जिले के वनविभाग को डूब मरने वाली खबर, मप्र में सबसे ज्यादा 1224 वर्ग किलोमीटर वनभूमि गायब | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। खबर वन विभाग से छन कर आ रही हैं कि जिले की 1224 वर्ग किलोमीटर की वनभूमि विभाग की नही रही। इस पर कब्जा कर लिया गया है। वन विभाग की संरक्षण शाखा के जारी आंकडो से यह खुलासा हुआ हैं। बताया जा रहा हैं कि कागजो में यह भूमि वनविभाग की हैं लेकिन कब्जा किसी ओर का हैं। ओर इस भूमि पर खेती हो रही हैं।वह भी विभाग के अधिकारियो की पार्टनरी में।

जैसा कि विदित हैं कि कुछ दिन पूर्व सीएम ने माफियाओ पर कार्यवाही करने के आदेश दिए थे। लेकिन शिवपुरी में इस शब्द का अलग तरिके प्रिंट कर लिया गया था। मकान तोडने के लिए प्रशासन उठा लेकिन मूल काम को भूल गया। वैसे तो वन विभाग में वनो और उसकी भूमि की रक्षा करने के लिए फारेस्ट गार्ड की एक पोस्ट हैं। और हजारो की सख्यां में फोरेस्ट गार्ड और सैकडो डिप्टी रेंजर,रेंजर है। इन सबकी डूयूटी जंगल में ही होती हैं। इसके बाद भी इतनी बडी तदाद में वन भूमि पर कब्जा हो गया।

चरनोई भूमि भी कब्जाई

अतिक्रमण की चपेट में जिले की चरनोई भूमि भी आई हैं। चरनोई की भूमि पर भी माफियाओं ने कब्जा कर लिया है। नतीजा हुआ कि पशुओं के चारे पर प्रहार हुआ। इस भूमि पर उपजने वाली घास आदि से सेकड़ों पशुओं को चारा मिलता था जो कब्जे से बन्द हो गया। नतीजे में मवेशी पालक चारा उपलब्ध नही करा पाते। मवेशियों के भूखों मरने की स्थिति निर्मित हुई। वे सड़क पर आने लगे जिससे दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है।

मवेशियों के सड़कों पर आने से होते हैं हादसे

साल 2019 में 999 सड़क दुर्घटनाएं घटित हुईं, इसमें 255 लोगों की मौत हो गई, जबकि 1150 घायल हो गए। इनमें 325 हादसे सड़कों पर मवेशियों के आने से घटित हुए और 45 लोगों ने अपनी जान गंवाई, जबकि 95 लोग मवेशियों के वाहनों के सामने आ जाने से घायल हुए।

छतरपुर से कम, लेकिन ग्वालियर से ज्यादा भूमि कब्जे में

जारी आकड़ों में छतरपुर 6477, जबकि ग्वालियर की 685 वर्ग किलोमीटर वन भूमि पर कब्जा किया गया है। वहीं खंडवा 1997, शहडोल 519 वर्ग किलोमीटर वन भूमि पर कब्जा है। शिवपुरी जिले में 1224 वर्ग किलोमीटर वन भूमि पर माफिया का कब्जा है। इससे साफ है कि किस तरह से माफिया लगातार वनों को खत्म पर उसकी भूमि पर खेती करने में जुटा हुआ है।

मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा वन भूमि पर कब्जा हैं,और मप्र में सबसे ज्यादा शिवपुरी की वन भूमि पर कब्जा हैं।शिवपुरी में बताया जा रहा हैं। उक्त कब्जे में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से ही वन विभाग के कर्मचरियो का दोष। कई जंगल से समीप लगे गांवो में वन विभाग के कर्मचारी ही इन पर खेती करा रहा हैं या यू कह लो एक साईलेंट पार्टनर शिप चल रही हैं।