Unique Shivpuri: सूर्योदय के साथ छत्री के इस कुंड की पानी की झिर फूटने लगती है और सूर्यास्त के साथ बंद-नाम है सूर्य कुंड

Bhopal Samachar

Amazing facts in Hindi about shivpuri

शिवपुरी। शिवपुरी के इतिहास की बात की जाए तो शिवपुरी शहर में बने बावन कुंडो की बात अवश्य की जाती है। गुरु गोरखनाथ मंदिर में बने कुबेर कुंड से भदैया कुंड तक यह कुंड बने हुए है और सबसे अधिक और एक साथ यक पानी के कुंड बाणगंगा पर देखे जाते है। शिवपुरी शहर में स्थित यह बावन कुंडो की अपनी एक अलग अलग कहानी है लेकिन आज बात करेंगे शिवपुरी के सूर्य कुंड की यूनिक हिस्ट्री की,इस कुंड की विशेषता है कि सूर्योदय के साथ इसकी पानी की झिरे फूटने लगती है और सूर्यास्त के साथ इसकी पानी की स्वत:ही बंद हो जाती है। यह कुंड है सिंधिया घराने की छत्री के कैंपस में,इस कुंड को पुनर्जीवित करने की कवायद शुरू हो चुकी है।

पर्यटन के लिए पुन:जीवित हो रहा है सूर्य कुंड

पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र रहने वाली सिंधिया घराने की छत्री जल्द ही नए स्वरूप में पर्यटकों के सामने होगी। पर्यटकों को यहां की ऐसी खासियतों से रूबरू होने का अवसर मिलेगा जो उन्हें अब तक पता ही नहीं थीं। इस बार मानसून में छत्री के अंदर सूरजकुंड आकर्षण का केंद्र रहेगा। सूर्योदय के साथ पानी की झिर फूटने और सूर्यास्त के साथ इसके बंद हो जाने के रहस्य के साथ पर्यटक इसे देख सकेंगे। इसके लिए यहां कायाकल्प किया जा रहा है।

करीब दो महीने तक चलने वाले कायाकल्प के बाद छत्री तो पर्यटकों के लिए रात 10 बजे तक खोला जाएगा। यहां पर एक बार फिर राजघराने का संगीत भी सुनाई देगा और म्यूजिकल फाउंटेन भी स्थापित किया जाएगा। पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने महाभारत काल के दौरान शिवपुरी में पांडवों द्वारा बनाए गए बावन कुंडों के बारे में तो सुना है, इन कुंडों में अधिकांश कुंडो में हमेशा पानी रहता था। उनके अनुसार इन सभी बावन कुंडों को ज्योतिष के आधार पर बनाया गया था। इन्हीं कुंडों में शामिल सूरजकुंड छत्री परिसर में स्थित है।

अष्टकोण का आकार है सूर्य कुंड का

अष्टकोण में बनाए गए इस कुंड में पूर्व में हर रोज सूर्य उदय के साथ पानी का बहाव तेज हो जाता था और सूर्यास्त के साथ पानी का यह बहाव धीरे-धीरे कम होता चला जाता था। समय के साथ देखरेख के अभाव में यह अनदेखा ही रह गया। अब इसे फिर से पुनर्जीवित किया जा रहा है। बारिश तक इसे पुरानी स्थिति में पहुंचा दिया जाएगा और एक बार फिर यहां सूर्योदय और सूर्यास्त के समय इसकी यह खासियत पर्यटक देख सकेंगे। पूर्व में यहां बाहर से आने वाले पर्यटक इसे काफी पसंद करते थे।

रात दस बजे तक खुलेगी छत्री, चलेगी चौपाटी: पर्यटन और पर्यटकों

पर्यटन और पर्यटकों की मांग को ध्यान में रखते हुए जल्द ही को देर रात दस बजे तक खोलने की योजना पर विचार किया जा रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में पर्यटक रात दस बजे तक छत्री में घूमने के लिए आ सकेंगे। इसके अलावा यहां आने वाले पर्यटकों को यहां के लाइटिंग फाउंटेन, म्यूजिकल फाउंटेन भी काफी आकर्षित करेंगे।

बकौल अशोक मोहिते छत्री परिसर में टाइम बिताने आने वाले लोगों के लिए चौपाटी जैसी व्यवस्था करने पर भी विचार किया जा रहा है ताकि वह यहां पर खाने पीने का लुत्फ भी उठा सकें। माना जा रहा है कि छत्री परिसर में प्राकृतिक दृश्यों के बीच यह सभी सुविधाएं मुहैया हो जाने पर अक्सर शहर के बाहर जाने के लिए आतुर शहरवासी यहां आना पसंद करेंगे। इसी क्रम में छत्री परिसर में ट्रस्ट द्वारा एक रेस्टोरेंट भी प्रारंभ करवा दिया गया है।

ग्वालियर के बृज कल्चर पर आधारित संगीत का आनंद भी

पर्यटकों को रिझाने के लिए छत्री परिसर में हर रोज होने वाली संगीत सभा को और वृहद करने की भी तैयारी है। ऐसे में छत्री परिसर में जो भी पर्यटक घूमने के लिए आएंगे वह शाम के समय यहां होने वाली संगीत सभा के दौरान बुंदेलखंडी, राजस्थानी, मालवी, संगीत के साथ-साथ ग्वालियर के बृज कल्चर पर आधारित संगीत का आनंद भी उठा

सकेंगे। छत्री ट्रस्ट के प्रबंधक का कहना है कि इसके साथ ही आने वाले दिनों में यहां पर म्यूजिकल कंपटीशन कराने की योजना पर भी काम चल रहा है। इससे बच्चों में संगीत के प्रति रूचि तो जागेगी ही साथ ही यहां आने वाले पर्यटक क्षेत्रीय संगीत से भी परिचित होंगे, जिसके बारे में आज भी ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं।
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