हनुमान जयंती विशेषः तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा अकबर की जेल में लिखा था,पढिए क्यों- Shivpuri News

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शिवपुरी।
हनुमान चालीसा में करोडो हिन्दुओं की आस्था है,और करोड़ों हिंदुओं को यह याद है। देश ही नही विदेशों में जहां हिन्दू परिवार निवास करते है,वहां भी इसका पाठ पूरी श्रद्धा के साथ किया जाता है। हनुमान चालीसा की रचना तुलसीदास जी ने की थी,किवदंती के अनुसार तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना अकबर के कारागार में की थी। हनुमान चालीसा की रचना के बाद बंदरों ने इतना उत्पाद मचाया कि अकबर को तुलसीदास जी को जेल से रिहा करना पड़ा था।

हनुमान चालीसा मे 40 लाइन में 20 चौपाइयां है। इन चौपाइयों को बड़े ही भक्ति भाव से पाठन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा के भक्ति भाव पाठन से मनुष्य की हर समस्या का समाधान हो जाता है और उसके सब संकट कट जाते है।

हनुमान चालीसा में राम भक्त हनुमान जी की क्षमता राम के प्रति उनका भक्ति भाव और असंभव कार्य को संभव किया जाने वाला काम है। हनुमान चालीसा हमें यह भी सीखता है कि भक्ति भाव से किया गया धर्म के प्रति असंभव कार्य भी संभव हो जाता है।गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के आलावा कई ग्रंथो की रचना की है रामचरित मानस के बाद हनुमान चालीसा सबसे अधिक लोकप्रिय है।

कहा जाता है कि तुलसीदास को हनुमान चालीसा लिखने की प्रेरणा मुगल सम्राट अकबर की कैद से मिली, किंवदंती है कि एक बार मुगल सम्राट अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी को शाही दरबार में बुलाया। तब तुलसीदास की मुलाकात अब्दुल रहीम ख़ान.ए.खाना और टोडर मल से हुई, उन्होंने काफी देर तक उनसे बातचीत की कि वह अकबर की तारीफ में कुछ ग्रंथ लिखवाना चाहते थे, तुलसीदास जी ने मना कर दिया, तब अकबर ने उन्हें कैद कर कारागार में डाल दिया था।

एक कहानी यह भी है

एक बार बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को दरबार में बुलाया। उनसे कहा कि मुझे भगवान श्रीराम से मिलवाओ, तब तुलसीदास जी ने कहा कि भगवान श्री राम सिर्फ भक्तों को ही दर्शन देते हैं। यह सुनते ही अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार डलवा दिया।

बंदरों ने आकर उन्हें रिहा कराया

किंवदंती के अनुसार, कारावास में ही तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में हनुमान चालीसा लिखी, उसी दौरान फतेहपुर सीकरी के कारागार के आसपास ढे़र सारे बंदर आ गए, उन्होंने बड़ा नुकसान किया, तब मंत्रियों की सलाह मानकर बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त कर दिया।

हनुमान चालीसा के पहले 10 चौपाई उनके शक्ति और ज्ञान का बखान करते हैं, 11 से 20 तक के चौपाई में उनके भगवान राम के बारे में कहा गया जिसमें 11 से 15 तक चौपाई भगवान राम के भाई लक्ष्मण पर आधारित है, आखिर की चौपाई में तुलसीदास ने हनुमान जी की कृपा के बारे में कहा है।
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