SHIVPURI NEWS - गुंजारी नदी बायो मेडिकल वेस्ट की चपेट में,झोलाछाप डॉक्टरों की करतूत, संक्रमण का खतरा

Bhopal Samachar

हार्दिक गुप्ता कोलारसनामा। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण लोगों की जान जा रही है,जिले में बैठे झोलाछाप डॉक्टरो पर यह विभाग कंट्रोल नहीं कर पा रहा है। बीते रोज एक झोलाछाप डॉक्टर के कारण अमोलपठा में 8 साल के बालक की मौत हो गई,अब कोलारस में झोलाछाप डॉक्टरों की करतूतो का एक नया मामला सामने आ रहा है। कोलारस के प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक और कोलारस कस्बे में जमे लगभग एक दर्जन से अधिक झोला छाप अपना मेडिकल का कचरा खुले में फेंक रहे है।  

गुंजारी नदी के किनारे फेंक रहे है इस कचरे को
निजी अस्पताल व क्लीनिक संचालक कानून को खूंटी पर टांग कर खुले में ही बायोमेडिकल वेस्ट फेंक रहे हैं। इससे आमजन में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। नगर में राई रोड पर गुंजारी नदी के किनारे पड़ा बायो मेडिकल वेस्ट कचरा विभाग की पोल खोल रहा है। कई बार यह अधिक एकत्रित हो जाता है तो इसे आग के हवाले कर दिया जाता है। वही मानसून काल का समय भी नजदीक है इस कारण यह कचरा नदी में भी वह सकता है।

कबाड में बीनने वाले वापस बाजार में ले आते है
संक्रमण और खतरे से अनजान कबाड़ बीनने वाले बायोमेडिकल वेस्ट को उठाकर वापस बाजार में ले आते हैं और कबाड़ी को बेच देते हैं। कबाड़ी भी इस बायोमेडिकल वेस्ट को मुनाफे के लालच में खरीद रहे हैं। कई बार बायोमेडिकल वेस्ट की सुई, ब्लेड आदि कबाड़ कारोबारियों को लग जाती हैं, जिससे संक्रमक बीमारियों का  खतरा भी बढ़ रहा है।

यह हो सकता है नुकसान
खुले में पड़े मेडिकल कचरे से निमोनिया, हैजा, डेंगू, स्वाइन फ्लू, मेनेंजाइटिस, हेपेटाइटिस बी व कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। मवेशी व गोवंश के खाने से शरीर में इंफेक्शन होता है और धीरे धीरे वे दम तोड़ देते हैं। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान होने के साथ ही बीमारियां फैलने की आशंका रहती है।

यह कहता है डब्ल्यूएचओ
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा उत्पन्न 85 प्रतिशत अपशिष्ट गैर-खतरनाक है, लेकिन 15 प्रतिशत बायोमेडिकल अपशिष्ट में संभावित रूप से संक्रामक अपशिष्ट जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस-बी और सी वायरस, एंटीबायोटिक, साइटोटॉक्सिक दवाएं, हैलोजनेटेड या गैर-हैलोजनेटेड साल्वेंट्स, भारी धातुएं, आक्साइड आदि शामिल हैं। जब यह 15 प्रतिशत खतरनाक अपशिष्ट अन्य चिकित्सा अपशिष्टों के साथ मिल जाता है, तो यह पूरे बैच को दूषित कर देता है, इसलिए, संपर्क में आने पर लोगों और पर्यावरण दोनों के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा होता है।

यह है निस्तारण का नियम
पंजीयन वाली सभी स्वास्थ्य इकाइयों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट मटेरियल के निस्तारण के लिए मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड द्वारा संस्थाएं चलाई जा रही हैं। यह संस्था पंजीयन वाली स्वास्थ्य इकाइयों से कचरा प्रतिदिन उठाती है। उठान में प्लास्टिक थैली में पैक करके अपने साथ निस्तारण के लिए ले जाती है। शिवपुरी जिले में केवल जिला शहर में केवल प्राइवेट हॉस्पिटल से ही मध्य प्रदेश नियत्रंक बोर्ड की संस्था इस मेडिकल बेस्ट को उठा रही है,बाकी शहर में सरकारी डॉक्टर सहित प्राइवेट डॉक्टर जो निजी क्लीनिक संचालित करते है और बाकी शहर में झोला छाप डॉक्टर भी अपना मेडिकल वेस्ट भी कचरे की तरह फेंक रहे है। शिवपुरी का स्वास्थ्य विभाग इस ओर ध्यान नहीं देता है।

इनका कहना हैं
बायोमेडिकल बेस्ट को डिस्पोज करने की अलग नियमावली है, इसे सामान्य कचरे के तौर पर नहीं फेंका जा सकता। यदि फेंका जा रहा है तो मैं टीम बनाकर जांच करवा लेता हूं। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
आशीष व्यास, बीएमओ कोलारस