सिंधिया को सरकार पलटने का पुरस्कार मिला, लेकिन विधानसभा चुनाव में समायोजित होना बडा सवाल / Shivpuri News

Bhopal Samachar
एक्सरे @ललित मुदगल/शिवपुरी। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्य सभा सांसद निर्वाचित होने मिठाईयो और बंधाईयो की इस समय की लहर हैं। सांसद सिंधिया ने भी आनलाईन आकर भाजपा सगंठन और देश के पीएम और मप्र के सीएम और अपने समर्थको का आभार व्यक्त किया हैं। हालाकि सरकार पलटने का ईनाम सिंधिया को मिल चुका हैं,लेकिन असल परिक्षा सांसद सिंधिया की आने वाले विधानसभा के उपचुनावो में होगी।

बडा सवाल यह बनता हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया तो भाजपा के बडे नेताओ में समायोजित हो गए,लेकिन सिंधिया समर्थक कांग्रेस नेता जो कनवर्ट कांग्रेसी हैं वह भाजपा में कैसे समायोजित होगें,या भाजपाई नेता कनवर्ट कांग्रेसियो मेें कैसे समायोजित होगें। यह बेमेल गठबंधन चुनाव में कैसा प्रर्दशन करेगा। हार ठीकरा किसके पर फोडा जाऐगा,जीत का श्रेय किसको दिया जाऐगा। आईए इस समायोजित जैसे शब्द का एक्सरे करते हैं।  

  जैसा कि विदित हैं कि यह चुनाव सत्ता का फायनल है। हालाकि इस सत्ता के फायनल में भाजपा का पलडा भारी है। कांग्रेस को भाजपा को क्लीन स्वीप करना हैं जो बहुत मुश्किल हैं,लेकिन यह चुनाव सांसद सिंधिया के कैरियर को भी दिशा देगा। भाजपा को सरकार बनानी थी। सत्ता में वापसी करनी थी इस कारण सभी शर्ते मान ली गई। ओर शर्त का पहली मांग सार्वजनिक हो गई ज्योतिरादित्य सिंधिया का राज्यसभा में जाना।

दूसरी शर्त थी जो विधायक इस्तीफा देकर कांग्रेस का त्याग कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं उन्है भाजपा का टिकिट दिया जाए ओर जो मंत्री पद से त्याग पत्र दे रहे है उन्है मंत्री बनाया जाए। ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा की ओर बढ गए और कन्वर्ट कांग्रेसी मंत्री बन गए। अब केवल चुनाव ही बाकी हैं।

संभवना हैं कि प्रदेश में शीघ्र ही होने जा रहे 24 विधानसभा उपचुनाव में से 22 सीटों पर कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों को टिकट दिया जाना पक्का है। इस कारण ही भाजपा के खेमें से दूसरे नेताओ के टिकिट की मांग नही आ रही हैं। भाजपा के शीर्श नेतृत्व ने गाईड लाईन जारी कर दी हैं कि टिकिट मांगने की आवाज करना तो दूर सोचना भी मत।

यह तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ओर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की मीटिंग का खाका है जो जिले स्तर के नेता और कार्यकर्ताओ के समाने लक्ष्मण रेखा के रूप में खीचा जा रहा हैं लेकिन जमीन हकिकत इसके विपरित है। एक वरिष्ठ भाजपा न नेता ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जबकि इस्तीफा देने वाले सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों को टिकट देना पक्का है तब भी वह हमसे संवाद स्थापित नहीं कर रहे और दूरी बनाकर चल रहे हैं।

इस स्थिति से आने वाले विधानसभा उपचुनाव में प्रतिकूल प्रभाव पडऩे की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। यहीं कारण है कि सत्ता मेें काबिज होने के बाद भी भाजपा को एक-एक सीट पर कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ सकता हैं।

भाजपा समर्थक और सिंधिया समर्थकों के बीच मनोमालिन्य खत्म नहीं हुआ था। खत्म होता भी कैसे? डेढ़ साल पहले ही 2018 के विधानसभा चुनाव में दोनों पक्ष एक-दूसरे के आमने सामने थे। पराजय की पीड़ा को भाजपा ने भले ही स्वीकार कर लिया। लेकिन उसके समर्थक कैसे  भूल जाते। जो चुनाव में हारे थे वो कैसे एक झटके में डेढ साल बाद जीतने वाले प्रत्याशी को दोबारा जिताने के लिए तैयार हो जाते। भाजपा में एक वर्ग ऐसा भी था जो कांग्रेस में सिंधिया से पीडि़त होकर भाजपा में आया था।

शिवपुरी जिले में ही कोलारस विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी सिंधिया से नाराज होकर भाजपा में शामिल हुए थे और भाजपा में वह महल विरोधी लॉबी का  नेतृत्व कर रहे थे। यहीं नहीं गुना शिवपुरी के भाजपा सांसद केपी यादव भी कट्टर सिंधिया समर्थक रहे हैं।

