यह है माफिया राज: पहाड़ों को चकनाचूर करके बनाई जा रही है कोपरा रेत, हर कुर्सी की कीमत फिक्स | Shivpuri news

Bhopal Samachar

शिवपुरी। प्रदेश में शुरू हुआ मफियाओ पर कार्यवाही शिवपुरी में अतिक्रमण विरोधी मुहिम तक सिेमट गई। कार्रवाही भी विवादित हुई इस कारण  मुख्य सचिव श्री सुधीर रंजन मोहंती ने इस संदर्भ में रिमाइंडर जारी किया था माफिया पर कार्रवाई चाहिए अतिक्रमण पर नही।

शिवपुरी में रेत काला कारोबार अपनी चरम सीमा पर हैं रेत के इस अवैध करोबार पर प्रशासन अकुंश नही लगा पा रहा हैं। रेत माफिया अवैध उत्खन्न ओर परिवहन तो कर रहे हैं इसके साथ रेत का निर्माण भी कर रहे हैं। बताया जा रहा हैं कि पिछोर क्षेत्र में पहाडो हो चकनाचूर कर रेत का निर्माण किया जा रहा हैं।

खनियांधाना तहसील क्षेत्र में कोपरा का उत्खनन कर सड़क किनारे मौजूद पहाड़ खोदे जा रहे हैं।खुलेआम यह उत्खनन चल रहा है, लेकिन प्रशासन और खनिज विभाग के अफसर इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। बेखौफ माफिया ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपरों से अवैध उत्खनन कर रहा है। कोपरा निकालने के लिए जेसीबी का उपयोग किया जा रहा है।

सड़क किनारे से ही 100 से 200 मीटर दूसरी पर जेसीबी चलते आसानी से देखी जा रही हैं। हालत यह है कि सड़क किनारे भी जगह जगह रेत डंप कर रखी गई है। अवैध उत्खनन से क्षेत्र में स्थिति बहुत खराब है। सड़क पर जगह जगह कोपरा बिखरा पड़ा हुआ है। अवैध रूप से निकाले जा रहे कोपरे को धोने के लिए माफिया ने नदी-नालों पर डीजल पंप रख लिए हैं। नालों के पानी से कोपरे को धोकर मिट्‌टी निकाली जा रही है।



खनियांधाना नगर से ईसागढ़ जाने वाले मार्ग पर जेरा के पास कोपरा का अवैध उत्खनन हो रहा है। सड़क किनारे तीन-चार अलग-अलग स्थानों पर जेसीबी से डंपर और ट्रैक्टर-ट्रॉली भरते हुए आसानी से देखे जा रहे हैं। बुधना डैम से नीचे उतरने के बाद कई जगह पहाड़ खोद दिए गए हैं। यहां से अवैध उत्खनन कर कोपरा बेचा जा रहा है।

कुचलौन गांव के पास पिछोर-दिनारा रोड
कुचलौन गांव के पास अवैध कोपरा भरकर नाले के पानी से धोया जा रहा है। पानी से मिट्‌टी बहकर निकल जाने से कोपरा पूरी तरह रेत के रूप में नजर आने लगता है। यहां नाले के पानी का उपयोग किया जा रहा है जिससे आने वाली गर्मियाें में मवेशियों को पीने का पानी नहीं मिल पाएगा।

इस मामले में अपने राम का कहना है जिले में प्रतिदिन 1 करोड से अधिक रेत का कालाकारोबार होता हैं। अवेध रेत उत्खन्न और परिवहन के लिए इसके रोकने वाली कुर्सी की किमत फिक्स है। सिर्फ आंकडो में दिखावे की कार्रवाई की जाती हैं,नही तो ऐसे खुले आम सडक पर पहाडो को चकनाचून नही किया जा सकता था। 
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