कायाकल्प अभियान: प्रदेश में न वन रहा शिवुपरी अस्पताल अब 35वें स्थान पर, प्रतियोगिता से बाहर | SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar
शिवपुरी। कायाकल्प अभियान में शिवपुरी जिला अस्पताल काे लगातार चार साल से मिल रहा उत्कृष्टता का अवार्ड इस बार छिन गया है। अस्पताल में सीवर सिस्टम फेल रहने से चारों ओर गंदगी, सफाईकर्मी व वार्ड ब्वॉय की कमी और अन्य छोटी-छोटी कमियों के कारण कायाकल्प मूल्यांकन के दौरान अंक कम हो गए।

इस वजह से शिवपुरी जिला अस्पताल निर्धारित स्कोर 70 को भी नहीं छू सका। कुल स्कोर 62.7 रहने से शिवपुरी जिला अस्पताल कायाकल्प के मापदंडों से भी नीचे आ गया है। स्कोर के मामले में शिवपुरी का जिला अस्पताल श्योपुर से भी पीछे रह गया है। श्योपुर का प्रदेश में 34वां नंबर है।

जानकारी के मुताबिक शनिवार की शाम कायाकल्प 2019 की लिस्ट प्रदेश स्तर से जारी की गई। प्रदेश के 51 जिलों की सूची में शिवपुरी जिला अस्पताल 35वें स्थान पर आया है। इससे पहले शिवपुरी लगातार दो साल पहले स्थान, फिर दो साल से उत्कृष्टता की श्रेणी में शामिल होता आ रहा था।

प्रदेश में सरकार बदलते के साथ-साथ सिविल सर्जन भी बदल गए और शिवपुरी जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमरा गईं। जिला अस्पताल की पूरी बिल्डिंग का सीवर सिस्टम चोक हो जाने से चारों तरफ गंदगी फैली रही। सफाईकर्मी कम होने से सफाई भी ठीक नहीं हो पा रही है। वार्ड ब्वॉय की समय पर भर्ती नहीं होने आज भी अटेंडर खुद स्ट्रेचर खींच रहे हैं।

अन्य कमियों के कारण शिवपुरी जिला अस्पताल कायाकल्य से ही बाहर हो गया है। बता दें कि अस्पताल में व्यवस्थाएं बिगड़ने के कारण कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ, अपर कलेक्टर, एसडीएम और डिप्टी कलेक्टारों की ड्यूटी लगाई है। अधिकारी सप्ताह में हर दिन जायजा ले रहे हैं।

कभी पहले पायदान पर था अब दौड से ही बहार

कायाकल्प अभियान साल 2015 से भाजपा सरकार में शुरू हुआ था। पहले साथ शिवपुरी जिला अस्पताल पहले स्थान पर रहा और 50 लाख का  नगद पुरस्कार मिला। दूसरे साल 2016 में फिर से जिला अस्पताल को अन्य अस्पताल के साथ 25-25 लाख का इनाम मिला। इसके बाद साल 2017 और 2018 में शिवपुरी जिला अस्पताल, भिंड के साथ उत्कृष्टता की श्रेणी में रहा। लेकिन इस साल सीधे 35वे स्थान पर आ गया है।

जानें : 8 बड़ी खामियों के कारण अंक नहीं मिले, स्कोर में पीछे रहे

वार्ड ब्वॉय के 49 पद हैं, जिसमें से मात्र 16 पद भरे हैं। वार्ड ब्वॉय के 33 पद खाली हैं। सीएमएचओ ने 37 वार्ड ब्वॉय की भर्ती का प्रस्ताव भेजा है। मौजूदा वार्ड ब्वॉय से दूसरे काम कराए जा रहे हैं। मरीजों को अटेंडर गोद में या खुद स्ट्रेचर खींचकर ले जाते हैं। इसके अंक कम हुए।

अस्पताल में सफाईकर्मियों के पद 48 हैं। कुछ सफाईकर्मी काम छोड़कर चले गए। अब 26 ही बचे हैं। जिससे सफाई ठीक नहीं हो पाई।सीवर िसस्टम चोक रहने से शौचालय बंद पड़े रहे। मरीज, स्टाफ व डॉक्टर खुद परेशान रहे।

आरईएस द्वारा बनवाए ट्रॉमा सेंटर बिल्डिंग में मरम्मत कार्य नहीं हो सके।
अस्पताल स्टाफ को ट्रेनिंग दी गई। इसी साल मेडिकल कॉलेज स्टाफ भी नई बिल्डिंग में काम करने आ गया। समन्वय की कमी से ट्रेनिंग नहीं हो सकी। स्टाफ जवाब नहीं दे पाया।

सिविल सर्जन डॉ गोविंद सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद नए सीएस डॉ पीके खरे, फिर डॉ एमएल अग्रवाल पर चार्ज आया। व्यवस्थाएं बिगड़ती चली गईं।परिसर के अंदर और बाहर कई जगह लाईटिंग नहीं लग पाईं। असिसमेंट करने आए दल के सामने यह बातें आईं।जिला अस्पताल आने वाले मरीज और अटेंडरों को पीने के पानी की व्यवस्था नहीं मिली।

जो काम असेस्मेंट से पहले करने थे, वह अब कराए जा रहे

बरसात के बाद जिला अस्पताल में बिल्डिंग की मरम्मत व पुताई, प्याऊ निर्माण, सीवर सिस्टम ठीक करने जैसे काम कराने थे। जब कायाकल्प टीम आई, तब यह काम नहीं हुए। मूल्यांकन के बाद यह काम कराए जा रहे हैं।

जिला अस्पताल में समर्पित नेतृत्व का अभाव

जिला अस्पताल में समर्पित नेतृत्व का अभाव है। मेडिकल कॉलेज के जो डॉक्टर आए, वे नर्सिंग हॉम में सेवाएं देने लगे। अस्पताल की व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया। इसी वजह से स्कोर कम रह गया और शिवपुरी अस्पताल कायाकल्प से बाहर हुआ है। डॉ गोविंद सिंह, सेवानिवृत्त सिविल सर्जन, जिला अस्पताल शिवपुरी

व्यवस्थाओं में धीरे-धीरे सुधार ला रहे हैं : सीएस

मुझे चार्ज असिसमेंट हो जाने के बाद मिला है। चार्ज संभालते ही व्यवस्थाआें में धीरे-धीरे सुधार ला रहे हैं। सीवर सिस्टम सुधार रहे हैं, बिल्डिंग की मरम्मत व पुताई का काम करा रहे हैं। प्याऊ भी स्थापित की है। जहां अंधेरा है, वहां लाइट भी लगवा रहे हैं। डॉ. एमएल अग्रवाल, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल शिवपुरी
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