26 साल बाद टाइगर रिटर्न- अब 3 टाइगर से नही 2 टाइगर से काम चलाना पड़ेगा—शिव और सिंधिया को- Shivpuri News

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शिवपुरी।
पिछले 26 सालो से माधव नेशनल पार्क में लगा टाइगरो पर ग्रहण हटने का नाम नही ले रहा है। 9 मार्च तक सब कुछ सही था,3 टाइगर शिवपुरी के नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा,सीएम और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इन टाइगरों को रिलीज करेंगे,लेकिन कार्यक्रम के एक दिन पूर्व ही पन्ना की लेडी टाइगर शिवपुरी से रूठ गई और पन्ना के नेशनल पार्क प्रबंधन को चकमा देकर गायब हो गई-वैकल्पिक व्यवस्था पर जोर दिया गया लेकिन संभव नही हो सका है। अब शिवपुरी के नेशनल पार्क में 3 नही दो टाइगर रिलीज किए जाऐगें।

जानिए माधव नेशनल पार्क के भूगोल के विषय में

शिवपुरी जिला मुख्यालय से 12 KM दूर माधव नेशनल पार्क सटा है। पार्क विंध्याचल की पहाड़ियों पर बसा है। यह पार्क कभी मराठा, राजपूत और मुगल राजाओं के शिकार करने के लिए पसंदीदा जगह हुआ करता था। आजादी के 11 साल बाद 1958 में पार्क को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। शुरुआत में पार्क मात्र 167 वर्ग किलोमीटर में फैला था। बाद में 375 वर्ग किलोमीटर तक इसका विस्तार किया गया था, जो अब भी बरकरार है।

पार्क में प्रवेश के लिए दो एंट्री गेट हैं। पहला NH-25 पर, जो शिवपुरी से 5 KM दूर है, जबकि दूसरा गेट NH-3 (आगरा-मुंबई रोड) पर शिवपुरी से ग्वालियर की ओर 7 KM दूर है। पार्क झीलों, जंगलों और घास के मैदानों से भरा है। माधव नेशनल पार्क में अभी नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, हिरण, चीतल, सांभर और बार्किंग मृग रहते हैं। इसके अलावा तेंदुए, भेड़िया, सियार, लोमड़ी, जंगली कुत्ता, जंगली सूअर, शाही, अजगर आदि जानवर पार्क में देखे जाते हैं।

10 से 15 दिन निगरानी में रहेंगे, फिर खुले में छोड़ेंगे

तीनों बाघों को 10 से 15 दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा। इसके बाद स्थिति सामान्य रही, तो उन्हें पार्क में खुला छोड़ दिया जाएगा। माधव नेशनल पार्क के ऐसी जगहों को भी चिन्हित किया जा रहा है, जहां बाघ टेरिटरी बना सकते हैं। पार्क के झिरना क्षेत्र को माकूल जगह माना जा रहा है। क्योंकि यह ठंडा क्षेत्र है। यहां झरना होने के चलते पानी भी पर्याप्त मात्रा में है। झरना होने के कारण अन्य जानवर भी यहां पानी पीने आते हैं। इसके चलते बाघ इस क्षेत्र में आसानी से शिकार कर सकेंगे। यहां एक गुफा जैसा भी हैं, जहां बाघ आसानी से कुनबे को बढ़ा सकेंगे। सतपुड़ा से आ रहे नर बाघ की उम्र करीब 3 साल है, लेकिन कद-काठी में वह वयस्क टाइगर की तरह दिखता है। उसकी हाइट और वजन अच्छा है।

4000 हेक्टेयर में बनाया बड़ा बाड़ा

माधव नेशनल पार्क के सीसीएफ उत्तम शर्मा ने बताया कि पार्क के बीच बलारपुर के कक्ष क्रमांक 112 में बाघों की देख-रेख के लिए 4 हजार हेक्टेयर का बड़ा एनक्लोजर (बाड़ा) बनाया गया है। इस एनक्लोजर को तीन हिस्सों में बांटा गया है। बाड़े की ऊंचाई करीब 16 फीट है। तीनों बाघों के लिए अलग-अलग बाड़े बनाए गए हैं। बाड़ों के अंदर बाघों के लिए 6-6 हजार लीटर पानी की क्षमता वाले सोसर बनाए गए हैं। करीब एक महीने तक इनमें पानी भरकर टेस्टिंग की गई है। इनमें पानी भरने के लिए बाहर से ही पाइप का कनेक्शन दिया गया है।

बाघों को लगेंगे सैटेलाइट कॉलर ID

सीसीएफ शर्मा ने बताया कि बाघों की सुरक्षा के लिए माधव नेशनल पार्क में पुख्ता इंतजाम हैं। तीनों बाघों को सैटेलाइट कॉलर बीएचपी सुविधा के साथ लाया जा रहा है। नेशनल पार्क में वायरलेस सिस्टम लगाया गया है। वायरलेस के 6 फिक्स्ड स्टेशन, 11 माउंटेन वाहन और 90 हैंडसेट के जरिए निगरानी की जाएगी। बाघों के बनाए गए एनक्लोजर के इर्द-गिर्द लगभग 6 मचान भी बनाए गए हैं। जिनके जरिए बाघों की निगरानी की जाएगी। विशेष रूप से तीन वाहनों व 18 स्टाफ को टाइगर ट्रेनिंग और मॉनिटरिंग का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इमरजेंसी में एक रेस्क्यू वाहन, एक डॉग स्क्वायड, उड़नदस्ता भी तैनात किया गया है। इसके लिए कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।

और अब अंत में 50 रूपए प्रति बाघ से कराया था शिकार

शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में 26 साल बाद शुक्रवार को फिर टाइगर आ जाएंगे। हालांकि यहां पहले भी टाइगर थे। 52 साल पहले खुद सरकार ने ही 73 टाइगर का शिकार कराया था। साल 1956 से 1970 के बीच 14 साल में 73 टाइगर का शिकार कराया गया। 50 रुपए प्रति टाइगर के हिसाब से खुद सरकार ने ही यह शिकार कराए। उस वक्त वन्य प्राणी अधिनियम लागू नहीं हुआ था यानी वन्य प्राणी अधिनियम 1972 आने से पहले ही शिवपुरी पार्क में टाइगर तेजी से खत्म हो गए।

माधव नेशनल पार्क में आखिरी टाइगर साल 1996 में देखा गया था। तत्कालीन पार्क डायरेक्टर (अब रिटायर्ड) सीएस निनामा ने पुराने दस्तावेजों के आधार पर केंद्र सरकार को भेजी रिपोर्ट में टाइगर का शिकार कराए जाने का खुलासा किया था।
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