे।

1 साल तक पत्नी का गुस्सा बरकरार रहा इसके बाद जब लोक अदालत में प्रधान न्यायाधीश संजीव अग्रवाल और सलाहकार सदस्य समाजसेवी विष्णु अग्रवाल ने दोनों वकीलों के समक्ष दंपत्ति को समझाइश देकर पूछा कि पति- पत्नी का जोड़ा खट्टी मीठी यादों से बना है।

छोटी-छोटी बातों को छोड़कर जो बच्चे हैं उन पर ध्यान दें, जब दोनों ने रिश्ते पर रजामंदी की मोहर लगा दी, तो पौधा देकर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इस पौधे को आप बेहतर ढंग से सींचोगे तो यह आपको भविष्य में फल भी देगा और इसकी लकड़ी भी आपको उपयोगी होगी। ठीक इसी तरह से अपने रिश्ते को भी संभाले रखना। इस पौधे को जब-जब पानी दोगे तब तब अपने रिश्ते को फिर से जीवित करने की याद आपको आएगी। इसलिए पौधे को खाद पानी देते रहना।

पत्नी बोली-1 साल से मुझे लेने नहीं आ रहे
लुधावली की रहने वाली परिवर्तित नाम जया ने फैमिली कोर्ट में जज के सामने रोते हुए अपने हालात बयां कर कहा कि ससुराल में जब पहुंची तब उसे पता चला कि उसकी ताई, भाभी, और दादी को प्रताड़ित कर परिवार छोड़ चुका है।

मैंने पूरे रीति-रिवाजों के साथ रिश्ता निभाने की कोशिश की, लेकिन चौथा नंबर मुझे मिला। मुझे भी मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया। मेरे पति प्राइवेट स्कूल में शिक्षक है, वह भी मेरे साथ नहीं है, अब मैं 11 साल के बेटे को कैसे पढ़ाऊं, कैसे लालन-पालन करुं। पिछले 1 साल से में कोशिश कर रही हूं कि यह मुझे मायके से ससुराल ले जाएं, लेकिन कोई लेने नहीं आया।
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