SHIVPURI NEWS - गौहत्या के कारण पूजा-पाठ भंडारा कर पश्चाताप,जिंदा निकली गाय

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी में गौ हत्या के झूठे आरोप में एक ग्रामीण को आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी। गांव वालों ने उसके परिवार का तिरस्कार किया। परिवार ने पंचायत के फैसले के बाद पश्चाताप करने के लिए प्रयागराज के त्रिवेणी में डुबकी लगाई, रामायण का पाठ कराया और ब्राह्मण भोज भी कराया। जिसके बाद पता चला कि जिस गाय के मौत का कारण उसका तिरस्कार किया गया वह तो जिंदा है। इसके बाद वह ग्रामीण उस गाय को अपने घर लेकर आ गया।

ट्रैक्टर-ट्रॉली की टक्कर से घायल हो गई थी गाय
जिले के इंदार थाना क्षेत्र के बिजरौनी के रहने वाले दीपक किरार ने बताया कि 28 नवंबर की बात है। वह अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली से बदरवास कस्बे किसी काम से गए हुए थे। यहां उनके ट्रैक्टर से एक गाय टकरा कर गिर गई थी। टक्कर में गाय को मामूली चोट आई थी। वह अपने पैरों पर खड़ी भी हो गई थी। इसके बाद दीपक अपने काम को पूरा कर ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर गांव वापस आ गया था।

गांव में उड़ा दी गोहत्या की अफवाह
दीपक ने बताया कि 8 दिसंबर को उसे पता चला कि जिस गाय की टक्कर हुई थी, उसकी मौत हो गई। दरअसल, बदरवास कस्बे के रहने वाले किसी ने गांव के कुछ ग्रामीणों से कह दिया था कि ट्रैक्टर-ट्रॉली से टकराकर जो गाय घायल हुई थी। उस गाय की मौत हो चुकी है।

यह बात पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। इसके बाद सभी ग्रामीणों ने बोलचाल बंद कर दिया और परिवार को पंचायत के फैसले तक घर में रहने की नसीहत दी गई। पूरा गांव उसे गौ-हत्यारा मानने लगा था। उसके परिवार का तिरस्कार कर दिया गया था।

पंचायत ने पश्चाताप करने का फैसला सुनाया
दीपक ने बताया कि 9 दिसंबर को पंचायत बुलाई गई। पांच परमेश्वर ने गोहत्या के पश्चाताप के लिए प्रयागराज जाकर त्रिवेणी में डुबकी लगाने और पूजा पाठ कराने का फैसला सुनाया। साथ ही गांव से लौटने के बाद रामायण पाठ, ब्राह्मण और कन्या भोज आदि करवाने का भी फैसला सुनाया था। दीपक ने बताया वह भी अपने आप को गोहत्या का दोषी मानने लगा था। पंचायत ने जैसा फैसला सुनाया वैसा, ही काम करने को वह राजी हो गया।

त्रिवेणी में लगाई डुबकी, रामायण पाठ के साथ कराया भोज
दीपक बताते हैं कि पंचायत के फैसले के बाद वह 9 दिसंबर को तत्काल प्रयागराज के लिए रवाना हो गए थे। वहां पीड़ाओं से गोहत्या के पश्चाताप के लिए बताई गई पूजा पाठ कराई थी। बाद में गंगा स्नान और पूजा पाठ कराने के बाद 11 दिसंबर को वह अपने गांव वापस पहुंचे।

तब तक गांव में परिवार ने रामायण पाठ बैठाने की तैयारी कर ली थी। 12 दिसंबर को गांव में रामायण पाठ कराया गया और 13 दिसंबर को भंडारा कराया गया। भंडारे में गोहत्या के पश्चाताप के लिए अलग से ब्राह्मण भोज और कन्या भोज कराया गया।

अफवाह से हो गए दो लाख खर्च, जिंदा थी गाय
दीपक ने बताया कि रामायण के भंडारे में बदरवास का रहने वाला एक परिचित भी आया हुआ था। उसने बताया कि जिस गाय की मौत के आरोप लगे हैं वह गाय जिंदा हैं। उस गाय को 30 नवंबर को बदरवास के एक सेठ ने एनवारा के बैकुंठ धाम आश्रम पहुंचा दिया था।

इसके बाद दीपक 14 दिसंबर को बैकुंठ धाम आश्रम पहुंचा और यहां के संत से मिलकर बीते कुछ दिनों से हुए घटना के बारे में बताया। उसने संत से गाय को अपने साथ गांव उसके साथ ले जाने की अनुमति मांगी। अनुमति मिलने के बाद गाय को वह अपने साथ अपने घर ले आया।

एक अफवाह से बिजरौनी गांव के ग्रामीण को आर्थिक-मानसिक प्रताड़ना और एक ऐसे जुर्म के पश्चाताप से गुजरना पड़ा, जो उसने किया ही नहीं था। इस पूरे घटनाक्रम में ग्रामीण दीपक को करीब 2 लाख रुपए का खर्च उठाना पड़ा।