सिंधिया ने जब उन्हें विधानसभा टिकट नहीं दिया तो वह नाराज होकर भाजपा में चले आए और भाजपा ने नाराज केपी यादव को न केवल पार्टी में शामिल किया बल्कि उन्हें सिंधिया के खिलाफ चुनाव मैदान में भी उतार दिया और श्री यादव ने चुनाव में सिंधिया को 1 लाख 30 हजार से अधिक मतों से पराजित कर दिया।

भाजपा में आने के बाद सांसद यादव सकून महसूस कर रहे थे। हालांकि चुनाव के बाद उनके विरूद्ध सूत्रों के अनुसार सिंधिया के इशारे पर धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज करा दिया गया था। ऐसी स्थिति में जब राजनीति दुश्मनी की हद तक पहुंच गई। तब अचानक सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए तो यह व्यक्तिगत टसल कैसे समाप्त होती।

पिछले दिनों सांसद यादव के भाई ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री सचिन यादव से भेंट कर शंका कुशंकाओं को जन्म दे दिया और दो दिन पहले ही विधायक वीरेंद्र रघुवंशी कोलारस मंडी में इस कदर विफरे कि उनके मन की पीड़ा कहीं न कहीं सामने आ गई। श्री रघुवंशी ने सिंधिया समर्थक मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर हमला बोला और यह आरोप लगाया कि किसानों की पीड़ा की कोई चिंता नहीं है। श्री रघुवंशी  ने सार्वजनिक रूप से कहा कि मैंने मंत्री राजपूत को एक नहीं बल्कि चार-चार पत्र लिखे।

लेकिन उन्होंने एक भी पत्र का जबाव नहीं दिया। यहां तक कि उन्होंने मेरा फोन  तक  नहीं उठाया। श्री रघुवंशी यहीं नहीं रूके और उन्होंने कहा कि  भले ही शिवराज सिंह और मोदी जी के सहारे वह चुनाव जीत जाएं लेकिन उन्हें किसानों की पीड़ा की अवश्य फिक्र करनी चाहिए। खासबात यह है कि श्री रघुवंशी ने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को जिताने का श्रेय भी सिर्फ मोदी जी और शिवराज सिंह चौहान को देने में ही रूचि दिखाई और उन्होंने सिंधिया का नाम तक नहीं लिया।

इससे समझा जा सकता है कि किस कदर सिंधिया समर्थक और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच तनातनी है। ऐसा नहीं कि भाजपा आलाकमान को इसका आभास नहीं है। इसे भांपकर ही यह तय किया गया है कि पोहरी से भाजपा के संभावित प्रत्याशी सुरेश राठखेड़ा और टिकट के दावेदार माने जाने वाले पूर्व विधायक प्रहलाद भारती और नरेंद्र बिरथरे फील्ड में एक साथ जाएंगे।

यहीं व्यवस्था करैरा विधानसभा क्षेत्र में की गई है। जहां टिकट के संभावित दावेदार जसवंत जाटव और ओमप्रकाश खटीक तथा रमेश खटीक की टीम बनाई गई है। लेकिन  इसके बाद भी यह नहीं कहा जा सकता कि सबकुछ ठीकठाक है और सिंधिया समर्थक भाजपा के सांचे में ढल गए हैं।

कैसे मान ले कि कल तक जिनके खिलाफ चुनाव लडे थे,आज उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगें। कैसे वह नेता आपने हाथो से ही अपने घर के दरवाजे पर दिवार खडी कर दे की इस बार यह कन्वर्ट कांग्रेसी चुनाव जीत जाए ओर आगे भी टिकिट मांगे। भाजपा के जो नेता टिकिट के दावेदार है उनके रास्ते बंद हो जाए।

भाजपा के एक नेता ने बातो ही बातो में कहा कि नेता नही आए हैं कांग्रेस से सीधे—सीधे विधायक आए हैं पार्टी ने पूरे नियम धर्म और पैमीटर तोडे हैं और हम मूल भाजपाईयो के सिर पर फोडे हैं। हम किसी भी किमत पर इनको सहन नही करेगें। कहने का सीधा सा अर्थ हैं कि मूल भाजपाई इन कनवर्ट कांग्रेसियो को पचा नही पा रहे हैं। और इनका समायोजन नही हो पा रहा हैं।

अगर ऐसा तो आने वाले चुनाव में भाजपा 100 प्रतिशत नही दे पाऐगी अगर अनुमान के मुताबिक नतीजे भाजपा के पक्ष में नही आए तो पूरा का पूरा ठीकरा सांसद सिंधिया पर फोडा जा सकता हैं अगर जीत गए तो यह संगठन की जीत होगी भाजपा के विकास की जीत होगी। श्रेय सांसद सिधिंया से छिना जा सकता हैं। कहते हैं राजनीति संभावनाओ पर नही चलती लेकिन संभावनाओ को नजर अंदाज भी नही किया जा सकता हैं।