करैरा की 45 करोड़ की जलावर्धन योजना खतरे में: कछुआ चाल से चल रहा है काम, मजदूर बेच रहे है सब्जी | KARERA, SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar
करैरा। नगर पंचायत करैरा में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के प्रयासों से 45 करोड़ से अधिक की लागत की जलावर्धन योजना अधिकारियों एवं ठेकेदार की मनमानी के चलते खटाई में पड़ती नजर आ रही है। नगर को दो वर्ष पूर्व इतनी बड़ी योजना सौगात में मिली थी जिसका जिम्मा मध्यप्रदेश शासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग को दिया गया। योजना का कार्य कोलकाता की कंपनी रियान वाटरटेक प्रायवेट लिमिटेड एवं पीसी स्नेहल कंस्ट्रक्शन कंपनी कोलकाता को दिया गया। इस कंपनी द्वारा नगर पंचायत के पास एक करोड़ की लागत से पानी की उच्चस्तरीय टंकी (700 केएल) का निर्माण पिछले डेढ़ वर्ष से चल रहा है, लेकिन अभी तक मात्र 15 प्रतिशत कार्य ही पूर्ण हो पाया है।

जबकि इस कार्य को 850 दिनों में पूर्ण करना था जिसमें लगभग 670 दिन पूर्ण हो चुके हैें। इसी तरह पाइप लाइन बिछाने का कार्य मात्र 10 प्रतिशत हो सका है। इस कार्य को पहले शहर से शुरू करना था, लेकिन शहर के बाहर से पाइप लाइन बिछाने की शुरूआत की गई है जो गलत है। समोहा से करैरा तक लगभग 10 किलोमीटर राइजिंग लाइन के कार्य की भी अभी शुरूआत नहीं हो सकी है जो मुख्य कार्य है। यहां पानी की तीन टंकियां इंटकवैल, फिल्टर प्लांट सहित पूरे शहर में नई पाइप लाइन का कार्य होना था। शासन द्वारा 45 करोड़ से अधिक की योजना में इतना विलंब जनता को रास नहीं आ रहा है।

नगर के नागरिक एवं जनप्रतिनिधियों ने भी असंतोष जाहिर किया है और वे आंदोलन का मन बना रहे हैं। वहीं विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि भोपाल की इस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने हेतु दो नोटिस भी दिए जा चुके हैं। कार्य की प्रगति संतोषप्रद नहीं है यदि यही हाल रहा तो अगले दस वर्षों तक भी इस योजना का लाभ नागरिकों को नहीं मिल पाएगा। इतनी धीमी गति से कार्य होने के बाद थोड़ा थोड़ा कार्य करके छोड़ देने से आमजन भी परेशान है। थोड़ा कार्य टंकी का, थोड़ा कार्य लाइन का करके छोड़ दिया गया है। पाइपों की खरीद कर ली गई है जिससे भुगतान हो जाए। इसका सीधा लाभ कंपनी अधिकारियों को हो सके। इंजी. चतुर्वेंदी ने बताया कि लगभग एक करोड़ से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।

उल्लेखनीय है कि करैरा में तीन हजार से अधिक भारत तिब्बत बॉर्डर पुलिस के सैनिक कार्यरत हैं। उनको भी इस योजना का लाभ मिलना था यहां आईटीबीपी का सेंटर भी है जिनको पानी का अभाव बहुत खलता है। आईटीबीपी की तीन कंपनिया तैनात हैं। उनमें आरटीसी, सपोर्ट बटालियन, बेपन ट्रेनिंग स्कूल सहित केंद्रीय विद्यालय स्थित हैं। सभी को योजना का लाभ मिलना था जो अभी तक नहहीं मिल सका है। ठेकेदार जो मजदूर काम क ेलिए बाहर से लेकर आए थे वे सब्जी बेचकर अपने बच्चों का भरण पोषण करने को मजबूर हो रहे हैं। वे मजदूर अब कहां जाएं, क्योंकि काम कभी बंद और कभी चालू हो जाता है भुगतान भी समय पर नहीं हो पाता है।

इनका कहना है-
इस योजना को लेकर अधिकारियों की बैठक बुलाकर चर्चा करूंगा। नगरीय प्रशासन मंत्री से भी मैं बात करूंगा। शीघ्र कार्य कराने हेतु हर संभव प्रयास करूंगा। यदि फिर भी कार्य में देरी हुई तो कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करने हेतु कार्यवाही की जाएगी।
जसवंत जाटव, विधायक विधानसभा क्षेत्र करैरा
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