भोपाल। शिवपुरी-श्योपुर की सीमा पर स्थित कूनो नेशनल पार्क मे इस मानसून काल में चीतों को संक्रमण से बचाना कूनो प्रबंधन के सामने बड़ी चुनौती थी। वर्ष 2023 में कूनो में कुछ चीतों को पिस्सू कीड़े के संक्रमण ने मार डाला था। विदेश चीतों को भारत की धरती पर बसाने का टॉस्ट जब पूर्ण:सफल माना जायेगा,जब वह वर्षाकाल में संक्रमण से सुरक्षित रह सके। इस कारण ही कूनो में एक बड़ा अभियान चलाया गया और कुल 27 चीतो मे से 22 को वैक्सीनेट कर दिया गया है।
जैसा कि विदित है कि संक्रमण के कारण चीतो की मौत का खुलासा हुआ था। चीतो के गर्दन पर कॉलर के पास घाव हो गए थे,और इनमें टिक्स (पिस्सू कीड़ा) संक्रमण हो गया था। इस कारण चीता की मौत हुई थी। विदेशी चीतो ने भारत का सर्दी का मौसम और गर्मी का मौसम झेल लिया था लेकिन मानसून काल में चीता संक्रमण से नही बच पाया था। इस कारण चीतों की मौत होने से सबक लेकर कूनो प्रबंधन इस बार मानसून सीजन में अलर्ट है। इस बार 16 चीते खुले जंगल में है, लिहाजा चुनौती ज्यादा है। यही वजह है कि खुले और बाड़ों में चीतों को संक्रमण से बचाने के लिए कूनों की टीम ने एक अभियान बनाकर 10 दिन की अवधि में 22 चीतों को ब्रेवेक्टो नामक दवा से उपचारित किया है।
0विशेष बात यह है कि चीतों को ये दवा उन्हें ट्रैक्यूलाइज कर दी गई, जो एक बड़ी चुनौती रही, क्योंकि चीते 2 से लेकर 5 के समूह में हैं। लिहाजा एक साथ एक समूह को इ को ट्रैक्यूलाइज कर उन्हें दवाई लगाना और फिर उन्हें सुरक्षित होश में आने के बाद छोड़ना एक बड़ा टास्क रहा है। जून के अंतिम पखवाड़े में ये टास्क पूरा किया गया। जिसमें कूनो में वर्तमान में शावकों सहित मौजूद कुल 27 चीतों में से 22 चीतों को मानसून के दौरान टिक्स (पिस्सू) संक्रमण के खिलाफ निवारक उपाय के रूप में एंटी-एक्टोपैरासिटिक दवा ब्रेवेक्टो दवा लगाई गई। इससे दौरान कूनो के अफसर और डॉक्टरों की टीम ने मैदानी अमले के साथ इस प्रक्रिया को अंजाम दिया।
वर्तमान में कूनो में कुल 27 चीते हैं. इनमें 16 खुले जंगल में है, जबकि 11 बाड़ों में है। इनमें 10 विदेशी और 17 भारतीय चीते हैं। जिन 5 को दवाई नहीं लगाई है, वह 5 नन्हें शावक (वीरा के 2 और निरवा के 3) हैं, जिनकी उम्र 6 माह से कम है। जबकि शेष 12 भारतीय शावक चीते और 10 नामीबियाई-दक्षिण अफ्रीकी चीतों को दवा लगाई है। विशेष बात यह है कि नन्हें शावकों की मां वीरा और निरवा को दवा लगाना भी चुनौती से कम नहीं रहा, क्योंकि इनके साथ नन्हें शावक भी थे।
इनका कहना है
मानसून में संक्रमण से बचाव के लिए 22 चीतों को ब्रेवेक्टो दवा दी गई है। हमारी कुशल टीम ने इस प्रक्रिया को पूरे सुरक्षित तरीके से अंजाम दिया है।
उत्तम कुमार शर्मा, एपीसीसीएफ व संचालक चीता परियोजना श्योपुर