मप्र उपचुनाव: काग्रेंस को सत्ता वापिस के लिए 24 में से 24 जीतनी होंगी / Shivpuri News

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए होने जा रहे 24 सीटों के लिए उपचुनाव के बाद यह तय होगा कि सत्ता में भाजपा रहती है अथवा कांग्रेस को पुन: वापिसी करने का अवसर मिलेगा। गणित के हिसाब से भाजपा को 230 सदस्यीय विधानसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त करने के लिए 24 में से महज 9 सीटें जीतना आवश्यक होगा। जबकि कांग्रेस को पूर्ण बहुमत के लिए सभी 24 सीटें जीतना होंगी, जो कि फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है।

24 सीटों में से 22 सीटें 2018 के विधानसभा चुनाव में विजयी हुए कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने से रिक्त हुई हैं। ये सभी पूर्व विधायक इस्तीफा देकर सिंधिया के साथ भाजपा में आ गए और यह लगभग तय है कि वे ही अपनी सीटों से उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार होंगे। मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन और आलौट विधानसभा सीट भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल की मृत्यु से रिक्त हुई हैं।

मध्यप्रदेश विधानसभा में इस समय निर्वाचित विधायकों की संख्या 206 है। बहुमत के लिए 104 विधायकों की आवश्यकता है और वर्तमान में भाजपा के पास 107 विधायक हैं। जबकि कांग्रेस के विधायकों की संख्या 92 है। शेष 7 विधायकों में दो बसपा, एक सपा और चार निर्दलीय विधायक हैं। लेकिन उपचुनाव होने के बाद पूर्ण बहुमत के लिए 116 विधायकों की आवश्यकता होगी।

ऐसी स्थिति मेें भाजपा को पूर्ण बहुमत पाने के लिए सिर्फ 9 सीटों पर जीत हासिल करना आवश्यक है, जो कि मुश्किल नजर नहीं आता। जबकि कांग्रेस के लिए बहुत दिक्कतें हैं। उन्हें 92 से 116 तक पहुंचने के लिए सभी 24 सीटें जीतना आवश्यक हैं और यह बड़ा सवाल है कि वह कैसे इन सीटों पर विजयश्री प्राप्त करेंगे।

यदि वह बसपा, सपा और चार निर्दलीय विधायकों के भरोसे रहती है तो भी उसे 17 सीटें जीतनी होंगी जो कि वर्तमान स्थिति मेें असंभव तो नहीं लेकिन मुश्किल अवश्य है। हालांकि यह सत्य है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इन 24 सीटों में से 23 सीटों पर विजयश्री प्राप्त की थी। जबकि आलौट सीट भाजपा के खाते में गई थी। 24 सीटों में से 16 सीटों पर उपचुनाव ग्वालियर-चंबल संभाग में होने जा रहा है।

ग्वालियर चंबल संभाग में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 34 में से 26 सीटें जीती थीं। लेकिन कांग्रेस की जीत का श्रेय ज्योतिरादित्य सिंधिया के खाते में गया था, जो वर्तमान में भाजपा में हैं। जिन विधायकों के इस्तीफों के कारण सीटें रिक्त हुई हैं वह अब कांग्रेस के स्थान पर भाजपा से चुनाव लड़ेंगे। इनमें से निश्चित रूप से कुछ पूर्व विधायकों की स्थिति बहुत खराब है। लेकिन ऐसे पूर्व विधायकों की संख्या 7 से 8 बताई जाती है। जबकि कुछ पूर्व विधायकों को हराना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा।

इन सीटों पर होंगे उपचुनाव
मुरैना जिले की पांच विधानसभा सीटों- मुरैना, दिमनी, अंबाह, सुमावली और जौरा, ग्वालियर जिले की चार विधानसभा सीटों- ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, डबरा, भांडेर, शिवपुरी जिले की दो विधानसभा सीटें- पोहरी और करैरा, अशोकनगर जिले की दो विधानसभा सीटें- अशोकनगर, मुंगावली, भिंड जिले की दो विधानसभ सीटें- मेहगांव और गोहद तथा गुना जिले की एक विधानसभा सीट-बमौरी में चुनाव होना है। 
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