भोपाल। मध्य प्रदेश में अब नगर पालिका और परिषद के अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा यानी जनता सीधे अध्यक्ष का चुनाव करेगी। शिवराज सरकार के समय लागू की गई चुनाव की अप्रत्यक्ष प्रणाली यानी पार्षदों के माध्यम से अध्यक्ष को चुनने की व्यवस्था को बदला जाएगा।
नई व्यवस्था में सीधे मतदाता ही अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। जब यह व्यवस्था लागू होगी तो फिर अध्यक्ष को वापस बुलाने का 'खाली कुर्सी भरी कुर्सी' का प्रावधान भी पुनः लागू कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के निर्देश के बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अधिनियम में परिवर्तन करने के लिए प्रारूप तैयार करना प्रारंभ कर दिया है।
कमलनाथ ने बदल दिया था सिस्टम
अभी तक प्रदेश में नगर निगम के महापौर, नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव सीधे मतदाता द्वारा कराने का प्रविधान है। कमलनाथ सरकार ने पार्षदों के माध्यम से महापौर और अध्यक्ष का चुनाव कराने का निर्णय किया, लेकिन यह अमल में नहीं आ पाया।
मामा ने किया था पुरानी व्यवस्था से चुनाव कराने का प्रयास
मार्च 2020 में फिर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने और उन्होंने पुरानी व्यवस्था से ही चुनाव कराने के लिए अध्यादेश जारी किया, पर संशोधन विधेयक विधानसभा से पारित नहीं हो पाया। निकाय चुनाव से पहले मई 2022 में फिर प्रविधान में संशोधन किया गया और महापौर का चुनाव सीधे जनता से कराने का निर्णय लिया।
नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली यानी पार्षद के माध्यम से कराने की व्यवस्था लागू कर दी। वर्तमान अध्यक्ष इसी व्यवस्था से चुने गए हैं। पार्षदों को साथ लेकर नहीं चल पाने के कारण कुछ निकायों में अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिए गए।
इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43 (क) में यह प्रविधान कर दिया कि अविश्वास प्रस्ताव दो के स्थान पर तीन वर्ष की कालावधि पूर्ण होने पर ही लाया जा सकता है और इसे पारित करने के लिए दो-तिहाई के स्थान पर तीन-चौथाई पार्षदों का समर्थन अनिवार्य कर दिया। यही व्यवस्था अब नगर निगम के अध्यक्ष/सभापति के लिए भी लागू की जा रही है।
2027 में होंगे अब निकाय चुनाव
इसके साथ ही नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराने की तैयारी है। इसके लिए अधिनियम में संशोधन का प्रारूप नगरीय विकास एवं आवास विभाग तैयार कर रहा है। वरिष्ठ सचिव समिति से हरी झंडी मिलने के बाद इसे कैबिनेट से अनुमोदित कराकर विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव अब वर्ष 2027 में होंगे।
जिला और जनपद पंचायत अध्यक्ष भी सीधे जनता चुनेगी
उधर, जिला और जनपद पंचायत के अध्यक्ष का चुनाव भी सीधे जनता से कराने की तैयारी है। इसके लिए पंचायत राज अधिनियम में संशोधन की तैयारी चल रही है। अभी अध्यक्ष सदस्य के माध्यम से चुने जाते हैं। किसी एक सदस्य के पास बहुमत नहीं होने पर सदस्यों का समर्थन प्राप्त करने के लिए दबाव बनाने और प्रलोभन देने की शिकायत सामने आती हैं। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कांग्रेस के भूपेश बघेल की सरकार के समय अप्रत्यक्ष प्रणाली से लागू की गई चुनाव की व्यवस्था में परिवर्तन कर अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराने का निर्णय लिया है।