कार्तिक मास: हिन्दूओ के साथ-साथ जैन और सिख धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण हैं - Shivpuri news

Bhopal Samachar

शिवपुरी। कार्तिक मास हिन्दूओ के लिए प्रमुख महिना हैंं इस बार यह 1 नंवबर से शुरू होकर 30 नबंवर तक रहेगा। इस माह में हिन्दूओ का प्रमुख त्यौहार दिपावली आती हैं,साथ—साथ में सुहागिन महिलाओ के लिए सबसे बडा व्रत करवा चौथ भी इसी माह में आता हैं। यह मास इस लिए भी खास हैं इस दिन शिव पुत्र कर्तिकेय भी जन्म हुआ था।

हिन्दू कलैंडर में कार्तिक मास जगत के पालन हार भगवान विष्णु की पूजा का महत्व हैं इस माह में हिन्दूओ के प्रमुख त्यौहार तो आते ही हैं साथ में जैन धर्म और सिख धर्म के लिए यह महिना भी खास हैं। आईए जानते हैं क्यो और इस माह का नाम कार्तिक क्यो पढा। इस माह में सृष्टि के संचालन के लिए भगवान शिव ने क्या किया था।

भगवान शिव ने विश्वविजेता दानव त्रिपुरासुर का वध किया
हिन्दू पुराणो की अनुसार दानव त्रिपुरासुर ने देवताओं को हराया और पूरे विश्व पर विजय प्राप्त की थी। वह आततायी हो गया तब देवताओं ने भगवान शिव से इस संकट से छुटकारा दिलाने के लिए प्रार्थना की। भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर का वध किया था। इसी तरह एक अन्य कथा के अनुसार यह वृंदा (तुलसी पौधे का मूर्त रूप) के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है।

माना जाता है कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का जन्म भी इस माह की पूर्णिमा जिसे हम कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं को हुआ है। कार्तिक महीने के अंतिम पांच दिनों को अधिक पवित्र माना जाता है, इन पांच दिनों में हर दिन दोपहर में केवल एक बार भोजन किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा की परंपरा कार्तिका पूर्णिमा के अनुष्ठानों में नदी में स्नान, भगवान शिव की प्रार्थना और पूरे दिन का उपवास रखा जाता है। पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

भगवान विष्णु ने पहला अवतार मत्स्यावतार इसी माह में लिया था। इसलिए इस माह में मत्स्य अवतार जयंती भी आती जाती है। इस मास में भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं और अपने भक्तों पर कृपा करते हैं और प्रथ्वी लोक पर ही आकर रहने लगते हैंं इस मास में आने वालीे कार्तिक पूर्णिमा को 'देव दीपावली' के रूप में भी मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का हिंदुओं, सिखों और जैनों के लिए बहुत महत्व है। जैन तीर्थ पालिताणा में श्री शत्रुन्ज तीर्थ में इस दिन भगवान आदिनाथ की पूजा की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा में, तीर्थस्थलों पर सूर्योदय के समय 'कार्तिक स्नान' किया जाता है।

भगवान विष्णु की फूल, धूप की छड़ और दीपक के साथ पूजा करते हैं। श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा पर उपवास करते हैं, 'सत्यनारायण व्रत' रखते हैं और 'सत्यनारायण कथा' का पाठ करते हैं। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर दीयों का दान करने का बहुत महत्व है।
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