खनियाधाना। इस साल की कांवड़ यात्रा में शिवानी चंदेल एक प्रेरणा बनकर उभरी हैं अपने भाई और सहयोगियों के साथ हरिद्वार से गंगाजल लेकर अशोकनगर के लिए निकली शिवानी, लगभग 300 किलोमीटर की इस यात्रा में श्रद्धा, दृढ़ संकल्प और शारीरिक सहनशक्ति का एक अद्भुत संगम प्रस्तुत कर रही हैं यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अटूट आस्था का प्रतीक है।
शिवानी और उनकी टीम ने अपनी यात्रा की शुरुआत हरिद्वार से फोर-व्हीलर में गंगाजल भरकर की, जिसका पहला पड़ाव ग्वालियर था. इस चरण ने उन्हें लंबी दूरी को सुगमता से तय करने में मदद की. ग्वालियर पहुंचने के बाद, उन्होंने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया-कांवड़ को अपने कंधों पर उठाकर अशोकनगर के लिए पैदल यात्रा शुरू करने का. यह कदम उनकी सच्ची भक्ति और तपस्या को दर्शाता है, क्योंकि पैदल चलकर शिव को गंगाजल अर्पित करना ही कांवड़ यात्रा का मूल सार है।
उनकी यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव खनियाधाना रहा, जहां वे देर रात करीब 10:30 बजे पहुंचीं रात गहराने के बावजूद, नगर के युवाओं और महिलाओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया यह स्वागत केवल शिवानी और उनकी टीम के प्रति सम्मान नहीं दर्शाता, बल्कि धार्मिक आयोजनों के प्रति समाज के सामूहिक उत्साह और भागीदारी को भी उजागर करता है। ऐसे पल यात्रियों को आगे बढ़ने के लिए नई ऊर्जा और प्रेरणा देते हैं।
शिवानी चंदेल की यह लगभग 300 किलोमीटर की यात्रा कई मायनों में खास है. यह दिखाती है कि महिलाएं भी धार्मिक आयोजनों में पुरुषों के समान ही उत्साह और समर्पण के साथ भाग ले सकती हैं, और कठिन शारीरिक चुनौतियों का सामना कर सकती हैं. इतनी लंबी पैदल यात्रा उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाती है। खनियाधाना में मिला स्वागत इस बात का प्रमाण है कि धार्मिक यात्राएं लोगों को एक साथ लाती हैं और सामुदायिक भावना को मजबूत करती हैं शिवानी और उनके भाई की यह यात्रा आज के युवाओं को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने और शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत बनने की प्रेरणा देती है।
जैसे-जैसे शिवानी अपनी लगभग 300 किलोमीटर की यात्रा के अंतिम पड़ाव, अशोकनगर की ओर बढ़ रही हैं, उनकी यह यात्रा निश्चित रूप से कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और आस्था के एक नए अध्याय को लिखेगी।